डिप्रेशन एक आम लफ्ज और हमारी जिन्दगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. अहम हिस्सा ही तो है. जो किसी के घर में ही घर बना ले, वो उस घर का अहम हिस्सा बन जाता है. और जो हर जिन्दगी में जगह बना ले वो? डिप्रेशन कॉमन कोल्ड जैसी ही कॉमन बिमारी हो गई है. कुछ लोग इसे अमीरों की बिमारी कहते हैं. पर यह उन लोगों की गलतफहमी है. डिप्रेशन कोई अमीरों वाली बिमारी नहीं है, कोई भी इंसान इससे पीड़ित हो सकता है.
‘मैं आपका दर्द समझ सकती हूं…’ कई बार हम एक दूसरे से ऐसी बातें कहते हैं. पर यह बस कहने की बात है. समझता वही है जिस पर बितती है. ठीक उसी तरह डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति का दर्द सिर्फ वही समझ सकता है जिसे कभी डिप्रेशन ने जकड़ा हो. डिप्रेशन कोई नई पीढ़ी के द्वारा ट्रेंड की हुई बीमारी नहीं है, जैसा की कुछ लोगों का मानना है.
मान लीजिए आप एक अंधेरे कमरे में हैं. कमरे में इतना ज्यादा अंधेरा है कि आपको खुद अपना शरीर भी महसूस न हो रहा हो. घुप्प अंधेरे में डूबा हुआ कमरा और आप बिल्कुल अकेली हैं. आप कैसा महसूस करेंगी? डिप्रेशन में कुछ ऐसा ही होता है. भीड़ में तन्हाई का एहसास होता है और तेज रौशनी में भी घने काले अंधेरे का. और अगर यह किसी की जिन्दगी में रोज का किस्सा हो जाए तो? अवसाद ग्रस्त या डिप्रेस्ड इंसान की जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही हो जाती है. इंसान खुद को पूरी तरह से अकेला महसूस करने लगता है.
पर टेंशन न लें. हर मर्ज की कोई न कोई दवा और हर परेशानी का हल जरूर होता है. डिप्रेशन से भी बाहर निकलने के कई तरीके हैं. आप बिना दवाईयों के भी डिप्रेशन से खुद को आजाद कर सकती हैं. बस जरूरत है थोड़े से वक्त की और जरा से आत्मविश्वास की.
1. पता करें अपनी परेशानी की वजह
किसी भी परेशानी का हल तभी संभव है जब आप उसकी जड़ों तक पहुंचेगी. सबसे पहले अपने डिप्रेस्ड होने की वजह का पता लगायें. ये उतना मुश्किल भी नहीं है. क्या आप अपने जॉब से असंतुष्ट हैं या क्या आपको नौकरी में प्रतिदिन अपने उसूलों से समझौता करना पड़ता है? या फिर क्या आप अपने निजी जीवन से परेशान हैं? सबसे पहले अपनी परेशानी की वजह का पता लगायें. अपने आप से झूठ बोलना बंद करें और अपनी प्रौबलैम की जड़ तक पहुंचे.
2. रूटीन बनायें
कुछ मनोचिकित्सकों का मानना है कि डिप्रेस्ड लोगों को एक रूटीन बनाना चाहिए. पर रूटीन बनाना एक बात है और उस पर चलना दूसरी बात. डिप्रेशन का आपकी रोजमर्रा की जिन्दगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इसलिए रूटीन बनाना भी जरूरी है और उसे फौलो करना भी. खुद पर दवाब न बनायें, पर अनुशासन में रहकर अपने रूटीन को फौलो करें.
3. लक्ष्य तय करें
डिप्रेशन में किसी भी इंसान के मन में एक ही बात घर कर लेती है कि ‘मैं किसी काबिल नहीं’. इंसान खुद को हारा हुआ समझने लगता है. इसलिए लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी है. ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें आप जल्द से जल्द पूरा कर सकें. जैसे, हर दिन एक नई डिश बनाना. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा.
4. एक्सरसाइज या व्यायाम
एक्सरसाइज करने से आपके शरीर में ‘फील गूड’ होर्मोन्स बनते हैं और आप लाइट महसूस करेंगी. डिप्रेस्ड इंसानों के लिए व्यायाम करना बहुत लाभदायक साबित हो सकता है. एक्सरसारइज का मतलब यह नहीं की आप प्रतिदिन घंटों जिम में पसीना बहायें. रोज सुबह या शाम में पार्क में कुछ देर टहलना भी काफी है.
5. किसी भी किमत पर ‘उपवास न रखें’
डिप्रेशन में भूख नहीं लगती. कितनी भी कोशिश कर लें पर एक निवाला भी गले के नीचे नहीं उतरता, पर खाना बहुत जरूरी है. किसी भी किमत पर उपवास न रखें. थोड़ा ही खाएं पर हेल्डी फूड खाएं. जो पसंद हो वो खाएं, पर खाना न भूलें.
कुछ डिप्रेस्ड इंसान ज्यादा खाने लगते हैं. उन्हें अपने खाने पर कंट्रोल करना जरूरी है.
6. गहरी नींद लें
डिप्रेशन में पलकें मूंदना आसान नहीं लगता. चाहे आप कितने भी थके हों पर नींद ही नहीं आती. पर गहरी नींद लेना बहुत जरूरी है. तो क्या करें जिससे नींद आए? आप रोजाना एक ही समय पर सोने और उसी वक्त पर उठने की आदत डालें. अपने कमरे से फोन, कंप्यूटर जैसे सभी सामानों को हटा लें. ये चीजें नींद में खलल डालने का काम करतीं हैं.
7. प्रकृति का स्पर्श
प्रकृति का स्पर्श सिर्फ खूबसूरती ही नहीं निखारता पर आपको खुशी भी देता है. उगते सूरज को देखें और रात में आसमान में चांद और तारों को. प्रकृति के बीच आप अच्छा महसूस करेंगी. खुली हवा में सांस लें. अगर आप ऐसे शहर में रहती हैं जहां समुद्र है तो आप बीच पर टहलने भी जा सकती हैं.
8. कुछ अलग करें, कुछ नया करें
डिप्रेस्ड इंसान अपनी जिन्दगी से परेशान होता है. तो क्यों न कुछ नया किया जाए? अगर आपको लगता है कि आप डिप्रेश्ड हैं तो यह अच्छा मौका है कि आप कुछ नया करें. जैसे की अगर आप कूकिंग नहीं आती, तो आप कूकिंग सीखें. आप किसी नई भाषा का कोर्स भी कर सकती हैं. या फिर कोई डांसिंग क्लास भी जोएन कर सकती हैं.