समलैंगिकता पर फिल्में बनाने के लिए चर्चित निर्माता निर्देशक और पटकथा लेखक श्रीधर रंगायन दिल्ली के हैं. उन्हें बचपन से ही कुछ अलग काम करने की इच्छा थी. इसमें साथ दिया उनके परिवार वालों ने. उनके इस तरह की समलैंगिकता वाली फिल्मों की वजह से आज हर कोई जिनकी सेक्सुअलिटी बाकी लोगों से अलग है, सामने आकर कहने से कतराते नहीं. उन्होंने बंद रहकर घुट घुटकर जीनेवालों को यथार्थवादी बनाया है.

फिल्मों के अलावा उन्होंने कई टीवी शो, वेब सीरीज आदि किये हैं. उनकी फिल्म ‘द पिंक मिरर’ और ‘योर्स इमोशनली’ को दर्शकों ने काफी पसंद किया. इसके अलावा उन्होंने एल जी बी टी समुदाय को आगे लाने के लिए काफी काम किये हैं और वे ‘कशिश मुंबई क्वीर फिल्म फेस्टिवल’ के फाउंडर भी हैं. उनका मानना है कि सेक्सुअली अलग अनुभव करने वाले लोगों की एक अलग दुनिया है. जिसे समाज और परिवार को स्वीकारने की जरुरत है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फिल्म ‘इवनिंग शैडोज’ बनायीं. जिसे उन्होंने बड़े पर्दे पर रिलीज किया और उम्मीद करते हैं कि सभी इस फिल्म को देखें और उनके मनोभाव को समझने की कोशिश करें. उनसे इस बारें में बात हुई पेश है कुछ अंश.

आपने इस फिल्म को बनाने के बारें में कब सोचा?

पिछले 20 सालों से गे राइट्स को लेकर संघर्ष चल रहा है. उन्हें समाज में खुलकर जीने का मौका नहीं मिलता. पहले ट्रांस जेंडर को भी गलत नजरिये से देखा जाता था, अब वह थोड़ा ठीक हुआ है, लेकिन ‘गे राईट’ को अभी भी सही तरह से स्वीकारोक्ति नहीं मिली. ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए इसके कानून 377 को पहले कोर्ट ने सही बताया, लेकिन कुछ धर्म गुरुओं के विरोध पर गलत ठहराया गया, उनके हिसाब से समलैंगिक वाले व्यक्ति एक साथ नहीं रह सकते, ये कानूनी अपराध है. फिर अब इसे पिछले साल से अनैतिक या अपराधिक नहीं माना जा रहा है. मेरे हिसाब से ये कभी भी गलत नहीं था और मेरा संघर्ष इस विषय पर तब तक जारी रहेगा, जब तक इसे समाज और परिवार से सही न्याय न मिले. इस सोच के साथ मैंने इस फिल्म को बनाया है और खुश हूं कि पिछले 6 साल से लोग इस बारें में कहने के लिए बाहर निकल रहे हैं और उनके परिवार भी इसे स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है.

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