आम लोगों के लिए हैरतंगेज और किसी एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए एक खुशी की खबर है. हालिया दो शोधों में खुलासा हुआ है कि अगर कोई व्यक्ति किसी एलर्जी से पीड़ित है तो उसे अन्य लोगों के मुकाबले कैंसर होने का खतरा कम होता है.

वेबसाइट टेलीग्राफ डॉट को डॉट यूके के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर में होने वाली विपरीत प्रतिक्रियाएं प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही शरीर में अन्य खतरनाक स्थितियों को रोकने में मदद करती हैं.

न्यूयार्क स्थित मेडिकल सेंटर के अधिकारी रोनाल्ड क्रिस्टल कहते हैं "सामान्य तौर पर एलर्जी हमारे प्रतिरोधी तंत्र की सक्रियता से उत्पन्न होती है. इसे साबित करना कठिन है,मैंने इसके बारे में कुछ अटकलें भी सुनी हैं, लेकिन एलर्जी और प्रतिरोधी तंत्र को लेकर आम राय यही है. शोध भी इस बात पर बल देते हैं.

शोध में पता चला कि अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों में अन्य की अपेक्षा ओवैरियन कैंसर होने की संभावना 30 प्रतिशत कम थी. साथ ही धूल वगैरह से एलर्जी रखने वाले बच्चों में ल्यूकीमिया होने की संभावना बड़ों की अपेक्षा 40 प्रतिशत कम पाई गई.

शोध में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि एलर्जी, मेडिकल ट्रीटमेंट में भी एक हद तक कारगर साबित होती है. इसके अलावा ऐसे बच्चे जो इस तरह की एलर्जी का शिकार थे, उनमें गला, त्वचा, फेफड़ें और आंत से जुड़े कैंसर की संभावना कम पाई गई.

ओवैरियन कैंसर पर शोध करने वाले टेक्सास विश्वविद्यालय के जुबेर मुल्ला ने कहा, "अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है, लेकिन संख्या बताती है कि एलर्जी कैंसर को रोकने में महत्वपूर्ण प्रतिरोधात्मक कारक है." वहीं, कनाडा में हुए शोध में पता चला है कि एलर्जी और हल्के बुखार ने लोगों में अग्नाशय के कैंसर होने की संभावना को 58 प्रतिशत कम कर दिया. ल्यूकेमिया और कैंसर पर शोध अमेरिका के मिन्नेसोटा विश्वविद्यालय में किया गया.

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