अवनी लगभग प्रत्येक खास अवसर पर साड़ी खरीदती है परन्तु इसके बाद भी जब भी कहीं जाना होता है उसके पास पहनने को साड़ी ही नहीं होती.

इसी प्रकार रक्षा जब भी बाजार जाती है साड़ी जरूर लेकर आती है परन्तु फिर भी हमेशा यही कहती रहती है मेरे पास तो पहनने को कोई ढंग की साड़ी ही नहीं है सब आउट ऑफ फैशन हो गईं हैं.

इस प्रकार की समस्या से हर वो महिला रूबरू होती है जो बिना सोचे समझे बस साड़ी खरीदना है यह सोचकर साड़ी खरीदती हैं. साड़ी भारतीय स्त्रियों का प्रमुख परिधान है. भले ही आज साड़ी का चलन कम हो गया हो परन्तु खास अवसरों पर आज भी महिलाएं साड़ी पहनना ही पसन्द करतीं हैं. साड़ी में महिलाओं का व्यक्तित्व निखर जाता है साथ ही साड़ी प्रत्येक शेप की महिला पर फबती है. आज बाजार में भांति भांति के फेब्रिक और डिजाइन्स में साड़ियां उपलब्ध हैं. बनारसी, चंदेरी, बांधनी महेश्वरी, पोचमपल्ली, कांजीवरम, शिफॉन, जैसी साड़ियां अपने प्रान्त की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करतीं है. साड़ियां कॉटन, सिल्क, सेमी सिल्क और सिंथेटिक जैसे अनेकों फेब्रिक में उपलब्ध हैं. फेस्टिव सीजन प्रारम्भ हो चुका है इस दौरान हम फेस्टिव सीजन पर पहनने के लिए साड़ी खरीदते हैं. आज हम आपको साड़ी खरीदने के कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जो साड़ी खरीदने में आपके लिए बहुत मददगार साबित होंगे और एक बार खरीदी गई आपकी साड़ी सालों साल तक पुरानी नहीं होगी-

1. -फैशन को करें नजरंदाज

फैशन तो आता जाता रहता है इसलिए साड़ी खरीदते समय फैशन पर ध्यान न दें. उदाहरण के लिए आज सिमर डिजाइन्स की सिमरी साड़ियां फैशन में हैं परन्तु कुछ समय पहले तक चमकीले बॉर्डर वाली साड़ियां फैशन में थीं. इसलिए फैशन को नजरंदाज करके आप चंदेरी, चिकन, बनारसी और शिफॉन जैसी एवरग्रीन फैब्रिक की साड़ियां खरीदें जो कभी आउट ऑफ फैशन नहीं होतीं.

2. कढाई है फॉरएवर एवरग्रीन

फेब्रिक कोई भी हो पर उस पर रंग बिरंगे धागों से उकेरी गयी फूल पत्तियां और विविध डिजाइन्स साड़ी की खूबसूरती में चार चांद लगा देतीं हैं. इन साड़ियों की विशेषता है कि इन्हें आप बर्थडे, एनिवर्सरी जैसे हल्के फुल्के  अवसरों के साथ साथ शादी ब्याह जैसे बड़े अवसरों पर भी आसानी से कैरी कर सकते हैं.

3. सस्ते के फेर में न पड़ें

जैसा कि हम अपने बड़ों से सुनते आए हैं कि “महंगा रोये एक बार, सस्ता रोये बार बार” भले ही आप चार के स्थान पर दो या एक ही साड़ी खरीदें परन्तु अच्छे फेब्रिक,  ब्रांड और अच्छी दुकान से ही खरीदें ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना की आशंका न रहे.

4. नकल से बचें

अपनी सहेली या रिश्तेदार की देखादेखी साड़ी खरीदने की अपेक्षा अपनी आवश्यकता और पसन्द को ध्यान में रखकर ही साड़ी खरीदें क्योंकि अक्सर दूसरों की नकल करके खरीदी गई साड़ी बाद में हमे ही पसन्द नहीं आती इसलिए साड़ी खरीदने जाने से पहले आप खुद सुनिश्चित कर लें कि आपको कैसी, किस फेब्रिक की और कितने बजट की साड़ी खरीदनी है.

5. सिल्क है सदाबहार

सिल्क एक ऐसा फैब्रिक है जो कभी भी आउट ऑफ फैशन नहीं होता. यद्यपि प्योर सिल्क काफी मंहगा और हर किसी के बजट में नहीं आ पाता परन्तु आजकल बाजार में सेमी सिल्क, पेपर सिल्क, आर्टिफिशियल सिल्क जैसे अनेकों विकल्प मौजूद हैं जो देखने में सिल्क जैसे ही लगते हैं परन्तु इनके दाम सिल्क की अपेक्षा कम होते हैं.

6. रंग का रखें ध्यान

हर रंग की साड़ी हर किसी पर अच्छी नहीं लगती. सामान्यतया यह माना जाता है कि गोरे और सांवले रंग पर डार्क रंग तथा गहरे रंग की स्किन पर हल्के रंग अच्छे लगते हैं.परन्तु कई बार कुछ रंग हर स्किन टोन पर अच्छे लगते हैं इसलिए साड़ी खरीदते समय अपनी पसन्द के साथ साथ अपने ऊपर फबने वाले रंगों का भी ध्यान रखें.

7. कॉटन और प्लेन भी है खास

यदि आप कैरी कर सकतीं हैं तो कॉटन फेब्रिक से बेहतर कुछ नहीं है क्योकि ये काफी बजट फ्रेंडली होतीं हैं. साथ ही इन्हें पहनकर आप किसी भी अवसर पर अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगा सकतीं हैं. किसी भी रंग की प्लेन साड़ी पर आप हैवी ब्लाउज पेयर करके अपनी कम बजट की साड़ी को भी खास बना सकतीं हैं.

रखें कुछ बातों का ध्यान

-साड़ी कोई भी हो उसकी उचित देखभाल अवश्य करें क्योंकि अक्सर देखभाल के अभाव में महंगी से महंगी साड़ियां भी पहनने लायक नहीं रहतीं.

-शिफॉन एक बहुत नाजुक फेब्रिक है, प्योर शिफॉन की साड़ियां बहुत महंगी भी होतीं हैं इन्हें प्रयोग करने के बाद ड्राइक्लीन कराकर पॉली बेग में डालकर या सूती कपड़े में लपेटकर ही रखें वरना इनमें कीड़ा लग जाता है और साड़ी को फाड़ देता है. ये शरीर के पसीने से भी काली पड़ जातीं हैं.

-साड़ी खरीदते समय दुकानदार से उसके रंग और फेब्रिक के बारे में अच्छी तरह पूछताछ कर लें साथ ही उसे ड्राइक्लीन कराना है अथवा हैंडवाश कर सकते हैं यह जानकारी भी लें लें.

-यदि आपका बच्चा छोटा है तो आप कॉटन जॉर्जटबऔर शिफॉन जैसे नाजुक फेब्रिक की साड़ी खरीदने से बचें क्योंकि छोटे बच्चों के साथ इनके फटने की संभावना बढ़ जाती है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...