मराठी फिल्म और नाटक ‘सविता दामोदर परांजपे’ फिल्म से चर्चा में आने वाली निर्माता और मराठी अभिनेत्री तृप्ति टोडरमल मुंबई की है. उसके पिता मधुकर टोडरमल भी जाने – माने अभिनेता और लेखक थे. बचपन से ही तृप्ति को कला का माहौल मिला है और आज इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है, जिन्होंने हमेशा उसे हर काम में साथ देने के अलावा आज़ादी भी दी है. तृप्ति अपने इस कामयाब जिंदगी से बहुत खुश है और उन्होंने इसे शेयर किया है ख़ास गृहशोभिका के लिए, पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

मेरे पिता मराठी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहने की वजह से बचपन से ही मुझे ये माहौल मिला है. वे इस इंडस्ट्री के पायोनियर माने जाते थे, ऐसे में कुछ और सोचना संभव नहीं था. इसके अलावा जॉन अब्राहम मेरा अच्छा दोस्त है और उन्हें एक मराठी फिल्म बनानी थी,जिसमें उन्होंने मुझे ही प्रोड्यूस करने के साथ-साथ अभिनय करने को कहा और मैंने किया. ये फिल्म ‘सविता दामोदर परांजपे’ थी और यही से मेरी जर्नी शुरू हो गयी. इसके बाद मैंने कई फिल्में मराठी में की है.

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सवाल-क्या बचपन से कला का माहौल होने के बावजूद भी आपने किसी प्रकार का प्रशिक्षण अभिनय के लिए लिया?

अभिनय मेरे खून में है और मुझे इसका पैशन है, जो मुझे मेरे पिता से ही मिला है.मैंने किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं लिया. सविता की भूमिका को निभाने के लिए मैंने निर्देशक का सहारा लिया. असल में ये रीमा लागू की एक नाटक थी, जो मुझे बहुत पसंद थी. इसमें मेरी भूमिका स्प्लिट पर्सनालिटी की थी. ये एक सच्ची कहानी थी. इसे ही मैंने फिल्म बनाने की सोची. उसके लिए मैंने खुद बहुत ट्रेनिंग ली ,क्योंकि इसमें मुझे दो भूमिका निभानी थी. आवाज पर भी मुझे बहुत काम करना था. मैंने इसकी राईट ली थी. मेहनत बहुत थी, 6 महीने तक मैं बाहर नहीं निकली थी. ये एक थ्रिलर फिल्म थी. अलग वोकल पर बहुत काम किया. लेखक ने इसमें बहुत सहयोग दिया. सॉफ्ट वाला चरित्र आसान था और वह मैं हूं. उसके साथ मेरा लगाव बहुत हो गया था.

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