आजकल घरों में मशीन होना एक आम बात है. आमतौर पर घरों में सेमी ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक मशीन होतीं हैं. सेमिऑटोमेटिक मशीन में पानी  भरना पड़ता है और पानी भरने, वाशर में से कपड़े ड्रायर में डालने जैसे काम मेन्युली करने पड़ते हैं वहीं फुली ऑटोमेटिक मशीन सारे काम खुद ही कर लेती है परन्तु चूंकि दोनों ही हैं तो मशीनें ही इसलिए दोनों में ही कपड़े धोते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है-

1. कुछ लोगों की धारणा होती है कि ज्यादा मात्रा में डिटर्जेंट डालने से कपड़े ज्यादा अच्छे साफ होंगे जब कि इसके उलट ज्यादा मात्रा में डाला गया डिटर्जेंट पूरी तरह कपड़ों में से निकल नहीं पाता और कपड़ों में ही चिपक जाता है. कपड़े कैसे भी हों परन्तु एक बाल्टी कपडों के लिए आधा चम्मच डिटर्जेंट ही पर्याप्त रहता है.

2. जिन कपड़ों पर ओनली ड्राइक्लीन लिखा रहता है उन्हें भूलकर भी मशीन में न धोयें. इसके अतिरिक्त अधिक लिनन, लेदर, सिल्क, शिफॉन जैसे फेब्रिक के महंगे कपड़ों को भी मशीन में धोने की अपेक्षा हैंडवाश करके केवल स्पिन करके सुखा लें इससे उनकी चमक और रंगत बरकरार रहेगी.

3. ज़िप वाले कपड़ों की ज़िप बंद करके ही दूसरे कपड़ों के साथ डालें अन्यथा इनकी ज़िप दूसरे कपड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है.

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4. अक्सर हम बटन और हुक्स को खोले बिना ही कपड़े मशीन में डाल देते हैं इससे कपड़े खिंचते हैं और बटन टूटने के साथ कई बार बटन वाली जगह से कपड़ा फट भी जाता है इसलिए बटन खोलकर ही कपड़े मशीन में डालें .

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