परफ्यूम की खूशबू हर किसी को आकर्षित करती है और नई ताजगी देती है. ऐसा कोई विरला ही होगा जिस का परफ्यूम के प्रति झुकाव न हो. जो खुशबू के कायल हैं, वे इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि परफ्यूम तैयार करने की प्रक्रिया से मशक्कत के अलावा कई तरह के रसायन और रासायनिक रहस्य जुड़े हैं. इस के कद्रदानों में अपने खास ब्रांड के परफ्यूम के लिए गजब का पैशन होता है. परफ्यूम पैशन को जन्म देता है, बल्कि कह सकते हैं कि परफ्यूम अपनेआप में एक अलग किस्म का पैशन है. वहीं परफ्यूम तैयार करने वालों में भी खास तरह का परफ्यूम तैयार करने का पैशन होता है.

कायाकल्प हुआ कई बार

आदिकाल से ले कर आज तक परफ्यूम का कई बार कायाकल्प हो चुका है और अब तो डिजाइनर परफ्यूम का जमाना है. इसीलिए तो यह अब पैशन बन गया है. जानकार बताते हैं, परफ्यूम का मुख्य उपादान खुशबूदार तेल होता है. इस के अलावा कुछ और उपादानों के मिश्रण के साथ 75 से ले कर 95% तक अलकोहल में द्रवीभूत हो कर परफ्यूम बनता है. परफ्यूम में खुशबूदार तेज का कंसंट्रेशन 22% तक होता है, जो ओडी परफ्यूम में 15 से 22%, ओडी टौयलेट में 8 से 15% और डाइल्यूट कोलन में 5% से भी कम होता है. किसी परफ्यूम की खुशबू का जादू इस औयल कंटेंट में छिपा होता है. त्वचा के संपर्क में आने पर यह औयल धीरेधीरे हवा में घूम कर खुशबू फैलाता है.

भारत ही एक ऐसा देश है जहां खुशबू को 21 श्रेणियों में बांटा गया है. इस का कारण यह है कि हमारे यहां खुशबू की एक अलग ही परंपरा रही है. उन के नाम प्रकृति के अनुरूप दिए गए हैं. 1989 को भारत सरकार ने सुंगध का साल घोषित किया था. इसी साल खुशबू विशेषज्ञों का एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन भी हुआ. सम्मेलन में भारत के 500 वर्ष के सुगंध के इतिहास पर चर्चा हुई. कह सकते हैं कि परफ्यूम के बिना शृंगार अधूरा है. यह आज की बात नहीं, सदियों पुरानी है. इसीलिए ब्यूटी वर्ल्ड में आज खुशबू का खासा बोलबाला है.

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