रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः शोभा कपूर ,  एकता कपूर ,  सुनीर खेत्रपाल और गौरव बोस

लेखकः निहित भावे (ओरिऑल पाउलो की फिल्म ‘मिराज’ पर आधारित)

निर्देशकः अनुराग कश्यप

कलाकारः तापसी पन्नू ,  पवैल गुलाटी ,  राहुल भट्ट ,  शाश्वत चटर्जी ,  हिमांशी चैधरी ,  नासर और शौर्य दुग्गल

अवधिः दो घंटे 15 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

हिंदी फिल्में बाक्स आफिस पर लगातार दम तोड़ती जा रही है. फिल्मकार इसका सारा ठीकरा दक्षिण की सफल होती फिल्मों के सिर मढ़कर चैन की नींद सोने पर उतारू हैं. हिंदी भाषी फिल्मकार निरंतर दर्शकों  से दूरी बनाता जा रहा है. वह जमीन से जुड़े लेखकों व जमीनी रोचक व मनोरंजक कहानियों की भी अनदेखी करते हुए दक्षिण की फिल्मों का रीमेक, बायोपिक फिल्में अथवा विदेशी फिल्मों का हिंदी रूपांतरण करने में ही यकीन रख रहा है. इस तरह की फिल्में बनाते वक्त वह मौलिक फिल्म की कहानी का बंटाधार करने में भी पीछे नहीं रहता है. ऐसा महज नवोदित फिल्मकार कर रहे हों,  ऐसा भी नही है. पिछले बीस वर्षों के अंतराल ‘देव डी’, ‘गुलाल’, ‘‘गैंग्स आफ वासेपुर’,  ‘मुक्काबाज’ व ‘मनमर्जियां’ सहित 22 फिल्में निर्देशित कर चुके निर्देशक अनुराग कश्यप भी पीछे नहीं है. इस बार वह स्पेनिश फिल्म ‘मिराज’ का भारतीय करण कर ‘‘दोः बारा’’ नाम से लेकर आए हैं. जो कि 19 अगस्त से ‘नेटफिलक्स’ पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म कथानक के स्तर बहुत गड़बड़ है. कलाकारों का अभिनय औसत दर्जे से भी कमतर है. मजेदार बात यह है कि एक खास विचार धारा के पोषक अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘‘दोः बारा’’ के माध्यम से दर्शकों को चुनौती दी है कि अगर आप वास्तव में पढ़े लिखे हैं, आपके पास फिल्म को समझने वाला दिमाग है, तो उनकी फिल्म को समझकर दिखाएं. अफसोस की बात यह है कि ‘नेटफ्लिक्स’ जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के कर्ताधर्ता अनुराग कश्यप जैसे फिल्मकारों की घटिया व बोरिंग फिल्मों को स्ट्रीम कर धीरे धीरे भारत में अपना दर्शकों का आधार निरंतर खोते जा रहे हैं, मगर किसी के भी कान में जूं नहीं रेंग रही है.

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