गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मां और जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भधारण करने से पहले ही प्लानिंग कर ली जाए -पूर्व गर्भावस्था, गर्भावस्था के दौरान, प्रसव अवधि और प्रसव के बाद. आइए जानते हैं इन चारों चरणों के दौरान जरूरी सावधानियों के बारे में:

गर्भावस्था से पहले अगर आप मां बनने की योजना बना रही हैं तो सब से पहले किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा से मिलें. इस से आप को स्वस्थ प्रैगनैंसी प्लान करने में सहायता मिलेगी.

गर्भधारण करने के 3 महीने पहले से जिसे प्री प्रैगनैंसी पीरियड कहते हैं, डाक्टर के सुझाव अनुसार जीवनशैली में परिवर्तन लाने से न केवल प्रजनन क्षमता सुधरती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं भी कम होती हैं और प्रसव के बाद रिकवर होने में भी सहायता मिलती है.

1 सर्वाइकल स्मीयर:

याद करें कि आप ने पिछली बार सर्वाइकल स्मीयर टैस्ट कब करवाया था. यदि अगला टैस्ट आने वाले 1 साल में करवाना बाकी है तो उसे अभी करा लें. स्मीयर जांच सामान्यत: गर्भावस्था में नहीं कराई जाती है, क्योंकि गर्भावस्था की वजह से ग्रीवा में बदलाव आ सकते हैं और सही रिपोर्ट आने में कठिनाई हो सकती है.

2 वजन:

अगर आप का वजन ज्यादा है और बौडी मास इंडैक्स (बीएमआई) 23 या इस से अधिक है, तो डाक्टर आप को वजन कम करने की सलाह देंगे. वजन घटाने से आप के गर्भधारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और आप अपनी गर्भावस्था की सेहतमंद शुरुआत कर सकती हैं. अगर आप का वजन कम है तो डाक्टर से बीएमआई बढ़ाने के सुरक्षित उपायों के बारे में बात करें. यदि आप का वजन कम है तो माहवारी चक्र अनियमित रहने की भी संभावना अधिक होती है. इस से भी गर्भधारण में समस्याएं आती हैं. आप का बीएमआई 18.5 और 22.9 के बीच होना चाहिए.

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