सर्दियों में छोटे बच्चों की स्किन रूखी हो जाती है, ऐसे में उन की स्किन को मुलायम रखने के लिए तेल से मालिश की जा सकती है. रूखेपन के साथ ही यह किसी संक्रमण से भी बचाती है. नवजातों की मालिश के लिए औलिव औयल भी अच्छा माना जाता है. इस से बच्चों की स्किन सौफ्ट होती है.

अधिकतर देखा गया है कि जन्म के बाद से ही बच्चे की तेल मालिश को ले कर आसपास की सभी महिलाएं व्यस्त हो जाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परंपरागत तरीके से की गई तेल मालिश से बच्चे की हड्डियां मजबूत होंगी, ग्रोथ जल्दी होगी और वह जल्दी चलना सीखेगा, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिन में तेल मालिश करते समय बच्चे को चोट पहुंच जाती है.

सही मसाज बच्चे को आराम देती है, लेकिन कैसे, क्या है सही मसाज? इस बारे में नवी मुंबई की ‘स्पर्श चाइल्ड केयर क्लीनिक’ की बाल रोग विशेषज्ञ डा. शिल्पा आरोस्कर कहती हैं कि न्यू बोर्न बेबीज की मसाज करना एक कल्चरल ट्रैडिशन है, जबकि इस का कोई साइंटिफिक लाभ आज तक देखने को नहीं मिला है.

मसलन हड्डियों या मसल्स का मजबूत होना या जल्दी ग्रोथ होना. यह केवल बेबी को आराम पहुंचाती है और उसे एक अच्छी नींद लेने में सहयक होती है. ये बातें बच्चे की मसाज से पहले न्यू मौम्स को जान लेना आवश्यक है:

  •  बच्चे को मालिश फीड कराने के तुरंत बाद या जब शिशु नींद में हो तब न करें, जब बच्चा जाग रहा हो तब मालिश करें ताकि उसे मसाज से अच्छा अनुभव हो.
  •  कोकोनट औयल और विटामिन औयल मसाज के लिए सब से अच्छे औयल माने जाते हैं. सरसों के तेल या अन्य किसी तेल की मालिश से बचना चाहिए क्योंकि इस से बच्चे की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाने का खतरा होता है, जिस से बच्चे को रैशेज हो सकते हैं.
  •  अधिकतर महिलाएं बच्चे की मालिश के लिए मेड सर्वेंट रखती हैं, जिन के अधिक प्रैशर से मालिश करने से बच्चे को फ्रैक्चर,सूजन या जगहजगह खून जमने का खतरा रहता है.
  •  मसाज के समय कभी कान, नाक एरिया में तेल का प्रयोग न करें.
  • बेबी की मसाज मां, दादी, नानी के हाथों से होनी अच्छी मानी जाती है, जिस में प्यार और टच थेरैपी होने की वजह से बच्चे की सेहत और ग्रोथ में सुधार जल्दी होता है और यह वैज्ञानिक रूप से पू्रव भी हो चुका है.
  •  ‘इंटरनैशनल एसोसिएशन औफ इन्फैंट मसाज’ के अनुसार मालिश से बच्चे के शरीर का ब्लड सर्कुलेशन और पाचनक्रिया अच्छी हो जाती है, उसे गैस, ऐंठन, कब्ज आदि समस्याओं से राहत मिलती है.
  • दिन में एक बार मालिश करना बच्चे के लिए काफी होता है.
  •  1 साल की उम्र के बाद बच्चे की मालिश करने से कुछ खास फर्क उस में दिखाई नहीं पड़ता है क्योंकि इस समय बच्चा प्लेफुल हो जाता है और उसे मालिश से अधिक लाभ नहीं होता. न्यू मौम्स को यह सम?ाना जरूरी है कि तेल मालिश एक इंडियन ट्रैडिशन ही है, जिसे दिन में एक बार कभी भी किया जाना सही होता है.
  •  मालिश करते समय हाथों और उंगलियों का आराम से इस्तेमाल करना चाहिए. बहुत प्यार से बच्चे के पैरों को अपनी हथेली पर रखें और उंगलियों से जांघ से ले कर पैरों तक लाते हुए मालिश करें. कुछ मिनट तक इसी तरह मालिश करें.
  •  हलकी स्ट्रैचिंग मसाज फायदेमंद रहती है. टांगों को थोड़ा स्ट्रैच करें, दोनों तलवों को एकसाथ मिलाएं और फिर जमीन से छूएं. इस प्रक्रिया से बच्चे की मांसपेशियों को आराम मिलेगा.
  •  फुट मसाज से शरीर को बहुत आराम और रिलैक्सेशन मिलता है और इस से दिमाग को भी सुकून महसूस होता है. बच्चों की फुट मसाज करने से उन्हें नींद अच्छी आती है. फुट मसाज करते समय अपने अंगूठे से तलवों पर कुछ पौइंट्स पर हलका दबाव बनाएं. इस से शरीर का स्ट्रैस रिलीज हो जाता है.

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