बच्चे जब ज्यादा छोटे होते हैं, तब उनकी शरारत अच्छी लगती है. लेकिन वही बच्चे जब थोड़ा बड़े हो जाएं, तो उनकी शरारतों और हरकतों पर कई बार मां-बाप को तेज गुस्सा आता है. इस गुस्से में कई बार मां-बाप अपने बच्चे पर चिल्लाने लगते हैं, गुस्सा करने लगते हैं. माता-पिता के गुस्से को देखकर बच्चा शांत जरूर हो जाता है, लेकिन उसके बाल मन पर इस तरह चिल्लाने और गुस्सा करने का बुरा असर पड़ता है. मां-बाप के द्वारा बच्चे से चिल्लाकर बात करने की आदत का उनकी साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) पर बुरा असर पड़ता है. आइए आपको बताते हैं क्या हैं वो दुष्प्रभाव और क्यों नहीं करना चाहिए बच्चों से चिल्लाकर बात.

मानसिक विकास पर पड़ता है असर

अगर आप अपने बच्चे पर बहुत अधिक गुस्सा करते हैं, उसे हर समय डराकर रखते हैं और उसे हर बात पर टोकते और नजर रखते हैं, तो इससे बच्चे के मानसिक विकास पर ऐसा पड़ता है. इस तरह की परवरिश को हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग कहा जाता है, जिसके कई तरह के नुकसान हैं. ऐसे ज्यादातर बच्चों के याद करने की क्षमता कमजोर हो जाती है और निर्णय क्षमता पर भी असर पड़ता है. हालांकि कई बार इस तरह की पाबंदियों के कारण बच्चे चालाकी भी सीख जाते हैं और सामान्य से ज्यादा चालाक बन जाते हैं.

माँ पिता से बच्चों का रिश्ता हो सकता है प्रभावित

चिल्लाकर बात करने, डांटने और गुस्सा करने से बच्चे के मन में अपने माता-पिता के लिए नकारात्मक विचार जन्म लेने लगते हैं, जिसके कारण बच्चे और मां-बाप के बीच का रिश्ता प्रभावित होता है. ऐसे बच्चे अक्सर अपने माता-पिता से ज्यादा भरोसा अपने दोस्तों और साथियों पर करते हैं. लंबे समय में इस तरह बच्चे का मां-बाप से कटाव कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकता है.

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