कोरोना महामारी के लिए 16 जनवरी से हॉटस्पॉट बने मुंबई में टीकाकरण शुरू हो चुका है, जिसमे सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को लगाये जा रहा है, लेकिन यहाँ हेल्थ वर्कर्स भी दुविधा में है कि वे टिका लगाये या नहीं. यही वजह है कि मुंबई में भी कुछ मात्रा में वैक्सीन की कुछ डोजेस नष्ट हुई है. वैक्सीनेशन के लिए पूरे देश में अभी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) की ऑक्सफ़ोर्ड कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को मान्यता दी गयी है. हालांकि दोनों ही वैक्सीन के कुछ साइड इफ़ेक्ट देखे जाने की वजह से पहले भारत बायोटेक ने फैक्टशीट जारी कर कुछ खास लोगों को टीका लेने से मना किया है, जबकि बाद में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने भी फैक्टशीट जारी कर कुछ को टीका न लगाने की सलाह दी है.

वैक्सीन होता क्या है? इसके बारें में भी जान लेना जरुरी है. नवी मुंबई के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के नी एंड हिप रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. कुनाल मखीजा कहते है कि जब हमारे शरीर में कोई भी इन्फेक्शन होता है और कीटाणु शरीर के अंदर प्रवेश करते है, जिसमें वायरस, वेक्टेरिया फंगस, पैरासाईट आदि जो भी हो, उसके रास्ते को एंटीजेन कहते है, ऐसे में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उसके विरुद्ध एंटीबॉडी बनाती है. ये दो प्रकार की होती है. पहले आई जी एम् बनती है और बाद में आई जी जी. वैक्सीन लेने का अर्थ एंटीजेन को बॉडी के साथ परिचय करवाना होता है. लैब और विज्ञान के द्वारा उनके इन्फेक्शन करने की क्षमता ख़त्म हो जाती है, खाली इम्यून रेस्पोंस देता है, लेकिन वह शरीर को इन्फेक्ट नहीं कर पाता. उसे वैक्सीन कहा जाता है, जो एक्टिव इम्युनिटी को शरीर में आ जाती है. इसलिए कोविड 19 के वैक्सीन सभी को लगा लेना जरुरी है.

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