‘परफैक्शनिस्ट’ अभिनेता आमिर खान और किरण राव का 15 साल बाद तलाक लेना शौकिंग है क्योंकि हर इंटरव्यू में आमिर खान हमेशा किरण राव की तारीफ करते थे. हालांकि दोनों ने आपसी सहमति से डिवोर्स लिया है, जिस में आमिर खान और किरण राव एक पेरैंट्स की तरह ही आजाद का पालनपोषण करेंगे, लेकिन मातापिता के अलग होने पर सब से अधिक प्रभाव बच्चों पर होता है क्योंकि उन्हें कभी भी मातापिता का मतभेद और डिवोर्स पसंद नहीं होता और फिर बड़े हो कर वे किसी रिश्ते में जाना पसंद नहीं करते.

आमिर की पहली पत्नी रीना दत्त से डिवोर्स लेने के बाद भी कई साल जुनैद डिप्रैशन का शिकार रहा. उस का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. कक्षा में पीछे बैठ कर सोता रहता था. बाद में टीचर को पता चला कि आमिर खान और रीना में डिवोर्स हुआ है. बहुत मुश्किल से रीना ने अपने बच्चे जुनैद और ईरा को संभाला है. वैसी हालत एक बार फिर किरण को 10 साल के आजाद को संभालने में होगी. उन के डिवोर्स की खबर के बाद ‘दंगल’ गर्ल फातिमा सना शेख की तसवीरें सोशल मीडिया पर ट्रोल हुई हैं. हालांकि आमिर ने डिवोर्स की वजह नहीं बताई है, पर समय के साथ सब पता चल जाएगा.

मुश्किल घड़ी

मिस्टर परफैक्शनिस्ट आमिर खान का फिल्मी कैरियर बहुत सफल रहा, लेकिन उन का निजी जीवन नहीं क्योंकि पहले की दोनों पत्नियों ने कई सालों तक साथ रहने के बाद डिवोर्स दिया, लेकिन आमिर खान दोनों पत्नियों से डिवोर्स के बाद कोपेरैंट रह कर बच्चों की परवरिश करने की बात कह चुके हैं. पेरैंट्स और कोपेरैंट में बहुत अंतर होता है, जिसे हर मातापिता को मानना आवश्यक है.

एक इंटरव्यू के दौरान आमिर कह चुके है कि जब मेरी और रीना का डिवोर्स हुआ और मीडिया में बात फैली, तब उस का फोन आया कि वह मुझ से मिलना चाहती है और मुझे डिवोर्स से रोकना चाहती है. मैं उस समय किसी से मिलना भी नहीं चाहता था, लेकिन वह आई और उसे न छोड़ने की सलाह दी थी. मुझे उस दिन लगा था कि कहीं न कहीं उस के दिल में मेरे लिए जगह है, जिस से वह मेरी मुश्किल घड़ी में मुझ से मिलने आई.

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मानसिक और शारीरिक विकास पर असर

इस बारे में मुंबई की मनोवैज्ञानिक राशिदा कपाडि़या कहती हैं कि अभिनेता आमिर खान एक अच्छे कलाकार के साथसाथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उन की अधिकतर फिल्मों के सफल होने में उन का खुद हर फिल्म को बनाने में सक्रिय होना है. उन्हें 2003 में पद्मश्री और वर्ष 2010 में पद्मभूषण अवार्ड भी मिल चुका है. उन की अच्छी इमेज है और उन्हें लोग फौलो करते हैं. ऐसे में इस तरह की छवि ठीक नहीं. कोपेरैंट का अर्थ साथ रहना नहीं, बल्कि कभीकभी बच्चे से मिलना होता है. इस से बच्चा बहुत कन्फ्यूजन में रहता है कि वह किसे अपनाए, किस की बात सुने, किस की नहीं. मातापिता के अलग होने में बच्चे ही सब से अधिक प्रभावित होते हैं. मातापिता की मनमानी से बच्चे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं. देखा जाय तो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. कुछ प्रभाव निम्न हैं, जिन से बच्चे को निकलना आसान नहीं होता:

– बच्चों को मातापिता दोनों का प्यार चाहिए, पिता का सहयोग और मां की ममता बच्चे दोनों  चाहते हैं.

– दोनों के साथ रहने पर बच्चों को एक स्ट्रैंथ मिलती है, उन्हें समझ में आता है कि परिवार उन की अच्छी परवरिश के लिए कमाई कर  उन्हें एक अच्छा इंसान बनाना चाहता है.

– मातापिता के अलग होने पर सपोर्ट की दीवार एकदम गिर जाती है. बच्चे बहुत अकेला महसूस करते हैं क्योंकि जब पिता होते हैं. तो मां नहीं और जब मां होती है, तो पिता नहीं क्योंकि मातापिता एकदूसरे के साथ सामंजस्य कर के ही एक अच्छी परिवेश देते हैं.

– मां का प्यार पिता नहीं दे सकता और पिता की स्ट्रैंथ मां नहीं दे सकती. बच्चों का मानसिक संतुलन बिगड़ता है. कई बार वे मातापिता के अलग होने का जिम्मेदार खुद को मानने लगते हैं.

– बच्चे बड़े हो कर परिवार, रिश्तों और प्यार में विश्वास करना भूल जाते हैं.

– डिवोर्स हो कर भी साथ में रहना, बहुत ही अलग बात है. यह औनलाइन मीटिंग की तरह है, बात में साथ हूं, लेकिन शारीरिक रूप से दूर हूं,

औफिस में बैठ कर काम करना और औनलाइन काम करने में बहुत बड़ा अंतर होता है, बौंडिंग अलग तरह की होती है, मातापिता बनने के लिए फिजिकल बौंडिंग की जरूरत होती है.

– मानसिक के अलावा शारीरिक विकास पर भी अधिक प्रभाव होता है क्योंकि बच्चे स्ट्रैस में होते हैं. खानेपीने की इच्छा नहीं होती. शरीर कमजोर होने पर वे बीमार पढ़ने लगते हैं.

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– इन हालात से खुद को दूर रखने के लिए वे खुद, ड्रग और नशे का शिकार हो जाते हैं, गलत आदतें पाल लेते हैं और बुरी संगत में रहने लगते हैं.

– किसी के कुछ कहने पर बच्चे चिड़चिड़ेपन के शिकार हो कर विद्रोही हो जाते हैं. उन की बातचीत का तरीका बहुत गलत हो जाता है.

– इस के अलावा बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं क्योंकि अलग होने के बाद अगर आमिर खान की कोई गर्लफ्रैंड अगर साथ में आई या किरण राव के साथ कोई आता है, तो बच्चे को नया रिलेशन जोड़ना पड़ता है.

– मां के साथ आए व्यक्ति को वह दूसरा पिता या स्टैप फादर कह कर संबोधन करेगा और पिता के साथ आई दूसरी महिला को वह स्टैप मदर या डैडी की गर्लफ्रैंड कहेगा और वह बहुत मुश्किल होता है. बच्चा अगर टीनऐजर है, तो वह नए व्यक्ति को अपने परिवार का सदस्य नहीं मान सकता क्योंकि उसे ये सब थोपा जाने वाला रिश्ता लगने लगता है.     -सोमा घोष –

 

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