जन्म लेने के बाद से अंतिम सांस लेने तक मनुष्य को सैकड़ों बीमारियों से गुजरना पड़ता है. ये बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं. इन के चंगुल से निकलने के लिए स्टेम सैल्स एक कवच का काम करते हैं. स्टेम सैल्स के जरीए मैडिकल साइंस के क्षेत्र में कई ऐसे कामों को अंजाम दिया जाने लगा है जिन्हें अंजाम देने के बारे में करीब 50 वर्ष पूर्व तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

स्टेम सैल्स ने मैडिकल साइंस की तसवीर ही बदल डाली है. आइए, जानते हैं कि स्टेम सैल्स क्या हैं और बीमारी को दूर भगाने में इन का कैसे इस्तेमाल किया जाता है.

स्टेम सैल्स

स्टेम सैल्स मनुष्य के शरीर के मास्टर सैल्स होते हैं. इन्हें मां सैल्स के नाम से भी जाना जाता है. इन सैल्स द्वारा अन्य कई प्रकार के सैल्स का सृजन होता है, जो मनुष्य के शरीर में मौजूद विभिन्न ऊतकों और अंगों की मरम्मत करते हैं. स्टेम सैल्स गर्भनाल और गर्भनाल के रक्त में पाए जाते हैं. ये मनुष्य के शरीर में रक्त की भरपाई और इम्यून सिस्टम की प्रतिरक्षा करते हैं. स्टेम सैल्स में मानव शरीर में पाए जाने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में अंतर करने की अद्वितीय क्षमता होती है.

कौर्ड ब्लड और कौर्ड ब्लड स्टेम सैल्स

कौर्ड ब्लड का आशय उस रक्त से है, जो गर्भनाल को काटने के बाद उस में शेष रह जाता है. अधिकतर इसे चिकित्सा अपशिष्ट के रूप में खारिज कर दिया जाता है, जबकि शिशु का गर्भनाल रक्त हिमैटोपोइटिक स्टेम सैल्स का महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो रक्त और प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं की भरपाई करता है. गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाओं को कई तरह के कैंसर और रक्तविकारों सहित अन्य कई बीमारियों के सफल इलाज के लिए भी महत्त्वपूर्ण और फायदेमंद माना गया है.

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