मेवाती घराने के मशहूर शास्त्रीय संगीत गायक पंडित जसराज का सोमवार, 17 अगस्त को अमेरिका के न्यूजर्सी शहर के उनके अपने घर में हार्ट अटैक से देहांत हो गया था . बुधवार को न्यूजर्सी से उनका पार्थिव शरीर मुंबई लाया गया .मुंबई एयरपोर्ट पर उनके पार्थिव शरीर  को उनकी पत्नी मधुरा जब, बेटे शारंगदेव, बेटी  दुर्गा जसराज वह उनके पोतों ने स्वीकार किया. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मुंबई के वर्सोवा इलाके में स्थित उनके घर पर  ले जाया गया.

आज यानी 20 अगस्त, गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के विले पार्ले शमशान गृह में संपन्न होगा. उससे पहले सुबह 10:00 बजे से उनके पार्थिव शरीर को उनके मकान की इमारत में आम लोगों  और उनके प्रशंसकों के दर्शन  करने के लिए रखा जाएगा.पंडित जसराज के प्रशंसक उनका अंतिम दर्शन आज दोपहर 3 बजे तक कर सकेंगे .उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को विलेपार्ले के शमशान गृह ले जाया जाएगा.

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हरियाणा में 28 जून 1930 को जन्मेपंडित जसराज पद्माश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण सहित तमाम पुरस्कारों/ उपाधियों से नवाजे जा चुके थे.उन्होंने शास्त्रीय और सेमी क्लासिक गायन के क्षेत्र में जो मुकाम बनाया था, वह  बिरले गायकों के हिस्से आया है .पंडित जसराज ने भारत के अलावा कनाडा और अमेरिका में भी लोगों को संगीत की शिक्षा दी.पंडित जसराज ने सप्त ऋषि चक्रवर्ती, संजीव अभय शंकर, कलारामनाथ, तृप्ति मुखर्जी, सुमन घोष, शशांक सुब्रमण्यम, अनुराधा पोडवाल, साधना सरगम और रमेश नारायण को भी संगीत की शिक्षा दीपंडित जसराज ने 'भारतीय शास्त्रीय संगीत' के मुंबई के अलावा केरल, न्यूजर्सी, अटलांटा, टाम्पा,  वान कुबेर,  टोरंटो, पित्तस वर्ग  में स्कूल खोलें. 90 वर्ष की उम्र में भी वह कुछ अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को 'स्काइप' के माध्यम से संगीत की शिक्षा दे रहे थे.

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