पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी कर्नाटक के भारतीय क्लासिक परंपरा के एक भारतीय गायक थे. वे गायिकी के ख्याल प्रकार के लिए प्रसिद्ध है, और साथ ही वे अपने प्रसिद्ध भक्तिमय भजनों और अभंगो के लिए भी जाने जाते है.

प्रारंभिक जीवन

भीमसेन गुरुराज जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 को कर्नाटक के धारवाड़ (गडग) जिले के रोन ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम गुरुराज जोशी थे जो कन्नड़-इंग्लिश शब्दकोष के लेखक थे और मां का नाम गोदावरीदेवी था जो एक गृहिणी थी. अपने 16 भाई-बहनों में भीमसेन सबसे बड़े थे. युवावस्था में ही उन्होंने अपनी माता को खो दिया था और बाद में उन्हें उनकी सौतेली मां ने बड़ा किया था. बचपन से ही भीमसेन में संगीत के प्रति प्रेम और रूचि थी और इसके साथ ही संगीत के वाद्य जैसे हार्मोनियम और तानपुरा बजाना भी उन्हें काफी पसंद था. वे दिन-रात संगीत का अभ्यास करते रहते और कभी-कभी तो अभ्यास करते-करते ही उनकी नींद लग जाती.

भीमसेन गुरुराज जोशी का कैरियर

1941 में 19 साल की आयु में उन्होंने अपना पहला लाइव परफॉरमेंस दिया था. उनके पहले एल्बम में मराठी और हिंदी भाषा के कुछ भक्ति गीत और भजन थे, इसे 1942 में HMV ने रिलीज किया था. 1943 में  भीमसेन गुरुराज जोशी मुंबई चले गए और वहाँ रेडियो आर्टिस्ट के रूप में काम करने लगे. 1946 में गुरु सवाई गंधर्व के 60 वे जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परफॉरमेंस की दर्शको के साथ ही उनके गुरु ने भी काफी प्रशंसा की थी.

भीमसेन गुरुराज जोशी का व्यक्तिगत जीवन

भीमसेन ने दो शादियां की. उनकी पहली पत्नी उनके अंकल की बेटी सुनंदा कट्टी थी, उनकी पहली शादी 1944 में हुई थी. सुनंदा से उन्हें चार बच्चे हुए, राघवेन्द्र, उषा, सुमंगला और आनंद. 1951 में उन्होंने कन्नड़ नाटक भाग्य-श्री में उनकी सह-कलाकारा वत्सला मुधोलकर से शादी कर ली. उस समय बॉम्बे प्रांतों में हिन्दुओ में दूसरी शादी करना क़ानूनी तौर पर अमान्य था इसीलिए वे नागपुर रहने के लिए चले गए, जहाँ दूसरी शादी करना मान्य था. लेकिन अपनी पहली पत्नी को ना ही उन्होंने तलाक दिया था और ना ही वे अलग हुए थे. वत्सला से भी उन्हें तीन बच्चे हुए, जयंत, शुभदा और श्रीनिवास जोशी. समय के साथ-साथ कुछ समय बाद उनकी दोनों पत्नियां एक साथ रहने लगी और दोनों परिवार भी एक हो गए, लेकिन जब उन्हें लगा की यह ठीक नही है तो उनकी पहली पत्नी अलग हो गयी और लिमएवाडी, सदाशिव पेठ, पुणे में किराये के मकान में रहने लगी.

 

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी की उपलब्धियां

• 1972 – पद्म श्री
• 1976 – संगीत नाटक अकादमी अवार्ड
• 1985 – पद्म भुषण
• 1985 – बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड
• 1986 – “पहली प्लैटिनम डिस्क”
• 1999 – पद्म विभूषण
• 2000 – “आदित्य विक्रम बिरला कलाशिखर पुरस्कार”
• 2002 – महाराष्ट्र भुषण
• 2003 – केरला सरकार द्वारा “स्वाथि संगीता पुरस्कारम”
• 2005 – कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक रत्न का पुरस्कार
• 2009 – भारत रत्न
• 2008 – “स्वामी हरिदास अवार्ड”
• 2009 – दिल्ली सरकार द्वारा “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड”

• 2010 – रमा सेवा मंडली, बंगलौर द्वारा “एस व्ही नारायणस्वामी राव नेशनल अवार्ड”

पंडित भीमसेन जोशी को “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के लिए भी याद किया जाता है, जिसमें उनके साथ बालमुरली कृष्णा और लता मंगेशकर ने जुगलबंदी की थी. तभी से वे “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के जरिये घर-घर में पहचाने जाने लगे। तब से लेकर आज भी इस गाने के बोल और धुन पंडित भीमसेन जी की पहचान बने हुए है.

देहांत

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी का देहांत 24 जनवरी 2011 को हुआ.

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