बढ़ती उम्र के साथ विभिन्न कारणों से महिलाओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. 40 की उम्र में महिलाओं का शरीर तेजी से बदलता है. एस्ट्रोजन (oestrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) जैसे हार्मोन (hormone) की मात्रा में उतार-चढ़ाव की वजह से महिलाओ में कई शारीरिक परिवर्तन आते हैं. इसके अलावा, उनका मेटाबोलिज्म (metabolism) भी धीमा हो जाता है. अतःइन् कारणों से उत्पन्न अपने सेक्सुअल स्वास्थ्य तथा अन्य जीवनशैली आधारित रोगों के बारे में महिलाओं को अवश्य जानना चाहिए. यह आवश्यक है की 40 की उम्र के बाद महिलाएं अपने सेक्सुअल स्वास्थ्य तथा गाइनिक हेल्थ पर ध्यान दें.

डॉ क्षितिज मुर्डिया,

सीईओ और सह-संस्थापक, इंदिरा आईवीएफ, का कहना है-

भारत में महिलाओं से मल्टीटास्क (multi-task) करने की अपेक्षा की जाती है जिस वजह से वह एक साथ कई काम करने के लिए विवश होती हैं। 40 की उम्र के बाद उनपर अपने घर और परिवार के साथ अपनी नौकरी को संतुलित करने की भी ज़िम्मेदारी रहती है। यह अक्सर मुख्य कारण होता है कि वे स्वयं के स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करती हैं , जबकि यह अति आवश्यक है की महिलाएं ध्यान दे तथा रोग के लक्षणों को जल्दी पहचाने ताकि उनका जल्द से जल्द इलाज हो पाए। इस उम्र के दौरान स्वास्थ्य का ख्याल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि हृदय रोग, मधुमेह (metabolism), उच्च रक्तचाप (high blood pressure) और स्तन कैंसर (breast cancer) होने की संभावना बढ़ सकती है। 40 साल के उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं; आइए हम इन् में से कुछ के बारे में जाने:

सेक्सुअल और गाइनिक हेल्थ में क्या परिवर्तन आ सकते हैं?

  1. पेरिमेनोपौज़ (Perimenopause)

मेनोपॉज़ (menopause) – मासिक धर्म यानी की पीरियड्स (periods) की पूर्ण समाप्ति को कहते है। यह 40 की उम्र में महिलाओं को प्रभावित करता है और कई तरह के लक्षणों से जुड़ा होता है। पीरियड्स की अनियमितता, सेक्स ड्राइव में बदलाव और शारीरिक गुणवताओं में बदलाव इनमें से कुछ लक्षण हैं। पुरुष हार्मोन जैसे की टेस्टोस्टेरोन के बढ़े हुए स्तर के कारण पीरियड्स अस्थायी रूप से बंद हो सकते हैं, उनमें अनियमित ओव्यूलेशन (irregular ovulation) हो सकता है जिससे उनका गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है, और कुछ मामलों में महिलाओं के शरीर और चेहरे पर असामान्य मात्रा मे बाल उग जाते है। कई मामलों में हार्मोन का स्तर तेजी से बदलने के कारण हॉट फ्लैशेज (hot flashes) हो जाते है जिसमें चेहरे, गले और चेस्ट पर गर्मी का अनुभव हो सकता है। इस उम्र में मूड स्विंग भी आमतौर पर महसूस होता है जिससे चिंता और डिप्रेशन की संभावनाएं बढ़ सकती है।

कुछ महिलाओं में मेनोपॉज़ जल्दी आ जाता है। इसका कारन हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) द्वारा गर्भाशय (uterus) या अंडाशय (ovaries) का हटाना को सकता है अथवा कैंसर के chemotherapy (कीमोथेरेपी) इलाज़ से अंडाशय का  छतिग्रस्थ  होना होता है ।

  1. गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine Fibroids)

कैंसरमुक्त ट्यूमर को फाइब्रॉएड कहलाते हैं। यह 40 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में अक्सर पाया जाता है। इन महिलाओं को दर्दनाक पीरियड्स का अनुभव होता है। यह पाया गया है कि मेंटस्रूअल साइकिल (menstrual cycle) के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि इन फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा देती है। फाइब्रॉएड की संख्या, स्थान और आकार सभी इसके लक्षणों को प्रभावित करेंगे। उदाहरण के लिए, सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroid) की वजह से गर्भधारण तथा पीरियड्स के समय अत्यधिक रक्त स्त्राव (blood loss) की संभावना बढ़ जाती है। यदि ट्यूमर बहुत छोटा है या महिला मेनोपॉज़ से गुजर रही है, तो हो सकता है कि वे लक्षणों को नोटिस न करें।

  1. स्तन स्वास्थ्य और कैंसर

महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसरों में से स्तन कैंसर सर्वाधिक रूप में पाया गया है। स्तन कैंसर के अनेक कारणों में से सबसे प्रचलित कारण है बढ़ती उम्र। रिसर्च से पता चला है कि 69 मे से एक महिला को 40 से 50 की उम्र के बीच स्तन कैंसर होने का खतरा होता है और उम्र के बढ़ने के साथ इसकी आशंका बढ़ती जाती है।महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति सतर्क रहना चाहिए। ब्लड और लिम्फ वेसेल्स द्वारा यह कैंसर स्तन के बाहर फैलता है तथा यह शरीर के अन्य हिस्सों मे भी फैल जाता है ।

इसके अतिरिक्त महिलाओ के स्तन में कैंसरमुक्त गांठ जैसे कि सिस्ट और फाइब्रोएडीनोमा विकसित हो सकते हैं। हार्मोन थेरेपी (hormone therapy) का उपयोग करने वाली पोस्टमेनोपॉज़ल (post-menopausal) महिलाओं में फाइब्रोएडीनोमा अधिक मात्रा में देखा गया है।

  1. सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer)

गर्भाशयग्रीवा यानी की सर्विक्स (cervix) गर्भाशय का मुख है जो योनि और गर्भाशय को जोड़ता है। बढ़ती उम्र के साथ महिलाओ के सर्विक्स में कैंसर युक्त ट्यूमर उत्पन्न हो सकते है। अधिकतर महिलाओ में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (human papilloma virus) से होती है जो यौन संपर्क से फैलती है। सर्वाइकल कैंसर दो प्रकार के होते हैं—स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma) और एडेनोकार्सिनोमा (adenocarcinoma)। 90% मामलों में सर्वाइकल कैंसर का कारण स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है।

इन लक्षणों को कैसे नोटिस करें और क्या करें?

–            मेनोपॉज़ की वजह से महिलाए हॉट फ़्लैश और मूड स्विंग अनुभव कर सकती है। हालांकि यह काफी आम लक्षण माना गया है, गंभीर लक्षणों के बारे में डॉक्टर से बात करके सुझाव लेना अनिवार्य है। डॉक्टर द्वारा हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (hormonal replacement therapy) का उपयोग मेनोपॉज़ के उपचार के रूप में किया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में ये लक्षण समय के साथ गायब हो जाते हैं।

–            अधिक वजन वाली महिलाएं गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। महिलाएं सर्जरी के जरिए अपने फाइब्रॉएड को हटा सकती हैं। यह तब किया जाना चाहिए जब वे स्वाभाविक रूप से या आईवीएफ के माध्यम से गर्भवती होने की सोच रही हों।

–           अगर महिलाओं को अपने स्तनों में गांठ या त्वचा में बदलाव सहित कुछ भी असामान्य दिखाई देता है, तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए। मैमोग्राफी या ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड स्तन कैंसर का पता लगाने में मदद करेगा। अगर शुरुआती दौर में पता चल जाए तो ब्रेस्ट कैंसर का इलाज आसान हो जाता है।

–            सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती संकेत केवल एक डॉक्टर ही पता लगा सकता हैं। पैप स्मियर जांच (Pap smear test)  एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) सर्वाइकल कैनवर और एचपीवी से संबंधित अन्य संक्रमणों के विकास के जोखिम को कम कर सकता है और एचपीवी टेस्ट सर्वाइकल कैंसर का पता लगा सकता है। इससे पहले कि उन्हें कैंसर में विकसित होने का अवसर मिले, ये परीक्षण शुरुआत में ही असामान्य कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं। सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन, कीमोथेरेपी, सर्जरी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं।

महिलाओं के अंडाशय में अंडों की संख्या और गुणवत्ता 35 साल की उम्र से कम होने लगती है। मेनोपॉज़ तक के वर्षों में उनकी प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। क्रोमोसोमल डिफेक्ट के जोखिम, मेनोपॉज की शुरुआत और ओव्यूलेशन की कमी इसमें शामिल होती है। इस वजह से महिलाओं के लिए उम्र बढ़ने के साथ बच्चे पैदा करना मुश्किल हो जाता है। जो महिलाएं 40 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करना चाहती हैं, वे अपने अंडे फ्रीज कर सकती हैं।

इसके अतिरिक्त महिलाओं को स्वस्थ आहार लेना चाहिए, धूम्रपान और शराब पीने से बचना चाहिए और नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। ये आदतें रिप्रोडक्टिव लाइफ को हैल्थी रखने में मदद करती हैं।

महिलाओं के शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होने की क्षमता उम्र के साथ घटती जाती है। वे उम्र के साथ कम कैलोरी बर्न (calorie burn) करती हैं, जबकि हो सकता है शारीरिक गतिविधियां पहले जितनी ही रहती हो । इससे कम ऊर्जा का उत्पादन होता है और बची हुई कैलोरी फैट्स (fats) के रूप में जमा हो जाती है। इसलिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के साथ वजन और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से या उनसे पूरी तरह बचने के लिए नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाना चाहिए। 40 वर्ष की आयु की महिलाओं को नियमित रूप से सर्वाइकल कैंसर का परीक्षण करवाना चाहिए। स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए उन्हें हर दो साल में मैमोग्राफी भी करवानी चाहिए। हाई रिस्क वाली महिलाएं विशेष रूप से ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की जांच के लिए मेनोपॉज़ के बाद बोन डेंसिटी (bone density) परीक्षण कराने के बारे में सोच सकती हैं।

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