Ravi Kishan: कहते हैं कि जहां चाह वहां राह यानि जब कुछ करने की ख्वाहिश दिल से होती है तो रास्ते अपनेआप बन जाते हैं. भोजपुरी फिल्मों के ऐक्टर और नेता रवि किशन के साथ भी 10 साल की उम्र में कुछ ऐसा ही हुआ और उन को घर छोड़ कर मुंबई भागना पड़ा.

हाल ही में आईफा अवार्ड में किरण राव निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडीज’ के लिए आईफा अवार्ड मिलने के दौरान रवि किशन ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया,”लोग चल चल कर तरक्की की सीढ़ियों तक पहुंचते हैं, मैं रेंगरेंग कर यहां तक पहुंचा हूं.”

ऐक्टिंग की शुरुआत

रवि किशन के अनुसार,”मैं बचपन से ही ऐक्टर बनना चाहता था. ऐक्टिंग का एक भी मौका नहीं छोड़ता था. एक बार मुझे अपने गांव में रामलीला में सीता का किरदार निभाने का मौका मिला. मैं ने खुशीखुशी वह रोल निभाया. सभी को मेरा काम अच्छा लगा. लेकिन यह बात जब मेरे पिताजी को पता चली तो वह गुस्से से लालपीले हो गए क्योंकि वे ऐक्टिंग के सख्त खिलाफ थे और इसीलिए उन्होंने मुझे इतना पीटा कि मुझे घर से भागना पड़ा.”

रवि ने बताया,”मेरी मां को भी पता था कि मेरे पिता बहुत गुस्से वाले हैं और वे किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए उन्होंने मुझे कुछ पैसे दिए और घर छोड़ कर भागने के लिए कह दिया क्योंकि मेरी मां को डर था कि कहीं पिताजी गुस्से में मेरी जान न ले लें. मुंबई आ कर मेरा ऐक्टिंग सफर शुरू हुआ. मैं ने हिंदी के अलावा भोजपुरी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ आदि भाषा की कई फिल्मों में काम किया.

“अब तक मैं 750 फिल्में कर चुका हूं. आज मुझे लग रहा है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है, क्योंकि उस दिन अगर मेरे पिताजी मुझे नहीं मारते, पिताजी के डर से मैं मुंबई नहीं आता तो आज मैं दर्शकों के सामने अवार्ड नहीं ले रहा होता. फिल्म ‘लापता लेडीज’ के लिए, जिस के लिए मैं किरण राव का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे ‘लापता लेडीज’ में काम करने का मौका दिया.

अगर रवि किशन के वर्कफ्रंट की बात करें तो वे ‘सन औफ सरदार 2’ में एक खास भूमिका में नजर आएंगे, जिस की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है और फिल्म रिलीज के लिए तैयार है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...