कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते केसेज के साथ-साथ अनलॉक 2 की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसे में सभी को खुद का ध्यान रखने की जरुरत है, ताकि संक्रमण पर काबू किया जा सके. डॉक्टर्स और पैरामेडिकल फोर्सेज लगातार लोगों को सावधान रहने की गुजारिश कर रहे है, ताकि अस्पतालों पर मरीजों का भार अधिक न पड़े. ये सही है कि मुंबई में हर दिन संक्रमितों और मरने वालों की संख्या बढती जा रही है, पर लॉक डाउन से देश की आर्थिक व्यवस्था इतनी कमजोर हो चुकी है कि इसे पटरी पर लाने से अधिक मेंटेन करना जरुरी है. नहीं तो लोग भूखमरी से मरने लगेंगे. 

अनलॉक की प्रक्रिया में आम इंसान को किस तरह की सावधानी बरतने की जरुरत है? पूछे जाने पर मुंबई की जेन मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, चेम्बूर के इंटेंसिविस्ट एंड इन्फेक्शन डिसीज स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह कहते है कि लगातार लॉक डाउन करना किसी भी देश के लिए संभव नहीं है. इसलिए पूरा लॉक डाउन न करते हुए आंशिक किया गया है. इसके लिए कई गाइड लाइन्स सरकार ने दिए है, जिसे पालन करना जरुरी है. अभी जरुरत के बिना घर से निकल कर घूमना ठीक नहीं. इससे भीड़ बढ़ेगी और संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी. इस समय रेस्पिरेटरी हायजिन की जरुरत है. एक साथ बैठकर खाना, पार्टी मनाना, भीड़ में ट्रेवल करना आदि अब संभव नहीं. सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की जरुरत है. जिनको बाहर काम पर जाने की जरुरत है, वे ही घर से निकले, बाकी घर पर रहने की कोशिश करें. इसके अलावा जो लोग एस्थमा, मधुमेह या हाइपरटेंशन के शिकार है. उन्हें अपनी ख़ास देखभाल करने की जरुरत है. इसमें बच्चे, बुजुर्ग और प्रेग्नेंट वुमन ख़ास है, जिन्हें बहार निकलने से परहेज करनी चाहिए. इम्म्युनिटी बढाने की जरुरत है, क्योंकि इस बीमारी में इम्युनिटी अच्छी होने पर इन्फेक्शन प्राणघातक नहीं होती. 

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ये बीमारी नयी है. डॉक्टर और रिसर्चर लगातार शोध कर रहे है. इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही इस बीमारी के लिए ठीक नहीं है.सेल्फ डिसीप्लीन बहुत जरुरी है. लोग मास्क पहनना बहुत जरुरी है. सरकार ने कई जगह मास्क न लगाने पर जुर्माना भी लगाया है.  

वैक्सीन पर काम हो रहा है पर इतनी जल्दी वैक्सीन का निकलना मुश्किल है, क्योंकि इस वायरस के बारें में सही जानकारी मिलने में थोडा समय और लगेगा. पूरा विश्व इस दिशा में काम कर रहा है. एक बार ये बीमारी होने के बाद में फिर से रिपीट नहीं होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए सावधान रहने की जरुरत है. 

महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या को काबू में रखना सरकार के लिए एक चुनौती बन चुकी है. जहाँ भी थोड़ी ढिलाई दी जाती है लोग घरों से बाहर बिना मास्क के निकल जाते है. इस बारें में रिजनेरेटिव मेडिसिन रिसर्चर Stem Rx  बायो साइंस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. प्रदीप महाजन कहते है कि ये बीमारी सालों तक चलने वाली है, इसलिए पूरी अर्थव्यवस्था को बंद करना संभव नहीं है. इतने रिसर्च के बाद भी यही सामने आ पाया है कि इस बीमारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र उपाय है, जिससे संक्रमण कम हो सकती है. इसके अलावा बीमारी ये भी संकेत दे रही है कि धीरे-धीरे यह हर्ड इम्युनिटी की तरफ बढ़ रही है, क्योंकि 80 से 90 प्रतिशत लोग अब बीमारी से ठीक हो जा रहे है. 5 प्रतिशत लोग ही क्रिटिकल हो रहे है, उन्हें सम्हालने की जरुरत है. इसमें रिस्क फैक्टर वाले लोगों जिसमें 60 साल से अधिक उम्र के लोगों, प्रेग्नेंट महिलाएं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को जरुरत के बिना घर से न निकलना है. ये सब सावधानियां बनाये रखने की आज बहुत अधिक आवश्यकता है,क्योंकि पूरे देश को लॉक डाउन करके महीनों तक रखना संभव नहीं है. इसके अलावा जहाँ कोरोना संक्रमण के मरीज कम है, वहां काम काज शुरू करने में कोई हर्ज़ नहीं है, लेकिन अधिक संक्रमित इलाके में सख्ती से नियमों का पालन होना जरुरी है.

इसके आगे डॉक्टर प्रदीप का कहना है कि मुंबई जैसी भीड़भाड़ वाली शहर के लिए सरकार को अनलॉक से पहले अच्छी तरह से प्लानिंग करने की जरुरत है. जिसमें लोकल ट्रेन और बसों में भीड़ न हो उसके लिए सही गाइडेंस लोगों को देना और उसका सही पालन हो इसकी भी जांच करते रहना चाहिए. ट्रेवलिंग की समस्या मुंबई में है, जिसे ठीक करने की जरुरत इस समय है. वैसे भी हमारे देश में इतनी बड़ी समस्या से निपटना बस की बात नहीं है, क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर वैसी नहीं है कि इतनी बड़ी पेंडेमिक से निपटा जाय.

इस समय देश में धार्मिक स्थलों को खोलना और उस पर पैसा लगाना कितना उचित है? पूछे जाने पर डॉक्टर का कहना है कि मौजूदा हालात में धार्मिक स्थलों को खोलना किसी भी लिहाज़ से जरुरी नहीं, क्योंकि इससे भीड़ बढ़ेगी और संक्रमण फैलेगा. आज नए अस्पताल, क्वारेंटाइन प्लेसेस, नए उपकरण, सही दवा आदि अधिक आवश्यक है. अभी अनलॉक करना बहुत जरुरी है, क्योंकि लोगों के पास जो पैसे रिज़र्व में थे वह ख़त्म हो चुके है, ऐसे में काम करना जरुरी है, ताकि वे अपना जीवन चला सकें. 

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इसके आगे वे कहते है कि मुंबई जैसे शहर में बड़ी कोविड हॉस्पिटल जिसमें आई सी यू के साथ नवीनतम उपकरण से लैस होना चाहिए. अभी जो क्रिटिकल मरीज कई अस्पतालों में भटकते है. वे इस अस्पताल में डायरेक्टली पहुँचकर वेंटिलेटर या ओक्सिजन से खुद का इलाज करवा सकते है और 80से 90 प्रतिशत संक्रमित व्यक्ति दूसरे ओपीडी या क्वारेंटाइन सेंटर में जाकर इलाज करवा सकते है, इससे बेड की कमी नहीं होगी और इलाज बेहतर होगा. सेवेन हिल्स हॉस्पिटल में एक हज़ार बेड के आई सी यू यूनिट खुल चुका है जिससे सेंट्रल मोनिटरिंग हो रही है . मुंबई में ऐसी 4 से 5 हॉस्पिटल होने की आवश्यकता है. 

इसके अलावा डॉक्टर्स की माने तो इस बीमारी को ख़त्म करने का सबसे सही तरीका है, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना, सेनिटाइज करते रहना, इम्युनिटी को बढ़ाना आदि है. साथ ही वैक्सीन के उपलब्ध होने से ही इसे खत्म किया जा सकेगा.

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