मध्यप्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब सबसे छोटे बालक ने जन्म लिया तो कौन जानता था कि आगे चलकर यह बालक अपने देश और परिवार का नाम रौशन करेगा.

भाई-बहनों में सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रुझान बचपन से ही संगीत की ओर था. महान अभिनेता एवं गायक के.एल. सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह के गायक बनना चाहते थे.

किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार चाहते थें कि किशोर नायक के रूप में अपनी पहचान बनाएं, लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पाश्र्व गायक बनने की चाह थी.

किशोर कुमार को अपने करियर में वह दौर भी देखना पड़ा, जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था. तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवनयापन करने को मजबूर थे. बंबई में आयोजित एक ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ.पी. नैय्यर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने भावविह्ल होकर कहा कि महान प्रतिभाएं तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं, लेकिन किशोर कुमार जैसा पाश्र्व गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है. उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पाश्र्व गायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया.

वर्ष 1969 में निर्माता निर्देशक शक्तिसामंत की फिल्म ‘आराधना’ के जरिए किशोर कुमार गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बनें. सन् 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्योता मिला. किशोर कुमार को उनके गाए गीतों के लिए 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.

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