अल्फांसो भारत का सब से खास किस्म का आम है. अल्फांसो अंगरेजी नाम है. महाराष्ट्र में इस आम को हापुस, कर्नाटक में आपुस के नाम से भी जाना जाता है. अल्फांसो का नाम पुर्तगाल के मशहूर सैन्य रणनीतिकार अफोंसो दि अल्बूकर्क के नाम पर पड़ा है. अफोंसो दि अल्बूकर्क को बागबानी का बहुत शौक था. गोवा में जब पुर्तगालियों का शासन था उस समय अफोंसो दि अल्बूकर्क ने इस आम के पेड़ लगाए थे. अंगरेजों को यह आम बहुत पसंद था. अफोंसो दि अल्बूकर्क के सम्मान में इस का नाम अल्फांसो रखा गया. अंगरेजों की पसंद के ही कारण आज भी यह आम सब से अधिक यूरोपीय देशों में भेजा जाता है. इस साल यूरोपीय देशों ने अल्फांसो के आयात पर रोक लगा दी तो मसला ब्रिटेन की संसद में उठाया गया.

खासीयत

अल्फांसो आम का वजन 150 से 300 ग्राम के बीच होता है. यह मिठास, सुगंध और स्वाद में दूसरे किस्म के आम से अलग होता है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह होती है कि यह पकने के 1 सप्ताह बाद तक भी खराब नहीं होता. इस खास गुण के कारण ही देश से बाहर निर्यात किए जाने वाले आमों में अल्फांसो सब से ज्यादा निर्यात किया जाता है. कीमत के मामले में भी यह सब से महंगा होता है. देश का यह पहला आम है, जो किलोग्राम के भाव नहीं दर्जन के भाव में बिकता है.

थोक बाजार में इस की कीमत रू. 700 दर्जन है. अल्फांसो की कीमत इस के वजन के अनुसार कम अथवा ज्यादा होती रहती है. फुटकर बाजार में अल्फांसो की कीमत रू.25 सौ से रू.3 हजार दर्जन तक होती है. यह देश का सब से महंगा आम है. 90 फीसदी अल्फांसो बाहरी देशों में भेजा जाता है.

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