दुनियाभर में इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे लोगों की समस्या दिनप्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. भारत में 10 से 15% के बीच शादीशुदा कपल इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. बता दें कि भारत में 30 मिलियन इंफर्टाइल कपल में से करीब 3 मिलियन कपल हर साल इनफर्टिलिटी का इलाज करवा रहे हैं. जबकि शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा काफी ज्यादा है. वहां हर 6 में से 1 कपल इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहा है और इस के इलाज को ले कर काफी जागरूक है. लेकिन बता दें कि हर समस्या का इलाज संभव है. तभी तो उम्मीद छोड़ चुके कपल भी पेरैंट्स बन पाते हैं.

क्या है इनफर्टिलिटी

वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, इनफर्टिलिटी रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी हुई बीमारी है. इनफर्टिलिटी शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कपल बिना कोई प्रोटैक्शन इस्तेमाल लिए एक साल से ज्यादा समय से प्लान कर रहे हों, लेकिन फिर भी कंसीव करने में दिक्कत आ रही हो. इनफर्टिलिटी का कारण सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी होते हैं. अकसर महिलाओं में इस का कारण फैलोपियन ट्यूब का ब्लौक होना, अंडे नहीं बनना, अंडों की क्वालिटी खराब होना, थाईराइड होना, प्रैग्रैंसी हारमोंस का संतुलन बिगड़ना, पीसीओडी यानि पोलिसिस्टिक औवरियन सिंड्रोम आदि के कारण होता है, जिस से मां बनने में दिक्कत आती हैं.

वहीं पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होना, उन की क्वालिटी सही नहीं होना व उन की मोटेलिटी यानि वे कितना ऐक्टिवली वर्क कर पाते हैं ठीक नहीं होती तब भी पार्टनर को कंसीव करने में दिक्कत होती है. लेकिन परेशान होने से नहीं बल्कि इनफर्टिलिटी के ट्रीटमैंट से आप की समस्या का समाधान होगा.

क्या है इस का निदान

मासिकधर्म को सामान्य करना:

चाहे बात  नार्मल तरीके की या फिर किसी ट्रीटमैंट से, डाक्टर्स सब से पहले आप के मासिकधर्म को नार्मल करने की कोशिश करते हैं, ताकि आप के हारमोंस नार्मल हो सकें और आप को कंसीव करने में कोई दिक्कत न आए. साथ ही आप के ओवुलेशन पीरियड को ट्रैक करने में आसानी हो. ऐसे में हैल्दी ईटिंग हैबिट्स व दवाओं के जरीए इसे सामान्य करने की कोशिश की जाती है.

हारमोंस के संतुलन को ठीक करना:

कंसीव करने के लिए जरूरी हारमोंस जैसे एफएसएच, जो ओवरीज में अंडों को बड़ा होने में मदद करता है, जिस से ऐस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है और फिर जो शरीर में एलएच हारमोंस की वृद्धि का संकेत देता है. जिस से सफलतापूर्वक ओवुलेशन होने के साथसाथ कंसीव करने में आसानी होती है. ऐसे में चाहे आप आईयूआई यानि इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन करवाएं या फिर इनविट्रो फर्टिलाइजेशन, दवाओं व इन्फेक्शन के जरीए उसे ठीक किया जा सकता है. इस में हैल्दी ईटिंग हैबिट्स भी काफी सहायक सिद्ध होती हैं.

अंडों को परिपक्व बनाने में मदद:

कुछ मामलों में देखा जाता है कि अंडे बनते तो हैं लेकिन मैच्योर हो कर फूटते नहीं हैं, जिस से कंसीव होने में दिक्कत होती है. ऐसे में दवाओं के जरीए हैल्दी ओवुलेशन करवाने की कोशिश की जाती हैं, ताकि आप का ट्रीटमैंट सफल हो कर आप पेरैंट्स बनने के सपने को पूरा कर सकें.

बंद ट्यूब को खोलना:

अगर आप की दोनों ट्यूब्स बंद हैं या फिर कोई एक, तो डाक्टर लैप्रोस्कोपी, हिस्ट्रोस्कोपी के जरीए उसे ओपन करते हैं. साथ ही अगर आप को सिस्ट की प्रौब्लम है, जो कंसीव करने में बाधा बनती है, तो डाक्टर सर्जरी के जरीए ही इसे रिमूव करते हैं, ताकि कंसीव करने में आसानी हो सके.

डाक्टर का कहना है कि इनविट्रो फर्टिलाइजेशन में महिला के अंडे व पुरुष के स्पर्म को ले कर प्रयोगशाला में फर्टीलाइज कर के महिला के यूटरस में डाला जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान पूरी जांच, दवाओं व इंजैक्शन का सहारा लिया जाता है, ताकि किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो और पहले ही प्रयास में इसे सफल किया जा सके. लेकिन इस के लिए अनुभवी डाक्टर व दवाइयों का होना बहुत जरूरी होता है.

इन सब चीजों के अलावा आपको अपने लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाने की जरूरत होगी.

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