डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में ज्यादा पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर युवा और वयस्कों को होती है. डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर तब जब आप को पता हो कि आप के बच्चे को जीवनभर इसी के साथ जीना पड़ सकता है.

मातापिता की तरह डायबिटीज का असर बच्चों के मन पर भी पड़ता है. वे हमेशा अपनेआप को दूसरे बच्चों से अलग महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए रोका जाता है. ऐसे में इन बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है.

पेश हैं, इस संदर्भ में डा. मुदित सबरवाल (कंसलटैंट डायबेटोलौजिस्ट एवं हैड औफ मैडिकल अफेयर्स, बीटो) के कुछ सु झाव:

डायबिटीज से ग्रस्त बच्चे का जीवन

टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है. इस स्थिति में पैंक्रियाज में इंसुलिन नहीं बनता है या कम मात्रा में बनता है. इसलिए शरीर को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है.

टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चा तनाव और थकान महसूस करता है. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो सकता है. ‘डायबिटीज बर्नआउट’ एक ऐसी स्थिति है जिस में व्यक्ति अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करतेकरते थक जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपने ब्लड ग्लूकोस लैवल को मौनिटर करना, इसे रिकौर्ड करना या इंसुलिन लेना नहीं चाहते.

ऐसे में मातापिता होने के नाते आप को अपने बच्चे के डायबिटीज मैनेजमैंट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है. बच्चे को खुद अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखने दें. इस बीच उसे पूरा सहयोग दें और मार्गदर्शन करें.

डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल

डायबिटीज मैनेजमैंट में सब से जरूरी चीज है ब्लड शुगर लैवल को सही रेंज में रखना. इस के लिए आप के बच्चे को इंसुलिन लेना पड़ सकता है, हर बार के खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित करनी पड़ती है और साथ ही ऐक्टिव भी रहना होता है.

रोजाना डाक्टर की सलाह के अनुसार निर्धारित समय पर ब्लड शुगर नापें. इस के लिए आप बीटो का स्मार्टफोन कनैक्टेड ग्लूकोमीटर इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के साथ ब्लड शुगर को मौनिटर करना बेहद आसान हो जाता है. आप जब चाहें, जहां चाहें ब्लड ग्लूकोस नाप सकते हैं.

मातापिता के लिए सुझाव

जरूरत से ज्यादा रोकटोक न करें:

आप को अपने बच्चे को अनचाही जटिलताओं से सुरक्षित रखना है. लेकिन ध्यान रखें कि उसे स्पेस दें. आप की मदद से बच्चा खुद अपनी जिम्मेदारी सम झेगा और डायबिटीज मैनेजमैंट कर सकेगा. इस से बच्चे में आत्मविश्वास भी पैदा होगा.

उस की सामान्य जीवन जीने में मदद करें:

हमेशा बच्चे का उत्साह बढ़ाएं. जिस चीज में उस की रुचि है उसे वह करने का मौका दें. आप उसे सिंगिंग, पेंटिंग, स्विमिंग क्लासेज में भेज सकते हैं. देखें कि उसे किस चीज का शौक है.

उसे सिखाएं कि अगर कोई उसे चिढ़ाता है तो उसे क्या करना है:

अकसर डायबिटीज से पीडि़त बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चे चिढ़ाते हैं. ऐसे में बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है. ध्यान रखें कि इन चीजों का बच्चे पर बुरा असर न पड़े. इस की वजह से वह स्कूल में ब्लड ग्लूकोस मौनिटर करना बंद न कर दे. अगर आप के बच्चे के साथ ऐसा होता है, तो उसे सिखाएं कि उसे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, साथ ही दूसरे बच्चों को भी सम झाएं कि वे ऐसा न करें. इस के लिए आप उन के मातापिता, अभिभावकों या अन्य साथियों की मदद ले सकते हैं.

उसे सिखाएं कि उसे सही पोषक आहार ही खाना चाहिए:

बच्चों को चौकलेट, फास्ट फूड बहुत पसंद होता है. हालांकि डायबिटीज से पीडि़त बच्चों को थोड़ा सतर्क रहना होता है. बच्चे को डांटने के बजाय आराम से सम झाएं कि पोषक और सेहतमंद आहार से ही उसे फायदा होगा. उसे साबूत अनाज, ताजा फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन और सेहतमंद फैट्स का सेवन करने के लिए कहें.

किसी डायबिटीज ग्रुप के साथ जुड़े:

डायबिटीज से पीडि़त बच्चे की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है. इस के लिए आप किसी डायबिटीज गु्रप में शामिल हो सकते हैं जहां आप अपनी समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर नोट्स बनाएं, एकदूसरे के सु झाव लें. इस के अलावा अपने पार्टनर की मदद लें. ऐसे बच्चे के लिए परिवार का सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण होता है.

ध्यान रखें:

अगर बच्चे में डिप्रैशन के लक्षण दिखते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन, थकान, भूख में बदलाव, सोने की आदत में बदलाव तो डाक्टर से संपर्क करें. नियमित रिमाइंडर्स और नोटिफिकेशंस के द्वारा आप डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं. बीटो ऐप डायबिटीज मैनेजमैंट के लिए हर जरूरी समाधान उपलब्ध कराता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...