होली रंगों का त्यौहार है, हर साल दोस्त और परिवारके साथ मिलकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाना,एक दूसरे को रंग लगाना,होली के गानों के साथ डांस करना, पानी के गुब्बारों और पिचकारी के साथ रंग खेलना आदि होता आया है, लेकिन पिछले दो सालों से कोविड ने इसे बेरंग बना दिया है, इसलिए इस बार कोविड के कम होने की वजह से सभी होली को मौज-मस्ती से मनाने की कोशिश कर रहे है, लेकिन आजकल होली के रंगों में केमिकल होने की वजह से त्वचा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए रंगों की खुशियाँ कम न हो, कुछ बातों का ख्याल अवश्य रखें.

इस बारें में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट और ट्राइकोलॉजिस्टडॉ तृप्ति डी अग्रवाल कहती है कि मौजमस्ती और खुशियों के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार के ख़त्म होने पर शुरू होता है,बहुत ही थका देने वाला समय, जिसमेंचेहरे और बालों पर लगे रासायनिक ज़िद्दी रंगों के दाग को निकालने की कोशिश करना. कठोर रसायनों और सूरज की रोशनी के संपर्क में आने की वजह से त्वचा रूखी पड़ सकती है और जलन भी पैदा होती है, ऐसी तकलीफें त्यौहार के बाद कई हफ़्तों तक जारी रह सकती है. होली का आनंदलेने के लिए अपने बालों, नाखूनों और त्वचा के रंग के प्रभाव के बारे में चिंतित न हो, इस उत्सव मनाने के लिए कुछ आसान टिप्स निम्न है,

• त्वचा को कठोर रसायनों से बचाने के लिए त्वचा और रंग के बीच एक अवरोध बनाना आवश्यक होता है. रंग खेलने के 10 से15 मिनट पहले सनस्क्रीन, नारियल या सरसों का तेल चेहरे, कानों, गर्दन आदि सभी स्थानों पर लगा लें, ताकि रंगों का पर्व का प्रभाव आप पर कम हो.

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