रेटिंगः पांच में से साढ़े तीन स्टार

निर्माताः मनप्रीत जोहल और आषु मुनीष

लेखकः शरन आर्ट और हरनव बीर सिंह

निर्देशकः शरन आर्ट

कलाकारः तरसेम जास्सर, सिमी चहल,गुरप्रीत घुग्गी, करमजीत अनमोल, आरिफ जकरिया,  राहुल देव,बिंदु भुल्लर, हनी माटू, अवतार गिल व अन्य.

अवधिः दो घंटे 25 मिनट

भाषा: पंजाबी,हिंदी,तेलुगु व मलयालम

‘सरदार मोहम्मद‘, ‘गलवाकडी‘ और ‘रब दा रेडियो 2‘ जैसी सफलतम पंजाबी फिल्मों के  निर्देशक शरण आर्ट ने इस बार पीरियड,ऐतिहासिक व रोमांचक फिल्म ‘मस्ताने‘ में 1739 की सत्यकथा को पेष करने के साथ ही सिख योद्धाओं की वीरता उनके दृढ़ साहस और अटूट दृढ़ संकल्प की कहानी को पूरी ईमानदारी के साथ पेश किया है.फिल्म मुगल षासकों के खिलाफ होने के साथ ही हमारी जड़ों से जुड़ी हुई है.यह फिल्म देषभक्ति की बात करने के साथ ही हर इंसान को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का भी आव्हान रोमांचक तरीके से करती है.तो वहीं फिल्म में एक रोचक प्रेम कहानी भी है.बौलीवुड में देषभक्ति के नाम पर फिल्में परोसने वाले हर फिल्मकार को फिल्म ‘मस्ताने’ से सबक सीखना चाहिए.बहरहाल, पंजाबी सिनेमा को पैन इंडिया पहुॅचाने के लिए यह एक बेहतरीन फिल्म है.

कहानीः

फिल्म की कहानी 1739 की है.जब ईरान के तत्कालीन शासक नादिर शाह(  राहुल देव ) हिंदुस्तान को लूटकर हिदुंस्तानी औरतों को गुलाम बनाकर बेच रहा था,जिसके खिलाफ कुछ सिखों ने विरोध कर दिया था, जिन्हें सिख विद्रोही की संज्ञा दी गयी थी.उत्तरी पंजाब से होते हुए ईरान लौटते समय पहली बार नादिर षाह का सामना सिख विद्रोहियों से हुआ.

चंद सिख योद्धाओं ने नादिरशाह के सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. काफी विचार करने के बाद नादिर शाह को अहसास हुआ कि इन सिख विद्रोहियों के पीछे लाहौर के शासक का हाथ हो सकता है.तब नादिर षाह सीधे लाहौर षासक के दरबार में पहुंच जाता है और अपने मन की बता कह देता है. लाहौर शासक मना करते है कि उनका सिख विद्रोहियों के संग कोई वास्ता नही है.

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