साल 2016 में रियल लाइफ हीरोज की इंस्पीरेशनल स्टोरी पर बेस्ड फिल्मों का ट्रेंड़ पूरे साल जारी रहा. साल की शुरूआत में फिल्म ‘नीरजा’ आई थी. वहीं साल के खत्म होते होते ‘दंगल’ जैसा हिट बायोपिक भी आया.
इन फिल्मों की सफलता ने यह साबित किया कि अच्छी फिल्म बनाने के लिए एक्शन दृश्यों और फूहड़ हास्य की जरूरत नहीं होती. कहानी को अगर सही पटकथाकार और निर्देशक के साथ किरदारों के अनुरूप अभिनेता मिल जाते हैं तो यह फिल्म काल्पनिक कहानियों पर बनी फिल्मों को कहीं पीछे छोड़ देती हैं. आइए डालते हैं एक नजर उन बायोपिक फिल्मों पर जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के कीर्तिमान स्थापित किए और साथ ही ऑडियंस के दिलों को छुआ.
नीरजा
इस सूची में सबसे पहला नाम राम माधवानी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘नीरजा’ का आता है. सोनम कपूर अभिनीत ‘नीरजा’ उनके नौ साल के करियर की पहली ऐसी फिल्म रही, जिसने बॉक्स ऑफिस पर अपनी लागत का ढाई सौ गुना ज्यादा कारोबार किया.
यह फिल्म उस अपहृत विमान की फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट की सच्ची कहानी पर आधारित थी, जिसने विमान में सवार 270 यात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की. सोनम कपूर के करियर में इस फिल्म ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सरबजीत
भारत के सरबजीत सिंह को पाकिस्तान ने 22 सालों तक जेल में रखा . सरबजीत के जीवन पर आधारित फिल्म ‘सरबजीत’ में रणदीप हुड्डा ने सरबजीत का किरदार निभाया. वहीं एश्वर्या राय बच्चन सरबजीत की बहन दलबीर कौर बनीं थी.
एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी
टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी यह फिल्म बायोपिक श्रृंखला की फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म है. निर्देशक नीरज पांडे ने इस फिल्म को परदे पर उतारने से पहले धोनी के जीवन की हर छोटी-बडी घटना का गहराई से अध्ययन किया, उसके बाद उन्होंने इसे परदे पर उतारा.
धोनी के रूप में सुशांत सिंह राजपूत से उन्होंने कडी मेहनत करवाई नजीता परदे पर तब नजर आया जब दर्शकों को सुशांत सिंह राजपूत के रूप में परदे पर स्वयं ‘धोनी’ नजर आया. बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने 145 करोड़ का कारोबार करके खेल फिल्मों की सर्वश्रेष्ठता सिद्ध की.
दंगल
23 दिसंबर को परदे पर आई आमिर खान निर्मित और अभिनीत ‘दंगल’ बायोपिक फिल्मों में अपनी एक अलग जगह बनाई इसमें कोई शक नहीं. हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगाट की जिंदगी पर आधारित यह फिल्म पूरी तरह से महिला सशक्तिकरण को दर्शाती है.
अजहर
अजहर की सच्चाई – इमरान हाश्मी स्टारर फिल्म ‘अजहर’ में इंडियन क्रिकेट टीम के फॉरमर कैप्टन मोहम्मद अजरूद्दीन की लाइफ को दिखाया गया. मैच फिक्सिंग स्केंडल को भी फिल्म में शामिल किया गया था. फिल्म में नरगिस फखरी, प्राची देसाई और लारा दत्ता भी नजर आई.
अलीगढ़
जीवनियों पर बनने वाली फिल्मों में निर्देशक हंसल मेहता और अभिनेता मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘अलीगढ़’ हिन्दी सिनेमा के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में है. अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में अभिनेता मनोज वाजपेयी ने जो अभिनय किया, वह विरले ही देखने को मिलता है. हंसल मेहता ने अपनी फिल्म ‘अलीगढ़’ में अदालत में चले विवादास्पद और संवेदनशील मामले को छुआ, जो कॉलेज के एक समलैंगिक प्रोफेसर के जीवन पर आधारित है.
रूस्तम
कानून के सुप्रसिद्ध केस के.एम. नानावटी पर आधारित निर्देशक नीरज पांडे की फिल्म ‘रूस्तम’ को भी दर्शकों ने हाथों हाथ लिया. ‘रूस्तम’ के रूप में नजर आए अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटी लेकिन नीरज पांडे जितने धोनी में सफल रहे, यहां वे कुछ कमतर साबित हुए. शोध की कमी के चलते इस फिल्म में कई कमियां नजर आईं, जिसके चलते इसका विरोध भी हुआ. अन्त में निर्माताओं को कहना पड़ा कि यह फिल्म बायोपिक नहीं बल्कि उस पर आधारित है.
ट्रैफिक
अभिनेता मनोज वाजपेयी की इस साल आई फिल्मों में यह उनकी दूसरी बायोपिक थी, जिसमें चेन्नई की एक असल घटना को दिखाया गया था. ट्रैफिक हवलदार के रूप में सशक्त भावाभिक्ति देने वाली मनोज वाजपेयी ने इस किरदार के लिए ट्रैफिक हवलदार की ट्रेनिंग भी ली थी.
समीक्षकों द्वारा सराही गई यह फिल्म कोई कमाल नहीं दिखा पाई थी. ‘ट्रैफिक’ चेन्नई में असल जीवन की घटना पर आधारित थी, जिसमें चिकित्सकों और यातायात पुलिसकर्मियों ने एक लड़की को नया जीवन देने के लिए मिलकर काम किया था.
वीरप्पन
एक लंबे अन्तराल के बाद निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने हिन्दी फिल्मों में ‘वीरप्पन’ के जरिए वापसी की. अपने ही अंदाज और अनूठी शैली के लिए ख्यात वर्मा ने चंदन तस्कर ‘वीरप्पन’ की जिंदगी को शिद्दत के साथ परदे पर उतारा. ‘वीरप्पन’ को पकड़ने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों ऑपरेशन कोकून चलाया गया था. वर्मा का निर्देशन काबिल-ए-तारीफ था. लेकिन बाजी मारी थी अभिनेता संदीप भारद्वाज ने जिन्होंने ‘वीरप्पन’ के रूप में उसकी दरिंदगी को परदे पर सशक्तता के साथ पेश किया. कई खूबियों के बावजूद यह फिल्म दर्शकों के जेहन में अपनी जगह बनाने में नाकामयाब रही.