आज बौलीवुड का एक भी कलाकार या निर्देशक जमीन से जुड़ा हुआ नहीं है. परिणामस्वरूप बौलीवुड की फिल्में बौक्स औफिस पर बुरी तरह से औंधे मुंह गिर रही हैं. वर्तमान समय के सभी कलाकार खुद को आम इंसानों से दूर ले जाने के तरीकों पर ही अमल करते हैं. मु झे अच्छी तरह याद है कि एक वक्त वह था, जब हम किसी भी फिल्म के सैट पर कभी भी जा सकते थे और सैट पर स्पौट बौय से ले कर कलाकार तक किसी से भी मिल सकते थे. उन दिनों कलाकारों के फैंस भी सैट पर आ कर उन से मिला करते थे. उन दिनों सैट पर हर किसी का भोजन एकसाथ ही लगता था. लेकिन अब ऐसा नहीं रहा. अब कलाकार पहली फिल्म साइन करते ही पीआर, मैनेजर व सुरक्षा के लिए बाउंसरों की सेवाएं ले कर खुद को कैद कर लेता है. सैट पर पत्रकारों या फैंस का जाना मना हो चुका है.

अब कलाकार सैट पर ज्यादा देर नहीं रुकता. वह हमेशा अपनीअपनी वैनिटी में बैठा रहता है. सीन के फिल्मांकन के वक्त वैनिटी वैन से निकल कर कैमरे के सामने जा कर परफौर्म करता है और फिर वैनिटी वैन में घुस जाता है.

ऐसे में जमीनी हकीकत से कैसे वाकिफ हो सकता है? उसे कैसे पता चलेगा कि उस की अपनी फिल्म के सैट पर किस स्पौट बौय के साथ किस तरह की समस्याएं हैं अथवा किस स्पौट बौय के पड़ोसी अब किस तरह की फिल्में देखना चाहते हैं.

इस के ठीक विपरीत दक्षिण भाषी कलाकार सदैव ऐसे लोगों के साथ जुड़ा रहता है. जब रामचरन की फिल्म ‘आरआरआर’ ने खूब पैसे कमाए और इस के लिए मुंबई में पांचसितारा होटल में फंक्शन रखा गया, तो मुंबई आने से पहले रामचरन ने इस फिल्म से जुड़े लोगों को अपने घर बुलाया और सभी को 10-10 ग्राम सोने के सिक्के देते हुए उन के साथ लंबी बातचीत की. सभी का हालचाल भी पूछा.

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