सिनेमा मनोरंजन का साधन है. सिनेमा के माध्यम से मनोरंजन के साथ सीख देना एक फिल्मकार के लिए आसान कभी नहीं होता है. यही प्रयास नृत्य निर्देशक से फिल्म निर्देशक बने रेमो डिसूजा ने अपनी चौथी फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ में की है, जिसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं रहे.
सुपर हीरो वाली फैंटसी फिल्म की कहानी के केंद्र में एक पेड़ को बचाने की कवायद है. पर कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यों त्यों यह मसला पूरी तरह से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई बन जाती है. अब एक तरफ प्रदूषण से शक्ति पाने वाला राका (नाथन जोंस) है, तो दूसरी तरफ अच्छी शक्तियों व नेक इरादे से युक्त फ्लाइंग जट (टाइगर श्राफ) है.
कहानी पंजाब के एक शहर की है. इस शहर की नदी किनारे करतार सिंह कालोनी है. नदी किनारे एक पेड़ है, जिसकी काफी मान्यताएं हैं. करतार सिंह कालोनी के लोग इस पेड़ को भगवान की तरह पूजते हैं. लोगों की हर मनोकामना यह पेड़ पूरा कर देता है. पता चलता है कि यह पेड़ अमन उर्फ फ्लाइंग जट (टाइगर श्राफ) के पिता करतार सिंह ने लगवाया था, जिनकी कैंसर से मौत हो गयी थी. अमन अपनी मां और भाई रोहित (गौरव पांडेय) के साथ इसी कालोनी में रहता है. अमन की मां इस पेड़ की रक्षा करने के लिए किसी से भी लड़ जाती है, जबकि वह शराबी भी है. अमन एक स्कूल में मार्शल आर्ट शिक्षक है, मगर बहुत डरपोक है. उसे उंचाई से डर लगता है. अमन उसी स्कूल की शिक्षक कीर्ति (जैकलीन फर्नांडिज) से प्यार करता है. कीर्ति भी अमन से प्यार करती है.
शहर के उद्योगपति मल्होत्रा (केके मेनन) चाहते हैं कि इस नदी पर पुल बन जाए, तो उनके व्यापार के लिए बहुत फायदेमंद हो जाएगा. इसके लिए पेड़ का कटना जरुरी है. उसकी कंपनी के लोग इस पेड़ की जगह खरीदने के लिए अमन की मां से बात करने पहुंचते हैं, पर वह उनकी पिटाई कर भगा देती है. तब मल्होत्रा खुद जाते हैं और वह बाजार भाव से दुगनी कीमत देने को तैयार हैं, पर बात नहीं जमती है. तब मल्होत्रा धमकी देकर चला जाता है.
दूसरे दिन मल्होत्रा अपने घर पर अमन को बुलाकर समझाता है कि हर इंसान के लिए मां से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता. उसे अपनी मां की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए. उसके बाद मल्होत्रा एक खूंखार अपराधी राका को बुलाकर उसे पेड़ को काटने का आदेश देता है.
इधर मल्होत्रा के घर से वापस आने के बाद रात में अमन पेड़ के पास अपनी मां की सुरक्षा की मन्नत मांगने जाता है, वहां राका उस पेड़ को काटने पहुंचता है. राका और अमन में लड़ाई होती है. ताकतवर राका, अमन को अधमरा कर देता है और उसे पेड़ की तरफ धक्का देता है. अमन की पीठ पेड़ पर बने सिख धर्म के चिन्ह से जाकर टिकती है. अमन की पीठ पर भी वह चिन्ह अंकित हो जाता है. फिर अचानक अमन को दैविक शक्ति मिल जाती है. वह राका को मारते हुए गंदे नाले में फेंक देता है. इधर वह हैरान है. उसके शरीर पर चोट के निशान नहीं है. दूसरे दिन वह अपने भाई रोहित के सामने ही कई गुंडो से भिड़ जाता है. गुंडों की गोलियों का भी उस पर असर नहीं होता. सब कुछ जानकर अमन की मां उसके लिए एक खास तरह की पोशाक सिलकर देती है और उसे फ्लाइंग जट नाम देती है, इसी नाम से लोग अमन के पिता को भी बुलाया करते थे. फिर फ्लाइंग जट कई कारनामे करता है. अमन उर्फ फ्लाइंग जट के कारनामों की वजह से मल्होत्रा का व्यापार ठप हो जाता है.
एक दिन राका बहुत गंदे नाले से निकल कर मल्होत्रा के पास पहुंचता है. उसकी हालत देखकर मल्होत्रा अपने अस्पताल के डाक्टर के पास उसे ले जाते हैं. डाक्टर जांच करने के बाद बताते हैं कि राका का खून पूरा काला हो गया है. पता चलता है कि गंदगी, सिगरेट व फैक्टरियों के निकलने वाले धुंएं से अब उसे ताकत मिलती है. फिर फ्लाइंग जट व राका के बीच युद्ध शुरू हो जाता है. एक दिन राका, फ्लाइंग जट को अधमरा कर देता है. उस वक्त मल्होत्रा सभी से कहते हैं कि उन लोगों ने उनकी जीत आसान कर दी. वह जो गंदगी व प्रदूषण फैलाते हैं, वही राका की ताकत बन गयी. इसी बीच मल्होत्रा की छोटी बेटी प्रदूषण की ही वजह से मौत के मुंह में समा जाती है. रोहित भी राका के हाथों मारा जाता है. उसके बाद फ्लाइंग जट व राका लड़ते लड़ते अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं. अंतरिक्ष में प्रदूषण न होने से राका की ताकत कम होती जाती है और वह मारा जाता है.
अंततः फ्लाइंग जट सकुशल अपने घर आ जाता है. उसके बाद सभी बच्चे व नागरिक ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की मुहिम शुरू कर देते हैं.
एक स्तरहीन कहानी व स्तरहीन पटकथा पर बनी फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ जिस मकसद से बनायी गयी है, उस मकसद को भी सही ढंग से पूरा नही कर पाती. इंटरवल के बाद फिल्म इतनी उबाउ हो जाती है कि दर्शक सोचने लगता है कि यह फिल्म कब खत्म होगी. इसके लिए पूरी तरह से फिल्म के लेखक आकाश कौशिक व मधुर शर्मा ही ही दोषी हैं. लेखक यह स्थापित करने में भी विफल रहे हैं कि अमन व रोहित भाई हैं. फिल्म में पेड़ बचाओ व प्रदूषण के खिलाफ जो बाते कही गयी हैं, उनका असर भी सही ढंग से नहीं हो पाता है. जिन लोगों ने हृतिक रोशन वाली फिल्म ‘‘कृष’’ देख रखी है, उन्हे भी यह फिल्म पसंद नहीं आएगी. इसमें फ्लाइंग जट जो कुछ करता है, वह सब कृष पहले ही कर चुका है. कृष में सब कुछ वैज्ञानिक शोध के इर्दगिर्द था, यहां देसीपना है कि सब कुछ आज की समस्या प्रदूषण को लेकर है. पर कहानी में कोई नवीनता नहीं है.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके प्रशंसक जरूर खुश होंगे कि फिल्म में मोदी जी के स्वच्छता अभियान की बात की गयी है. पूरी फिल्म में कहीं भी भावनाएं व संवेदनाएं ठीक से नहीं उभर पायी. फिर चाहे वह मां व बेटे के बीच का संबंध हो या मल्होत्रा की पांच छह साल की बेटी के मौत के मुंह में समाने का सीन हो. यह सारे सीन बहुत मशीनी लगते हैं. यहां पर निर्देशक भी मात खा गए. रोमांस भी ठीक से नहीं दिखा पाए. निर्देशक रेमो डिसूजा मूलतः नृत्य निर्देशक हैं, इसलिए उन्होंने बेवजह गाने भर दिए हैं, जो कि फिल्म को कमजोर करते हैं. एक गीत ‘चल चलिए’ अच्छा है. फिल्म का क्लायमेक्स तो बहुत ही ज्यादा बोर करता है.
राका और फ्लाइंग जट के बीच अंतरिक्ष, चंद्रमा और फिर अंतरिक्ष यान के अंदर युद्ध के दृश्य भले ही सिनेमायी स्वतंत्रता के नाम पर सही ठहराए जाएं, मगर जिस तरह से यह दृश्य विस्तारित किए गए हैं, वह गड़बड़ लगते हैं. फिल्म मनोरंजन का दामन थाम जैसे ही सार्वजनिक हित मे उपदेशात्मक बाते करना शुरू करती है, वैसे ही निर्देशक की फिल्म पर पकड़ कमजोर हो जाती है. फिल्म के कई सीन विदेशी फिल्मों से चुराए गए लगते हैं. फिल्म में सरदार जी के 12 बज गए की असल कथा लोगों का ज्ञानवर्धन करती है.
जहां तक अभिनय का सवाल है, तो ‘हीरोपंती’ और ‘बागी’ के बाद इस फिल्म में टाइगर श्राफ कुछ कमतर हो गए हैं. जैकलीन से अभिनय की उम्मीद करना ही बेकार है. वैसे भी टाइगर श्राफ व जैकलीन की जोड़ी परदे पर नहीं जमी. के के मेनन और अमृता सिंह के किरदार छोटे हैं, पर दोनों ने ठीक काम किया है. विलेन राका के किरदार में नाथन जोंस सराहनीय हैं.
अंत में हमारी समझ में यह नहीं आया कि मेहनत की कमाई के पैसे इस फिल्म के देखने में क्यों खर्च किए जाएं. हां! छोटे बच्चों को कुछ दृश्य पंसद आ सकते हैं. अन्यथा टीवी पर जब यह फिल्म आए, तो इसे देखा जा सकता है.
दो घंटे 31 मिनट की फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ की निर्माता शोभा कपूर व एकता कपूर, कहानी लेखक व निर्देशक रेमो फर्नांडिज, पटकथा लेखक आकाश कौशिक, संवाद मधुर शर्मा, संगीतकार सचिन जिगर, कलाकार हैं- अमृता सिंह, टाइगर श्राफ, जैकलीन फर्नाडिज, के के मेनन, नाथन जोंस, गौरव पांडे व अन्य.