रेटिंग: दो स्टार

निर्माता: लायका प्रोडक्षन, केप आफ गुड फिल्मस, अम्बुदुतिया इंटरटेनमेंट, अमेजान प्राइम वीडियो व स्कायवॉक फिल्मस

रचनात्मक निर्माता: डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी

निर्देशकः अभिषेक शर्मा

कलाकार: अक्षय कुमार,नुसरत भरूचा, जैकलीन फर्नाडिज, सत्यदेव कंचरण, प्रवेश राणा, नासर

अवधिः दो घंटे 22 मिनट

‘तेरे बिन लादेन’,‘द शौकीन्स’,‘तेरे बिन लादेनः डेड आर एलाइव’, ‘परमाणु’, ‘द जोया फैक्टर’, ‘सूरज पे मंगल भारी’ जैसी असफल फिल्मों के सर्जक अभिषेक शर्मा ने इस बार नकली हिंदुत्व, नकली राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ के सहारे अपनी नैय्या पार करने का असफल प्रयास किया है. फिल्मकार जब जब किसी खास ‘अजेंडे’ के तहत फिल्म बनाता रहा है, तब तब वह सिनेमा को बर्बाद करने का काम करता रहा है. अब यही काम फिल्मकार अभिषेक शर्मा ने फिल्म ‘‘रामसेतु’’ के माध्यम से किया है.

अभिषेक शर्मा के सिर पर पहली फिल्म के साथ ही आतंकवादी ओसामा बिन लादेन व आतंकवाद का ऐसा भूत सवार हुआ था कि वह ‘रामसेतु’ तक सवार ही है. इसी के साथ अब उनके उपर ‘श्रीराम’ व ‘राष्ट्रवादका भी भूत सवार हुआ है. इसलिए उन्होने अपनी फिल्म ‘रामसेतु’ में आतंकवाद, तालीबान, राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ का ऐसा कचूमर परोसा है कि दर्शक ने इस फिल्म से दूरी बना ली है. जबकि फिल्म के निर्माता एक टिकट खरीदने पर एक टिकट मुफ्त में दे रहा है.

वास्तव में अभिषेक शर्मा अब तक अधूरे ज्ञान, अधूरे शोधकार्य व अधूरी प्रामाणिकता के साथ ही ‘तेरे बिन लादेन’ से लेकर ‘पोखरण’ तक फिल्में परोसते रहे हैं. वही काम उन्होने ‘रामसेतु’ के साथ भी किया है. ‘राम सेतु’ प्राकृतिक है या इंसान ने बनवाया था, इसका सच एजागर करने के लिए फिल्मकार अभिषेक शर्मा अफगानिस्तान से भारत होते हुए श्रीलंका तक की यात्रा कर डालते हैं. पर परिणाम वही ढाक के तीन पात. उन्हे भारतीय इतिहास, राष्ट्वाद या धर्म किसी की कोई न समझ है और न ही वह समझना चाहते हैं.

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