सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

पार्टनर को खुश रखने के लिए उपहार या घुमाना भी कठिन हो जाता है. जो लोग सालोंसाल से साथ होते हैं वे भी कमियां निकालने लगते हैं. कोविड 19 के समय आर्थिक तनाव का सब से बड़ा कारण मकान का किराया देना, नौकरी का चले जाना, पूरा वेतन न मिलना, समय पर वेतन न मिलना प्रमुख है.

कंपनियां तरहतरह के बहाने बना कर परेशान करती हैं ताकि कर्मचारी नौकरी छोड़ कर चला जाए. मंदी के कारण भले ही दूसरे हों पर इस का प्रभाव सैक्स पर पड़ रहा है, जिस की वजह से पतिपत्नी के बीच के स्वाभाविक रिश्ते खराग हो रहे हैं.

सामाजिक जीवन पर असर

आर्थिक तंगी में लोग बड़े शहर, बड़े घर और शहरों में रहने वाले अच्छे इलाके छोड़ कर कम खर्च वाली जगहों और शहरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं. बच्चों को अच्छे स्कूलों से कम फीस वाले स्कूलों में एडमिशन कराने को मजबूर हो रहे हैं. आर्थिक तंगी का प्रभाव सामाजिक जीवन पर पड़ता है, जो तनाव का बड़ा कारण होता है.

महिलाओं पर यह असर अधिक पड़ता है. ऐसे में उस के सैक्स संबंध पति के साथ नहीं बन पाते. कई बार पति की तरफ से पहल होने पर भी पत्नी मना कर देती है.

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आर्थिक तनाव को खत्म करने के लिए लोग काम अधिक कर रहे जिस की वजह से सैक्स संबंधों के लिए समय भी नहीं मिल पा रहा है और थकान होती है वह अलग से सैक्स संबंधों की परेशानी जस की तस रह जाती है.

तनाव का प्रभाव महिलाओं पर अधिक

आर्थिक तनाव का प्रभाव महिलाओं पर पुरुषों से अधिक होता है. महिलाएं पुरुषों से ज्यादा पैसों की चिंता में उलझ रहती हैं. इन सभी बातों की चिंता के साथ उन का दिमाग सैक्स पर लग पाना और उस का मजा उठा पाना मुश्किल हो जाता है. आर्थिक तनाव सैक्स लाइफ को सब से अधिक प्रभावित करता है. इस तनाव में चाह कर भी व्यवहार पर कोई नियंत्रण नहीं होता.

तनाव के कारण कई तरह की शारीरिक परेशानियां बढ़ जाती हैं. जिन में सिरदर्द, पेट खराब होना, हाई ब्लड प्रैशर या सीने में दर्द जैसी कुछ प्रमुख हैं. ये परेशानियां बढ़ने से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. मानसिक स्वास्थ्य यानी मैंटल हैल्थ से डिप्रैशन, चिंता, पेनिक अटैक्स के साथसाथ इमोशनल प्रौब्लम्स भी काफी हद तक सैक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं.

तनाव बढ़ने के कारण बौडी के हारमोंस मैटाबौलिज्म को प्रभावित करती हैं. तनाव के कारण दिमाग में नकारात्मक विचार पैदा होते हैं. इस के चलते बौडी में नैगेटिव इमेज बनने लगती है. इस से सैक्सुअल रिलेशन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.

बिगड़ जाती है मैंटल हैल्थ

जब मन खुश नहीं होता, मूड खराब होता है, भावनात्मक उथलपुथल अधिक होती है तो सैक्स करने की इच्छा नहीं होती. एक की सैक्स लाइफ खराब होने का प्रभाव दूसरे की सैक्स लाइफ पर भी पड़ता है. आर्थिक तनाव का प्रभाव सब से पहले मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. तनाव के कारण रिश्ते को ले कर कई तरह के खयाल मन में चलने लगते हैं. ऐसे में साथी भी परेशान होता है. वह रिश्ते पर ही सवाल करने लगता है.

कोई भी ऐसे इंसान के साथ बिस्तर पर नहीं जाना चाहेगा जो कि भावनात्मक रूप से स्थिर न हो. जब हम तनाव महसूस कर रहे होते हैं तो रिश्ते प्रभावित होते हैं.

कई बार इस तनाव के कारण आपसी बातचीत प्रभावित होती है. जो इस परेशानी को और भी बढ़ाता है.

सैक्स लाइफ को बेहतर करने के लिए तनाव को खत्म करना या अपनी सोच को बदलना जरूरी होता है. यह कहना आसान है, लेकिन शायद करना मुश्किल होता है. ऐसे में जरूरी है कि तनाव के प्रभाव को कम करने का प्रयास करें ताकि तनाव जीवन पर हावी न हो सके. ऐक्सरसाइज, काउंसलिंग के जरीए यह संभव हो सकता है.

इस से तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है ताकि यह सैक्स लाइफ को प्रभावित  न कर सके. इसी वजह से कहा जाता है कि  जब बैडरूम में हों तो बाकी बातें बाहर ही छोड़ देनी चाहिए.

परेशानियां बढ़ाता है हारमोंस का असंतुलन

तनाव में होने के कारण शरीर में स्ट्रैस हारमोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है. कोर्टिसोल और एपिनेफ्रीन का स्तर बढ़ने से हैल्दी सैक्स लाइफ नहीं रह जाती. यह महिलाओं में सैक्सुअल क्षमता को कम कर देता है. जिस के कारण सैक्स लाइफ प्रभावित होती है.

कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से सैक्स हारमोन के रिलीज होने में परेशानी हो सकती है, जिसे सैक्स की इच्छा कम हो जाती है. इसलिए खुद को शांत और रिलैक्स रखें.

तनाव महिलाओं की माहवारी चक्र को भी प्रभावित करता है, जिस से माहवारी अनियमित हो जाती है. इस के कारण शरीर में हारमोनल बदलाव होते हैं, जो मूड स्विंग्स बढ़ा सकते हैं, जिस से तनाव बढ़ जाता है.

आर्थिक तनाव केवल शरीर के हारमोनल बैलेंस को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि जब शरीर तनाव में होता है तो भावनात्मक रूप से भ लोगों पर प्रभाव पड़ता है. इस दौरान किसी से बात नहीं करने और लोगों से दूर जाने के अवसर ढूंढ़ रहे होते हैं.

इस के चलते साथी से भी भावनात्मक तौर पर अलगाव महसूस करने लगते हैं. सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि नहीं है, इस में इमोशंस भी शामिल होते हैं. इस कारण आर्थिक तनाव में खुद को इस के लिए तैयार कर पाना मुश्किल होता है. आर्थिक तनाव के कारण आपस में इंटिमेसी कम हो जाती है. यह संबंधों के लिए और अधिक खतरनाक हो जाता है.

तनाव से कैसे निबटें

आर्थिक तनाव को दूर करने के लिए जरूरी होता है कि पैसे की परेशानियों को जीवन से दूर करें. जब तक आर्थिक हालात खराब बने रहते हैं तब तक आपस में बातचीत जरूर करते रहें. मन को मजबूत करें और यह सोचें कि जल्द ही कोई न कोई उपाय होगा. जो चीजें तनाव दे रही हैं उन से भागने के बजाय उन का सामना करें और उन्हें सुलझने की कोशिश करें.

अपने साथी को समय, साथ और भरोसा दें. अपनी क्षमता के अनुसार कहीं घूमने जाएं. घूमने से तनाव कम होता है, मूड ठीक होता है. तनाव को दूर करने के लिए ऐक्सरसाइज सब से अच्छा उपाय है. रिलैक्सिंग म्यूजिक भी माहौल को सुधारने का काम करती है.

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आर्थिक तनाव की हालत में मानसिक रूप से मजबूत रहना जरूरी होता है. मूड और बिहेवियर को समझने की कोशिश करें. इस से परेशानियों का सामना करना आसान हो जाता है. अपने साथी से बातचीत कर उसे समझाएं कि हमेशा एक जैसे दिन नहीं रहते हैं. उसे इस समय सहयोग करने के लिए कहें.

वे काम करें जो आप को खुशी देते हों. अपनी रुचियों को समय दें जैसे किताबें पढ़ना, गार्डनिंग, पेंटिंग या कुकिंग करना. इस से आप को अच्छा महसूस होगा. तनाव के अत्यधिक बढ़ने पर इसे अनदेखा न कर डाक्टर से सलाह लें. मनोवैज्ञानिक से मिलें. काउंसलिंग बहुत मददगार होती है.

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