युवाओं को प्राइवेसी की बहुत जरूरत होती है, लेकिन आधे से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे व बायोमीट्रिक सिस्टम युवाओं की प्राइवेसी को खत्म कर रहे हैं. भोपाल के एक होस्टल ने सुरक्षा के नाम पर सीसीटीवी लगाने शुरू किए हैं. जाहिर है कि वहां कौन कब आ रहा है, किस के साथ आ रहा है, यह अब पकड़ में रहेगा. कहने को चाहे यह अच्छा लगे कि सब सुरक्षित हैं पर यह इलैक्ट्रौनिक जेल है.

युवाओं को बहुत से काम गुपचुप करने होते ही हैं चाहे पढ़ाई का मामला हो, प्रेम का हो या पार्टियों का. युवाओं को नए प्रयोग करने की छूट होनी चाहिए, हुड़दंग मचाने की छूट होनी चाहिए. युवाओं पर रैजिमैंटेड रिजीम थोप कर आप उन से कुछ नया करने की उम्मीद नहीं कर सकते. हमेशा से युवा शैतानी भी करते रहे हैं और नएनए प्रयोग भी.

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स्कूलों, कालेजों में छात्रों को अनुशासन में रखने के नाम पर आजकल क्लासरूमों में, कौरीडोरों, खेल के मैदानों व चारदीवारी पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो पलपल को रिकौर्ड कर रहे हैं. इस से चाहे अपराध कम हो रहे हों पर युवाओं की आजादी भी कम हो रही है. वैसे ही, सैल्फी और वीडियो आजकल फटाफट बनाए जाने लगे हैं और कब वे वायरल कर दिए जाएं पता नहीं. सो, अपराधी प्रवृत्ति के लोग सीसीटीवी की फुटेज खंगाल कर उस की रिकौर्डिंग को बेचने का धंधा भी कर सकते हैं.

जब हर तरफ कोनोंकोनों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे तो हर कदम किसी न किसी कैमरे में कैद हो जाएगा और युवाओं को गुपचुप प्यार करने का एक भी मौका न मिलेगा. आज की तकनीक, असल में, अब आम आदमी पर भारी पड़ने लगी है. आप का मोबाइल हर समय औन रहता है और स्क्रीन बंद हो तो भी रिकौर्डिंग चालू रहती है.

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