मासिकधर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन अभी भी भारतीय समाज में मासिकधर्म को अपवित्र या गंदा माना जाता है. इसे कई गलत धारणाओं और प्रथाओं से जोड़ दिया गया है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं.

ऐसे समय में अगर सफाईस्वच्छता नहीं रखी गई तो जीवाणु, संक्रमण, खुजली, जलन आदि का खतरा अधिक हो सकता है. योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया निश्चित पीएच संतुलन बनाए रखते हैं. मगर गरमी, उमस के कारण होने वाले संक्रमण और हानिकारक बैक्टीरिया के विकास से यह बैलेंस बिगड़ जाता है और महिलाएं गंभीर यूरिनरी इन्फैक्शन का शिकार हो जाती हैं.

भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत

जब मौसम गरम और उमस भरा होता है, तो अधिकांश महिलाओं को मासिकधर्म में बदलाव का अनुभव हो सकता है. पीरियड्स मौसमी बदलाव से संबंधित होते हैं. गरमी के कारण पीरियड्स लंबे समय तक या अधिक बार हो सकते हैं. टीनऐज गर्ल और पेरी मेनोपौज वूमन को अधिक परेशानी हो सकती है क्योंकि इस दौरान हारमोन अस्थिर होते हैं.

मेनोपौज के करीब आ रही महिलाओं को अकसर फाइब्रौयड्स की शिकायत हो जाती है जिस की वजह से बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता है और दर्द भी बरदाश्त से बाहर होता है. ऐसे में उन्हें घर वालों की भावनात्मक सपोर्ट और इलाज की जरूरत होती है. लेकिन मासिकधर्म को अपवित्र दशा मानने वाले घरों में महिलाओं को सारा दर्द अकेले ही सहना पड़ता है.

मैंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए जरूरी टिप्स

हाइड्रेटेड रहें: शरीर से विशैले पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है. ताजे जामुन खाएं और स्वादिष्ठ हर्बल पानी भी जरूर पिएं.

सूती अंडरगार्मैंट्स पहनें: गरमी के मौसम में कौटन अंडरगार्मैंट्स खासकर कौटन पैंटी पहनें. कौटन सूती कपड़े में हवा आसानी से आ और जा सकती है. यह स्किन को साफ और सूखा रखने में मदद करता है. इस दौरान आर्टिफिशियल धागों से तैयार कपड़े और अंडरगार्मैंट्स नहीं पहनने चाहिए जिन में अधिक पसीना आए. इस से गुप्तांगों में बैड बैक्टीरिया बढ़ता है. स्किन में खारिशखुजली और जलन हो सकती है.

साफ और कौटन तौलिए का इस्तेमाल:कौटन तौलिए का उपयोग करें. कभी भी दूसरे लोगों का इस्तेमाल किया हुआ तौलिया इस्तेमाल न करें. पतले तौलिए का उपयोग करें. इसे साफ करना और सुखाना आसान होता है. अपना यूज किया हुआ तौलिया किसी और के साथ सा?ा न करें. बेहतर स्वच्छता के लिए अपने तौलिए को हर दिन साफ करें.

प्राइवेट पार्ट्स की सफाई: नहाते समय अपने प्राइवेट पार्ट्स को रोजाना साफ और ताजे पानी से धोएं. गरम पानी का प्रयोग न करें. किसी भी प्रकार के सुगंधित साबुन का प्रयोग न करें. योनि के पीएच बैलेंस को बनाए रखने के लिए रासायनिक मुक्त, साबुन मुक्त सफाई का चयन करें. जिम, तैराकी या कोई खेल खेलने के बाद हमेशा अपने इंटिमेट रीजन को धो लेना चाहिए. उसे थपथपा कर सुखा भी लेना चाहिए.

ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन: पीरियड के दौरान कंफर्टेबल ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करना चाहिए. पीरियड्स हाइजीन के लिए हर 3-4 घंटे पर पैड बदल लेना चाहिए. अच्छी क्वालिटी की पीरियड्स पैंटी का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बैक्टीरिया ग्रो न करे. इंटिमेट एरिया के बालों को भी शेव करें वरना यहां बैक्टीरिया पनप सकते हैं.  इस से यीस्ट इन्फैक्शन और यूटीआई से बचाव हो सकता है.

पीरियड्स में स्नान जरूर करें: यह सिर्फ एक भ्रांति है कि पीरियड्स के दौरान नहाना नहीं चाहिए. असल में पीरियड्स के दौरान स्नान करना पूरी तरह से सुरक्षित है. इस से थकान और दर्द के स्तर में बहुत कमी आती है. इस से मूड भी बेहतर होता है. कुनकुने पानी से स्नान पीरियड्स क्रैंप्स को कम करता है. पीरियड्स साइकिल के दौरान किसी भी दिन बालों को धोना भी पूरी तरह से सुरक्षित है.             –

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