रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः रिलायंस इंटरटनमेंट

क्रिएटरः विकास बहल

लेखकः विकास बहल व चैताली परमार

निर्देशकः विकास बहल व राहुल सेन गुप्ता

कलाकारः सुनील ग्रोवर, रणवीर शोरी, आशीश विद्यार्थी, रिया नलावडे,  मुकुल चड्ढा,  डायाना एरप्पा, अश्विन कौशल,  सलोनी खन्ना, सोनल झा,  गिरीश कुलकर्णी, शोनाली नागरानी व अन्य

अवधिः पांच घंटे पांच मिनट,  30 से 45 मिनट के आठ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5 ,  ग्यारह जून से

फिल्म‘‘क्वीन’’सहित कई फिल्मों के लेखक व निर्देशक विकास बहल इस बार क्राइम थ्रिलर व डार्क ह्यूमर मिश्रित वेब सीरीज ‘‘सनफ्लावर’’ लेकर आए हैं, जो कि इंसान को अवसाद की ओर ही ले जाती है और यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ‘‘क्वीन’’जैसी बेहतरीन फिल्म के लेखक व निर्देशक विकास बहल ही इस वेब सीरीज के क्रिएटर, सह लेखक व निर्देशक हैं.

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कहानीः

मुंबई शहर में समाज के  प्रतिष्ठित लोगों से युक्त एक सोसायटी है सनफ्लावर. इस सोसायटी के दिलचस्प किरदारो में हिंदी रसायन शास्त्र शिक्षक आहूजा (मुकुल चड्ढा), अमीर अभिमानी पड़ोसी राजकपूर (अश्विन कौशल),  नैतिक पुलिसिंग के ध्वजवाहक दिलीप अय्यर (आशीष विद्यार्थी), मासूम मगर विचित्र सोनू (सुनील ग्रोवर) व अन्य. अमीर घमंड में चूर राज कपूर हर दिन अपने पड़ोसियों को परेाान करते है. एक सुबह राज कपूर की नौकरानी कामनी(सुश्री अन्नपूर्णा सोनी) लोगों को तथा पुलिस को सूचित करती है कि कपूर की मौत हो गयी है. वैसे दर्शक को अहसास हो जाता है कि कपूर की हत्या कैसे हुई है. पर कपूर की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए शांत और नियंत्रित पुलिस इंस्पेक्टर  देवेंद्र (रणवीर शौरी) और उनके आकर्षक जूनियर सहयोगी तांबे (गिरीश कुलकर्णी)आते हैं.

इधर पुलिस मामले की जांच कर रही है, तो वहीं सनफ्लावर सोसाइटी के लिए एक नेक सचिव की तलाश शुरू करती है, जो समाज की तथाकथित गरिमा और शांति को बनाए रख सके. दिलीप अय्यर (आशीष विद्यार्थी) नैतिक पुलिस व्यवस्था के आदर्श रूपक के रूप में सेवा करते हुए संस्कृति और परंपरा के नाम पर कठोर नियमों और विनियमों के साथ आते हैं. डॉ. आहुजा बुराइयों का अवतार हैं. वह रूढ़िवादी,  हिंसक,  दोहरे चेहरे वाले,  पितृसत्तात्मक सोच के साथ ही इस कदर मंत्रमुग्ध इंसान है, जो बिस्तर पर पत्नी संग अंतरंग होने पर चाहते हैं कि पत्नी उनकी प्रशंसा करे. कहानी धीरे धीरे घिसटती रहती है. कई किरदार आते रहते हैं. कई बार इमानदार, तो कई बार मानसिक रोगी नजर आने वाले सोनू सिंह अपने आफिस की सहकर्मी  आंचल (सलोनी खन्ना)पर प्यार की डोर डालने के प्रयास मे लगे नजर आते है, आठवें एपीसोड में पता चलता है कि उनकी पहली प्रेमिका जुही ने उन्हे छोड़कर अशीश कपूर का हाथ थाम लिया था. प्रोफेसर आहुजा गुस्सैल हैं, यह बात सामने आती रहती है. वह अपना अपराध छिपाने के प्रयास में असफल होते रहतें हैं, मगर बार बार दोषारोपण अपनी पत्नी(राधा भट्ट ) पर करते रहते हैं.

सातवें एपीसोड में इंस्पेक्टर तांबे को सोनू सिंह हत्यारा नजर आात है जबकि इंस्पेक्टर देवेंद्र को प्रोफेसर आहूजा . आठवें एपीसोड में पुलिस सोनू सिंह की ही तलाश करती रह जाती है और सोनू सिंह अपहृत होकर चंडीगढ़ गुरलीन के पिता के पास पहुंच जाता है.

लेखन व निर्देशनः

‘सनफ्लावर’’नाम रूपक के तौर पर है. इस मर्डर मिस्ट्री व ब्लैक कॉमेडी वाली वेब सीरीज को इतना नुकीला ऐसा होना चाहिए था कि दर्शक देखते ही रह जाए, मगर यहां तो सब कुछ सपाट सा है. बेहतरीन कलाकारों के बावजूद वेब सीरीज सही नही बन पायी.  इस वेब सीरीज की अति कमजोर कड़ी है इसकी कहानी व पटकथा. कहानी इतनी धीमी गति से आगे बढ़ती है कि दर्शक अवसाद से ग्रस्त हो जाता है. यह अधपकी खिचड़ी के अलावा कुछ नही है. कई किरदारों का चरित्र चित्रण भी सही ढंग से नही हो पाया है.       ‘

कहानी अति धीमी गति से आगे बढ़ती है. सोनू सिंह यानी कि सुनील ग्रोवर का अपने घर को बंद कर आफिस जाने का दृश्य काफी बोरिंग है और इसे कई एपीसोड में दोहराया गया है. कैब ड्राइवर संग सोनू सिंह का मंुबई की सड़कों पर पकड़ा पकड़ी एकदम बचकानी हरकत लगती है और यह काफी लंबा दृश्य है, जो कि दर्शकों को बोर करता है.

यूं तो यह एक मर्डर मिस्ट्री है, मगर लेखक व निर्देशक ने इसमें कुछ विचित्र सामाजिक टिप्पणियां की है. मसलन-सोसायटी में बैचलर लड़कियों को किराए पर मकान न देना, तीन तीन शादीयां कर चुके पुरूषों,  ट्रांसजेंडर और पान बेचने वाले को सोसायटी में फ्लैट खरीदने पर पाबंदी लगाना वगैरह. . इस तरह की बातें समाज व देश को एकजुट नही खंडित करने का ही काम करती है.

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अभिनयः

जहां तक अभिनय का सवाल है तो अजीब, विचित्र और मजाकिया मासूमियत के सोनू सिंह के किरदार को जीवंत करने में सुनील गा्रेवर सफल रहे हैं. इंस्पेक्टर के किरदार में रणवीर शौरी भी ठीक हैं. इंस्पेक्टर तांबे की भूमिका में गिरीश कुलकर्णी अपने अंदाज में लोगों का मनोरंजन करने में सफल और लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं. गुरलीन के किरदार में सिमरन नेरूरकर प्रभावित करती हैं. उनके चेहरे व उनकी आवाज में मासूमियत हमेशा रहती है. आशीष विद्यार्थी,  मुकुल चड्ढा, अश्विन कौशल, दयाना इरप्पा, सलोनी खन्ना, सोनल झा का अभिनय ठीक ठाक है.

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