हमारे स्वास्थ्य का सीधा संबंध हाइजीन से होता है. बारिश के मौसम में तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि शरीर के साथसाथ घर भी हाइजीनप्रूफ रहे, क्योंकि बरसाती मौसम में संक्रमण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में साफसफाई के मामले में छोटी सी चूक भी कभीकभी बड़ी मुसीबत का सबब बन जाती है. उदाहरण के लिए पेट के संक्रमण की समस्या ही लें.
यह संक्रमण सिर्फ दूषित भोजन, पानी और गंदे हाथों से नहीं फैलता, वरन कई बार इस की वजह वह प्लेट भी हो सकती है जिस में भोजन किया गया. पर हमारा ध्यान इस तरफ नहीं जाता और हम इस के लिए खाने में इस्तेमाल होेने वाले पदार्थों की क्वालिटी या उन के ठीक से न बन पाने को दोष देते हैं. यह नहीं सोचते कि ऐसा बरतनों के गंदे रह जाने से भी हो सकता है.
भोजन की स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि बरतनों की साफसफाई का पूरा खयाल रखा जाए, क्योंकि भोजन पकाने और परोसने के दौरान बरतन सीधे तौर पर इन के संपर्क में रहते हैं. यदि ढंग से इन्हें साफ न किया जाए, तो ये कीटाणुओं को स्थानांतरित करने का माध्यम बन जाते हैं.
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका में बरतन धुलाई की प्रभावशीलता के बारे में एक स्टडी की गई, जिस में पाया गया कि बरतनों में छूटा भोजन बैक्टीरिया पनपने की वजह बन जाता है. इस के अलावा 2 और तथ्य इस सर्वेक्षण में सामने आए:
– चम्मच, चाकू और फोर्क के कांटों में पुराने भोजन के कण फंसे रह जाते हैं, जिस से रोगाणु पनपते हैं.
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– दूध के सूखे गिलासों में रोगाणु सब से ज्यादा पनपते हैं.
सीनियर मैडिसिन कंसल्टैंट, डा. सुशीला कटारिया कहती हैं कि बरतनों में बैक्टीरिया रह जाने के चांस काफी होते हैं. खासतौर पर तब जब बरतनों की सफाई ठीक से न की जाए या फिर संक्रमित व्यक्ति द्वारा बरतन साफ किए जाएं. ऐसे व्यक्ति के हाथों में बैक्टीरिया होते हैं, जो बरतनों में चले जाते हैं.
रखें कुछ बातों का खयाल
– बरतनों को खाने के बाद ज्यादा देर तक न छोड़ें. सूखने से पहले ही उन्हें धो दें, ताकि उन में बैक्टीरिया अपना डेरा न जमाएं.
– बरतनों पर साबुन लगाने से पहले उन में मौजूद खाद्यपदार्थों को साफ कर डस्टबिन में डाल दें.
– स्पंज के बजाय बरतनों को कपडे़ से रगड़ कर धोएं, क्योंकि स्पंज में कीटाणु फंसे रह जाते हैं.
– बरतन साफ करने के बाद उन्हें कैमिकल सैनिटाइजर में डुबोएं, क्योंकि साधारण साबुन से बरतनों की चिकनाई तो उतर जाती है पर बैक्टीरिया नहीं मरते.
– बाजार में इस तरह के कई डिश वाशिंग एजेंट उपलब्ध हैं, जिन में मौजूद प्रभावशाली, रोगाणुनाशक तत्त्व बरतनों की बेहतर सफाई करते हैं. अच्छा यही होगा कि आप ऐसा ही कोई ऐजेंट लें.
– नैशनल फूड सर्विस मैनेजमैंट इंस्टिट्यूट के मुताबिक, बरतन धोने की प्रक्रिया 3 चरणों में पूरी की जानी चाहिए और इन्हें पूरा करने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. ये तीनों चरण हैं- वाशिंग, रिंसिंग और सैनिटाइजिंग.
– पहले चरण में पानी में डिटर्जैंट/साबुन मिला कर बरतनों को धोएं. दूसरे चरण में उन्हें साफ पानी से खंगालें और तीसरे चरण में कैमिकल सैनिटाइजर से इन्हें डिसइन्फैक्ट करें.
 
             
             
             
           
                 
  
           
        



 
                
                
                
                
                
                
               