Sanchi Bhoyar: कलर्स चैनल पर प्रसारित इमोशनल शो ‘बिंदी’ एक ऐसी छोटी लड़की की कहानी है, जिस ने अपनी मां काजल के साथ जेल के अंदर ही बचपन बिताया. उस को जेल कभी डरावनी नहीं लगी, क्योंकि जेल में उस की मां उस के साथ ही थी. उस की मां का प्यार उसे घर जैसा एहसास देता था. लेकिन एक दिन काजल (मैया), जो कानून का पालन करती है, मजबूर हो कर बिंदी को खुद से दूर भेज देती है. तब बिंदी को एक बड़ा सच पता चलता है. दरअसल, उस के अपने पिता ने ही उस की मां के साथ धोखा किया और माफिया डौन दयानंद का साथ दिया.
अब बिंदी का सपना है पढ़ाई कर के खुद को मजबूत बनाना और अपनी मां को आजाद कराना. लेकिन उस के पिता और दयानंद हर कदम पर उसे रोकने की कोशिश करते हैं. यह बिंदी की लड़ाई है अपनी मां को बचाने की और यह साबित करने की कि एक छोटी लड़की भी बेहद साहसी हो सकती है.
बिंदी का किरदार निभाने वाली सांची भोयर अपने किरदार को ले कर बेहद उत्साहित हैं. छोटी सी सांची जो ‘बिंदी’ शो में बिंदी का किरदार निभा रही हैं, वे अपने इस शो में किरदार के बारे में बताते हुए कहती हैं कि मेरा किरदार जिस का नाम बिंदी है, वह जेल के सब से अंधेरे कोनों में चमकती धूप जैसी है, जो अपनी मैया की पूरी दुनिया बन गई है. वह होशियार है, दयालु है, थोड़ी भोली भी है, लेकिन उसे एहसास नहीं है कि जेल की दीवारों से बाहर की जिंदगी और भी कठिन हो सकती है. उस के सपने बहुत साधारण हैं.
एक सामान्य परिवार पाना, अपनी मां के साथ वक्त बिताना, अपनी मां को जेल से बाहर देखना और पढ़ाई का मौका पाना. जब अचानक वह अपनी मां से जुदा हो जाती है, तो टूट जाती है, लेकिन हार मानने के बजाय हिम्मत और दयालुता से लड़ने का फैसला करती है. बिंदी का साहस, दया और हार न मानने की जिद ही मुझ से सब से ज्यादा जुड़ी और इस किरदार को निभाना मेरे लिए बेहद खास है.
यह आप का पहला हिंदी टीवी रोल है. इतने मजबूत किरदार का भावनात्मक बोझ उठाना आप के कैरियर के इस पड़ाव पर कैसा लग रहा है?
यह बहुत रोमांचक है. हिंदी टैलीविजन में नए चेहरे के तौर पर कलर्स पर लीड रोल मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस का मतलब है कि टीम ने मुझ पर भरोसा किया कि मैं बिंदी को निभा सकती हूं. मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक कहानी ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी उठा रही हूं, उन दर्शकों की, जो खुद को बिंदी में देख सकते हैं.
वे कहती हैं कि एक अभिनेत्री के तौर पर मैं बहुत कुछ सीख रही हूं. निजी तौर पर यह रोल मेरी मां को समर्पित है, जो बिलकुल काजल जैसी हैं.
आप मराठी टीवी सीरियल ‘इंद्रायणी’ करने के बाद और मराठी दर्शकों का दिल जीतने के बाद अब ‘बिंदी’ के साथ हिंदी टीवी में आ रही हैं. आप के लिए यह अनुभव कितना अलग है?
मराठी टीवी से मुझे ‘इंद्रायणी’ के जरीए पहचान और प्यार मिला. हिंदी में सबकुछ नया और रोमांचक लग रहा है. शूटिंग की प्रक्रिया तो वही है, लेकिन कहानी बिलकुल अलग और ताजा है. सब से बड़ा फर्क यह है कि अब और भी ज़्यादा लोग मुझे देख पाएंगे. मुझे उम्मीद है कि दर्शक बिंदी को भी ‘इंद्रायणी’ की तरह प्यार देंगे.
‘बिंदी’ दयालुता के साथ लड़ाई लड़ती है. आप को क्या लगता है की आज की युवा पीढ़ी इस गुण से कैसे जुड़ पाएगी?
बिंदी यह दिखाती है कि दयालु होना बिलकुल मुफ्त है और जिंदगी की मुश्किलों से भी दयालुता के जरीए निबटा जा सकता है. आज की युवा पीढ़ी ज्यादा संवेदनशील और सामाजिक रूप से जागरूक है, इसलिए मुझे लगता है कि वे इस भावना से जुड़ेंगे और दयालुता को कमजोरी नहीं मानेंगे.
उस बेटी का किरदार निभाना, जिस की दुनिया मां से बिछड़ने पर बिखर जाती है, आप के लिए सब से कठिन चुनौती क्या रही?
जुदाई के सीन सब से कठिन रहे. मैं खुद अपनी मां से बहुत करीब हूं, इसलिए एक बच्चे को मां से दूर होते हुए सोचना भी मेरे लिए बेहद दर्दनाक था. इसलिए इस ने मुझे उन बच्चों के बारे में सोचने पर मजबूर किया, जो टूटे हुए परिवारों या अनाथालयों में बड़े होते हैं और जिन का दर्द दुनिया नहीं देख पाती.
आप एक ऐसी बेटी का किरदार निभा रही हैं, जो जेल में पैदा हुई. इस किरदार को समझने का सब से कठिन हिस्सा क्या रहा?
सब से मुश्किल हिस्सा उस बचपन की कल्पना करना था, जो मेरी जिंदगी से बिलकुल अलग है. बिंदी के लिए जेल की दीवारें सामान्य हैं और आजादी ही उस के लिए अजनबी है. मुझे बारबार खुद को यह याद दिलाना पड़ता था कि जिन चीजों को हम सामान्य मानते हैं, जैसे खेल का मैदान, दोस्त बनाना या बाहर घूमना वगैरह, उस के लिए विलासिता जैसी हैं, जो उस ने कभी देखी ही नहीं. उस की मां और मौसी ने जेल की दीवारों के बीच उस के लिए एक खुशनुमा माहौल बनाने की कोशिश की.
बिंदी शिक्षा के जरीए अन्याय से लड़ती है. आप के हिसाब से यह संदेश युवाओं के लिए कितना प्रासंगिक है?
बहुत ही प्रासंगिक है. हमारे देश में बहुत से युवा गरीबी, असमानता और भेदभाव के खिलाफ लड़ रहे हैं और उन के पास एकमात्र हथियार शिक्षा है. ‘बिंदी’ इस सचाई को परदे पर उतारती है. वह हर बच्चे को यह संदेश देती है कि तुम्हारा पेन, तुम्हारी किताबें और तुम्हारा ज्ञान तुम्हारी दुनिया बदल सकती हैं. यह बहुत सशक्त संदेश है.
दर्शकों के लिए आप का क्या संदेश है?
मैं चाहती हूं कि हर कोई ‘बिंदी’ की यात्रा का हिस्सा बनें. यह एक कहानी है जो मां के प्यार और बेटी के साहस का जश्न मनाती है. यह भावनात्मक है, प्रेरणादायक है और आप को परिवार के रिश्तों के प्रति और गहरी इज्जत के साथ छोड़ेगी. हर रोज रात 8:30 बजे सिर्फ कलर्स और जियो हौट स्टार पर इसे जरूर देखिए.
Sanchi Bhoyar