परिवार के सभी सदस्य जब कमा रहे हों तो घर में आने वाली आमदनी का प्रभावी प्रबंधन काफी मुश्किल हो जाता है. कमाने वाले प्रत्येक सदस्य की अपनी अपनी प्राथमिकताएं पसंद नापसंद होती हैं. वे धन के इस्तेमाल का तरीका तय करने में भी अपनी भूमिका चाहते हैं. ऐसे में परिवार के मुखिया के लिए यह अहम हो जाता है कि घर में आने वाली कुल आमदनी का प्रभावी तरीके से प्रबंधन किस तरह किया जाए. यह तय करते वक्त काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है.
सुझाव समझ जरूरी-
सबसे पहले तो प्रत्येक सदस्य को परिवार के वित्तीय हालात की साझा समझ होना जरूरी है. इसमें होम लोन का भुगतान, बच्चों की शिक्षा का खर्च, टेलीफोन व अन्य बिल और घर का खर्च शामिल है. परिवार की कुल आमदनी से परिवार के कुल मासिक खर्च का तालमेल होना जरूरी है.
वित्त प्रबंधन एक हाथ में-
आमतौर पर भारत में परिवार का मुखिया ही सारी जिम्मेदारी उठाता है. वैकल्पिक रूप से यह जिम्मेदारी उसे मिलती है जो सबसे अधिक कमाता है. किसी एक व्यक्ति को वित्तीय प्रबंधन का दायित्व सौंपने से वित्तीय योजना पर सुचारुरूप से अमल किया जा सकता है.
बड़े खर्च के लिए अलग कोष-
परिवार में कर्ज की किस्त, शिक्षा का खर्च, बीमा भुगतान आदि जैसे बढ़े खर्चों के लिए अलग से कोष की व्यवस्था करना जरूरी है. परिवार में सभी कमाने वाले सदस्यों के लिए इन खर्चों में बराबर का योगदान सुनिश्चित करना एक स्वस्थ प्रक्रिया होगी. इससे परिवार में आपसी सामंजस्य भी मजबूत होगा और संयुक्त परिवार के खर्चों के प्रति प्रत्येक सदस्य में जिम्मेदारी का भाव भी रहेगा.
प्राथमिकताएं समझ, बचत की कोशिश-
वित्त प्रबंधन कर रहे व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी यह है कि वह परिवार के प्रत्येक सदस्य की प्राथमिकता को समझे. ये प्राथमिकताएं उसकी खर्च की जरूरतों से संबंधित होंगी. सभी सदस्यों को एक दूसरे की प्राथमिकताएं समझ में आने के बाद ही बचत की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा. हर सदस्य को न्यूनतम बचत का लक्ष्य तय करना चाहिए.
खर्च के नियमों का पालन-
जब खर्च की बात आती है तो साझा समझ काफी कारगर साबित हो सकती है. समझदारी से खर्च करना बेहतर वित्त प्रबंधन की पहली आवश्यकता है. किसी भी मद पर खर्च करने से पूर्व प्रत्येक खर्च के महत्व और प्राथमिकता पर विचार कर लेना चाहिए.