ऑनलाइन लर्निंग के कई फायदे हैं, लेकिन रेग्युलर स्कूलिंग पैटर्न में बदलाव से छात्रों के सीखने या ज्ञान हासिल करने के तौर-तरीकों पर प्रभाव पड़ा है. ऑनलाइन स्कूलिंग कम सक्रियता से संबद्ध है जो छात्रों को कम उत्साहित बनाती है. स्कूल के अंदर मुहैया कराया जाने वाला उचित और ढांचागत लर्निंग परिवेष अपने घर की चारदीवारी के अंदर हासिल नहीं होता है. लर्निंग स्ट्रक्चर में इस तरह के बड़े बदलाव ने कुछ छात्रों को भ्रमित और चिंताग्रस्त बना दिया है.

अध्ययनों के अनुसार, यह साबित हुआ है कि छात्र जब किसी सीमित ढांचे में नहीं होते हैं या साथी छात्रों से घिरे नहीं रहते हैं तो वे कम प्रोत्साहित महसूस करते हैं. यह कई मामलों में सही है, क्योंकि छात्र वर्चुअल लर्निंग के बजाय आमने-सामने वाला पारस्परिक संवाद पसंद करते हैं. इस महामारी के दौरान जो अन्य कारक सामने आया, वह यह है कि किस तरह से छात्रों को मौजूदा लाॅकडाउन के बीच उत्साहित बनाए रखा जाए. घर पर सांत्वना और आराम करने की प्रवृत्ति शिक्षा की उत्पादकता में कमी लाती है और कई छात्र अपना अध्ययन करने में विलंब करते हैं. यह शिक्षकों के लिए भी समान रूप से चिंताजनक है, क्योंकि हरेक छात्र के लिए अलग से फीडबैक मुहैया कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, खासकर डिजिटल प्लेटफाॅर्म के जरिये. इन समस्याओं का मुकाबला करने के लिए हमें ऑनलाइन स्कूलिंग की सही स्थिति जानने की जरूरत होगी. इस बारे में कुछ खास बातें बता रहीं है.
मनोचिकित्सक अनुजा कपूर, जिससे इस समस्या से आसानी से निकला जा सके.

ज्यादातर अभिभावक इसे लेकर कम चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे को किस तरह से समझदार बनाया जाए, जिससे कि वे अपने बच्चों पर ध्यान केंद्रित करें अध्ययन सामग्री के लिए उन्हें प्रभावित कर सकें जिससे वे अच्छे नंबर ला सकें. लर्निंग, ज्ञान, कौशल, मूल्यों (चाहे वे कितने भी सरल और आसान हों) को सीखने की प्रक्रिया छात्र और शिक्षक दोनों के लिए संदेह के बगैर सबसे कठिन कार्य है.

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