मांका दूध शिशु के स्वास्थ्य व ग्रोथ के लिए अति उत्तम होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस में सही मात्रा में फैट, शुगर, पानी और प्रोटीन होती है और दूध इस की तुलना में इतना पौष्टिक व शुद्ध हो ही नहीं सकता. यही नहीं, नियमित फीड कराते रहने पर मां की हर दिन 500 कैलोरी बर्न होती है. इसलिए यह धारणा कि ब्रैस्ट फीडिंग से मां के सौंदर्य में कमी आती है, निराधार है. अगर आप मां बनने जा रही हैं या नईनई बनी हैं, तो निम्न बातों पर जरूर गौर फरमाएं:

कम से कम 6 महीने तक अपना दूध शिशु को अवश्य पिलाएं. इस के बाद अपने दूध के साथसाथ बच्चे को पौष्टिक ठोस आहार देना भी शुरू कर दें.

गर्भावस्था के अंतिम दिनों में मां के स्तन में पीले रंग का गाढ़ा दूध बनता है, जो कोलोस्ट्रोम कहलाता है. यह कोलोस्ट्रोम नवजात शिशु के लिए उस के पूरे जीवन भर की शक्ति होता है, साथ ही यह संपूर्ण भोजन होता है. डाक्टरों के अनुसार, इस पीले गाढ़े दूध में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले तत्त्व होते हैं, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होते हैं. अत: बच्चे के जन्म के 1 घंटे के अंदर ही स्तनपान कराने का प्रयत्न करें, दूध को ठीक तरह से आने में कुछ वक्त लग जाता है. दूध का तेजी से आना बच्चे के जन्म के तीसरे दिन से शुरू होता है. अत: शुरू में दूध कम आए, तो घबराएं नहीं.

शिशु को उस के खुद दूध पीना बंद करने तक फीड कराती रहें. इस प्रक्रिया मेें 15 से 20 मिनट तक लग सकते हैं. ध्यान रखें कि हर बार दोनों स्तनों से फीड कराएं. डा. राजलक्ष्मी कहती हैं कि एक ही स्तन से फीड कराते रहने से दूसरे स्तन में गांठें पड़ सकती हैं, जो तकलीफदेह होती हैं.

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