Mother’s Day 2025 : जिंदगी में दोस्त बहुत मिलते हैं लेकिन अगर मां के रूप में सच्चा दोस्त मिल जाए तो किसी दोस्त की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि जो मां अपनी बेटी को 9 महीने पेट में रखती है और उस बेटी को पैदा करने के बाद हर रूप में उस के लिए ढाल बन कर खड़ी रहती है, अपनी प्यारी बेटी का चेहरा देख कर उस का दुख समझ जाती है. बेटी की खुशी में बेटी से ज्यादा मां खुश होती है. बेटी भी आपनी मां के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है क्योंकि अपनी इस प्यारी मां में उस की जान बसती है. यह मां उसकी राजदार होती है, उस की सब से करीबी सहेली होती है, जिस से वह हर तरह की बात शेयर कर सकती है.

ऐसी ही कुछ मांओं को नतमस्तक करती है बौलीवुड की वे हीरोइनें जो अपनी सफलता का क्रैडिट अपनी मां को देती हैं, अपनी मां को अपना आदर्श और अपना हमदर्द मानती हैं.

मदर्स डे के अवसर पर पेश हैं, अपनी मां के लिए बौलीवुड की मशहूर हीरोइनों की प्यारभरी भावनाएं, अपनी मां से संबंधित खास बातें, खास अंदाज में :

दीपिका पादुकोण : उज्ज्वला पादुकोण

मांबेटी का रिश्ता ही ऐसा रिश्ता होता है जिसे बिना तार का कनैक्शन कह सकते हैं क्योंकि वह चाहे कितना ही दूर हो, बेटी को तकलीफ होते ही मां की बेचैनी बढ़ जाती है और बिना कुछ कहेसुने मां कोसों दूर बैठ कर भी समझ जाती है कि मेरी बेटी मुसीबत में या टैंशन या फिर किसी दुख में है.

दीपिका बताती हैं कि इस बात का एहसास मुझे उसे दिन हुआ जब एक बार मैं डिप्रेशन से गुजर रही थी. घर में अकेली थी और रो रही थी, बहुत ज्यादा दुखी थी क्योंकि मुंबई जैसे शहर में मैं अकेली थी. डिप्रेशन की वजह से मुझे घबराहट हो रही थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. उसी वक्त मेरे घर की डोरबेल बजी. मैं ने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरी मां सामने खड़ी है.

मां को सामने देखते ही मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं अपनी मां से लिपट कर रोने लगी. मेरी समझदार मां बिना कुछ कहेसुने समझ गई कि मैं मानसिक तौर पर परेशान हूं. उन्होंने उसी वक्त डाक्टर को कौल किया और इलाज के लिए घर में बुलाया. मां को देखते ही जैसे मेरा सारा टैंशन और दुख खत्म हो गया और मैं अपनेआप को हलका महसूस करने लगी.

उसी दिन मुझे मां की ताकत का अंदाजा लगा. मेरी मां ज्यादा बात नहीं करती है लेकिन दिल की बात समझ जाती है. उस परेशानी के दौर में मां ने मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ा, जब तक कि मैं नौर्मल नहीं हो गई. आज मैं खुद एक बेटी की मां हूं, मां का प्यार और उस की चिंता को अच्छी तरह समझ सकती हूं. मेरी मां मेरी सपोर्ट सिस्टम है, उन के बिना मैं कुछ भी नहीं हूं.

खुशी कपूर : श्रीदेवी

जाह्नवी और मैं, हम दोनों बहनों के लिए हमारी मां श्रीदेवी बहुत ज्यादा प्रोटेक्टिव थीं. चाहे वे कितनी ही व्यस्त रहें लेकिन वे हमारे हर कदम पर नजर रखती थीं. वे पौपुलर थीं लेकिन उन के व्यवहार में शर्मिलापन और झिझक थी. मां को अपनी फिल्में हमें दिखाने में शर्म महसूस होती थी, लेकिन क्योंकि हमें अपनी मां का अभिनय बहुत पसंद था इसलिए हम छिपछिप कर उन की फिल्में देखा करते थे.

मुझे उन की फिल्मों में सब से अच्छी फिल्म ‘सदमा’ लगती थी. फिल्म ‘सदमा’ के अलावा ‘चांदनी’ और ‘लम्हे’ मेरी फेवरिट फिल्में हैं.

हम उन के साथ शूटिंग पर भी जाया करते थे और पूरे सैट पर दौड़ा करते थे, उधम मचाया करते थे. जब हम मां के साथ विदेश जाते थे शूटिंग के लिए, तब हम दोनों को वहां बहुत मजा आता था.

मां के साथ बिताया हर पल मेरे लिए यादगार है. जब भी मैं उन के बारे में सोचती हूं तो मेरी आंखें भर आती हैं. कई बार तो ऐसा लगता ही नहीं है कि वे हमारे बीच नहीं हैं. मैं उन को हर पल मिस करती हूं. कोई उन के बारे में बात करता है तो मुझे मां की इतनी याद आती है कि मैं बहुत दुखी हो जाती हूं. मां हमारी सब से अच्छी दोस्त थी. वह हमें अच्छे और बुरे की पहचान बताती थी. ‘अपने फायदे के लिए कभी किसी का दिल न दुखाना…’ ऐसा वे हमेशा कहा करती थीं.

कई बार लगता है कि काश, वे वापस हमारे पास आ जाएं क्योंकि उन के जाने के बाद जीवन में खालीपन आ गया है. मेरा मानना है कि जिस के साथ उस की मां है वह दुनिया का सब से खुशनसीब आदमी है.

सुष्मिता सेन : सुभ्रा सेन

मिस यूनिवर्स रहीं बौलीवुड ऐक्ट्रैस सुष्मिता की मां सुभ्रा सेन जिंदगी के हर संघर्ष में हमेशा उन के साथ थीं.

सुष्मिता के अनुसार, मेरी मां ने मुझे हमेशा सिरआंखों पर बैठा कर रखा. सीधीसादी शक्ल होने की वजह से कभी किसी से आलोचना सुनने के बाद अगर निराश और दुखी हो जाती थी, एक वक्त मैं दुबलीपतली थी, जिस की वजह से कई बार लोग जब मुझे ताने मारा करते थे, उस वक्त मेरा आत्मविश्वास बढ़ाने वाली, मुझे प्रोत्साहित करने वाली मेरी मां ही थी.

मां के अनुसार, अगर हम कुछ करने की ठान लें, तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. बस, हमारे इरादे पक्के होने चाहिए. मां की यही बातें मेरे दिलोदिमाग पर असर करती थीं और मुझे कुछ अलग बनने के लिए प्रेरित भी करती थी.

जब मैं ने मौडलिंग और मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के लिए तैयारी शुरू की थी, उस वक्त हमलोगों के पास आम जरूरत से अधिक पैसा नहीं था. हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए डिजाइनर गाउन खरीद सकूं, लेकिन उस वक्त भी मुझ में आत्मविश्वास था. कुछ कर दिखाने का जनून था, जो मुझे अपनी मां से विरासत में मिला था.

मेरी मां को मुझ से बहुत उम्मीदें थीं और मैं ने अपनी मां की उम्मीदों और जज्बे को बिखरने नहीं दिया. मुझे आज भी याद है कि मिस यूनिवर्स के लिए देशविदेश से आई प्रतियोगी मौडलों ने महंगेमहंगे डिजाइनर गाउन पहने थे, लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे. इसलिए मैं ने मोहल्ले के ही एक टेलर से जो मेरी मां को भी पहचानता था, उस से खासतौर पर एक खूबसूरत गाउन बनवाया.

मेरी मां मुझे हमेशा कहती थीं कि लोग किसी भी चीज की कीमत नहीं बल्कि प्रेजैंटेशन देखते हैं. तुम जो भी पहनो वह तुम पर सब से अच्छा और अलग दिखना चाहिए. मैं ने अपनी मां की बातों को ध्यान में रख कर वैसा ही किया. मजे की बात तो यह है कि उस दौरान मां के दिए गए आइडिया के अनुसार मैं ने हाथ में काले मोजे पहने थे, जो बाद में स्टाइल बन गया. किसी को नहीं पता था कि मैं ने अपने हाथों में मोजे पहने हुए हैं.

सच बात तो यह है कि अपनी मां के आत्मविश्वास और प्यार के चलते ही मैं मिस यूनिवर्स बन पाई क्योंकि आप भले ही कितने ही टेलैंटेड और आत्मविश्वासी हो, इतने बड़े इवेंट के दौरान नर्वस हो ही जाते हैं. लेकिन अगर आप के साथ आप की मां का सपोर्ट है तो आप में चांद को छूने की भी ताकत आ जाती है. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था.

मैं आज जो भी कुछ हूं उस का पूरा श्रेय मेरी मां को ही जाता है क्योंकि अगर वह मेरे साथ नहीं होती, तो नाजुक मौकों पर जहां मैं इमोशनली फेल होने वाली थी, जहां मैं टूट जाती, वहां मां की वजह से हजारों तकलीफों और परेशानियों के बावजूद मैं विश्वास के साथ खड़ी हूं. ऐसे में कहना गलत न होगा कि मेरी मां ही मेरी ताकत है, मेरा आत्मविश्वास और मेरा सब से पहला प्यार है.

सारा अली खान : अमृता सिंह

सारा अली खान की मां और सैफ अली खान की तलाकशुदा पत्नी अमृता सिंह एक स्ट्रौंग वूमन हैं जिन्होंने बिना किसी शोरशराबे और बिना किसी दिखावे के अपने दोनों बच्चों सारा अली खान और इब्राहिम अली खान को बतौर सिंगल मदर बड़ा किया और अच्छी परवरिश दी.

सारा अली खान अपनी मां को स्ट्रौंग वूमन मानती हैं, जो अकेले दम पर अपने बच्चों की शानदार परवरिश कर सकती है.

सारा अली के अनुसार, मैं अपनी मां को सिर्फ प्यार ही नहीं करती बल्कि उन की इज्जत भी करती हूं क्योंकि वे एक स्वाभिमानी औरत हैं और बिना किसी का सहारा लिए अकेली अपने बच्चों को संभालने की ताकत रखती हैं.

मेरी मां और मांओं से थोङी अलग हैं क्योंकि न तो उन को खाना बनाने का शौक है और न ही उन को ड्राइविंग आती है. जब मैं स्कूल के दौरान बड़ी हो रही थी तो मुझे अपने दोस्तों की मां से अपनी मां बहुत अलग लगती थी. मैं ने अपनी मां से कहा कि मेरी फ्रैंड्स की मां को खाना बनाना आता है, ड्राइविंग आती है, आप को यह सब क्यों नहीं आता? तब मेरी मां ने जवाब दिया कि क्या तुम्हारे दोस्तों की मां को घुड़सवारी और ऐक्टिंग आती है?

उसी दिन मुझे एहसास हो गया कि मेरी मां सब से अलग और सब से स्पैशल है. उन्होंने हमें कभी भी अकेलापन महसूस होने नहीं दिया क्योंकि वे खुले विचारों की हैं इसलिए उन्होंने हमें भी उड़ने के लिए पंख दिए. हमारी सोच और लोगों से ज्यादा हमारी मां की वजह से काफी अलग है क्योंकि वे खुद भी बहुत स्ट्रौंग और प्रैक्टिकल हैं.

पिता से तलाक के बाद भी वे मजबूत रहीं, वैसा ही मजबूत और इरादों का पक्का उन्होंने हम बच्चों को भी बनाया है. वे मेरा इंस्पिरेशन हैं. एक मजबूत औरत के तौर पर जिस ने सम्मान के साथ अपनी पूरी जिंदगी जी है उन की मैं दिल से इज्जत और बहुत सारा प्यार करती हूं. मेरी मां वर्ल्ड की बैस्ट मां हैं.

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