आज भूमि की शादी की पहली सालगिरह थी और अपने पति कार्तिक के इसरार पर उस ने पहली बार बियर का स्वाद चखा था. अब कार्तिक का साथ देने के लिए वह भी कभीकभी ले लेती थी और एक दिन जब कार्तिक कहीं बाहर गया हुआ था तो भूमि ने अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर ली पर उस के बाद भूमि अपने को रोक नहीं पाई और आए दिन ऐसी मदिरापान की पार्टियां उन के यहां आयोजित होने लगीं. भूमि और कार्तिक अपने इस शौक को हाई क्लास सोसाइटी में उठनेबैठने का एक अनिवार्य अंग मानते हैं. यह अलग बात है कि जहां कार्तिक शराब के अत्यधिक सेवन के कारण इतनी कम आयु में ही हाई ब्लडप्रैशर का शिकार हो गया है वहीं भूमि की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है और वह मां नहीं बन पा रही है.

आज राजेश खन्नाजी बड़ी बेचैनी से चहलकदमी कर रहे थे. उन की बेटी तन्वी अब तक घर नहीं लौटी थी. दरवाजे की घंटी बजी और शराब के नशे में झूमती हुई तन्वी दरवाजे पर खड़ी थी. राजेशजी को तो काटो खून नहीं, उन्हें समझ नहीं आया कि उन की परवरिश में क्या गलती रह गई थी. अगले दिन जब तन्वी का कोर्टमार्शल हुआ तो तन्वी ने पापा से कहा, ‘‘पापा औफिस की पार्टीज में ये सब चलता है और फिर रोशन भैया भी तो पीते हैं.’’

राजेशजी गुस्से में बोले, ‘‘वह कुएं में कूदेगा तो तू भी कूदेगी, लड़कों की बराबरी करनी है तो बेटा अच्छी आदतों की करो.’’

आजकल की भागतीदौड़ती जिंदगी में सभी लोगों पर अत्यधिक तनाव है पर जहां पहले पुरुष ही तनाव से लड़ने के लिए मदिरापान का सेवन करते थे वहीं अब महिलाएं भी पुरुषों के साथ इस मोर्चे पर डट कर खड़ी हैं. क्यों न हो आखिर यह इक्कीसवीं सदी है. महिलाएं और पुरुष  हर कार्य में बराबरी के भागीदार हैं. जब से मल्टीनैशनल कंपनी और कौलसैंटर की बाढ़ भारत में आई है, तभी से शराब और सिगरेट के सेवन में भी आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है. यहां पर काम करने की समयावधि, देर रात तक चलने वाली पार्टीज और कभी न खत्म होने वाले कामों के कारण, यहां के कर्मचारियों में  एक अजीब किस्म का तनाव व्याप्त रहता है. इस का निवारण वे मुख्यत: शराब के सेवन से करते हैं.

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एकल परिवारों में बढ़ती लत

ऐसा नहीं है कि पहले के जीवन में तनाव नहीं था पर पहले जहां परिवार के सदस्यों के साथ हम शाम को बैठ कर अपने दुखसुख साझा कर लेते थे. वहीं अब एकल परिवारों के चलन के कारण यह भूमिका मदिरा ने ले ली है.

मजे की बात यह है पहले जहां पत्नियां पति को शराब के सेवन को ले कर रोकटोक करती वहीं अब अगर पति इन नशों का आदी होता है तो उस को तनाव से लड़ने के लिए छोटी सी खुराक समझ कर चुप लगा जाती हैं. बहुत से घरों में तो यह भी देखने को मिलता है कि पत्नियां भी धीरेधीरे पति का साथ देने लगती हैं. बाद में पत्नियों का ये कभीकभी का शौक भी कब और कैसे लत में परिवर्तित हो जाता है वे खुद भी नहीं जान पाती हैं.

अखिल और प्रज्ञा मुंबई में रहते हैं. उन के घर में न पैसों की कोई कमी है और न ही आधुनिक संस्कारों की. दोनों खुद अपनी बेटी के सामने बैठ कर खुद ड्रिंक करते हैं बिना यह सोचे कि इस बात का उन की बेटी कायरा पर क्या असर होगा? हद तो तब हो गई जब एक दिन कायरा को स्कूल से निलंबित कर दिया गया क्योंकि वह पानी की बोतल में पिछले कई दिनों से शराब ले कर जा रही थी. बेटी को क्या समझाएं, यह वे खुद ही नहीं समझ पा रहे हैं. फिलहाल दोनों बेटी से आंखें चुरा रहे हैं और एकदूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं.

इंस्टैंट का जमाना है

आजकल इंस्टैंट जमाना है. हर चीज चाहिए पर बहुत जल्दी और बिना मेहनत करे. अगर तनाव है तो उस से लड़ने का सब से आसान विकल्प लगता है मदिरापान करना. इस के दो फायदे हैं पहले तो कुछ देर के लिए ही सही आप तनावमुक्त तो हो जाओगे और दूसरा आप मौडर्न भी कहलाएंगे.

वहीं जब घर के बुजुर्गों को बच्चों की इस आदत के बारे में बात पता चलता है तो कुछ जुमले बोल कर ही वे लोग अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं.

‘‘कैसा जमाना आ गया है, आदमियों की तो बात जाने दो, आजकल तो औरतें भी शराब पीती हैं.’’

तंबाकू, सिगरेट और शराब, इन सारी चीजों का सेवन करना आजकल की युवा महिलाओं में एक आम बात सी हो गई है. पहले महिलाएं इन सब चीजों का सेवन मजे के लिए करती हैं और बाद में जब ये लत बन जाती है तो एक सजा जैसी हो जाती है. पहले जहां शराब या सिगरेट की दुकानों पर पुरुषों की भीड़ एक आम बात थी वहीं अब महिलाएं भी बिना किसी हिचक के उन दुकानों पर देखी जा सकती हैं.

गीतिका 28 वर्षीय युवती है और एक आधुनिक दफ्तर में काम करती है. जब मैं ने उस से इस बाबत बातचीत करी तो उस ने कहा, ‘‘दीदी, आजकल औफिस पार्टियों में शराब का सेवन अनिवार्य सा हो गया है. नौकरी तो करनी ही है न तो फिर शराब से कैसा परहेज.’’

मैं इस लेख के माध्यम से शराब या सिगरेट को बढ़ावा कदापि नहीं देना चाहती हूं पर मैं समाज के बदलते मापदंड की तरफ आप सब का ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूं.

चलिए अब कुछ कारणों पर प्रकाश डालते हैं जिस कारण आजकल महिलाओं में शराब के सेवन की आदत बढ़ती जा रही है.

फैशन स्टेटमैंट: आजकल शराब या सिगरेट का सेवन भी एक तरह का फैशन स्टेटमैंट बन गया है. अगर आप शराब नहीं पीते हैं तो आप बाबा आदम के जमाने के हैं. आप कैसे अपने कैरियर में आगे बढ़ेंगे, अगर आप को आजकल के तौरतरीकों का पता नहीं है?

बराबरी की चाहत: आजकल की नारी जीवन के हर मोर्चे पर पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही हैं. अगर पुरुषवर्ग मदिरापान करते हैं तो फिर आज की आधुनिका, श्रृंगारप्रिया कैसे पीछे रह सकती है. अधिकतर महिलाएं सबकुछ जानतेबूझते हुए भी बस बराबरी की चाहत में इस राह की तरफ मुड़ जाती हैं.

तनाव से राहत: तनाव से राहत एक तरफ कैरियर के दबाव, दूसरी तरफ बूढ़े मातापिता, बढ़ते बच्चों की जरूरतें, कभी न खत्म होने वाला काम, इन सब बातों से राहत पाने के लिए भी आजकल की महिलाएं शराब का सहारा लेने लगी हैं. कुछ देर के लिए ही सही उन्हें लगता है वह एक अलग दुनिया में चली गई हैं.

स्वीकार होने की चाह: आजकल अधिकतर लड़कियां नौकरी के कारण अपना घर छोड़ कर महानगरों में अकेले रहती हैं. नई जगह, नए दोस्त और उन दोस्तों में अपनी पहचान बनाने के लिए न चाहते हुए भी वे मदिरापान करने लगती हैं. नए रिश्ते बनते हैं तो सैलिब्रेशन में शराब का सेवन होता है और फिर जब रिश्ते टूटते हैं तो फिर शराब का सेवन गम गलत करने के लिए होता है.

शराब के सेवन से सेहत पर होने वाले बुरे असर से हम सब भलीभांति परिचित हैं. परंतु अगर हाल ही में हुए शोधों पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की सेहत पर शराब का दुष्प्रभाव अधिक होता है.

– शराब को पचाने के लिए लिवर से एक ऐंजाइम निकलता है जो शराब को पचाने में सहायक होता है. महिलाओं में ये ऐंजाइम कम निकलता है जिस के कारण उन के लिवर को पुरुषों के मुकाबले अधिक मेहनत करनी पड़ती है.

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– महिलाओं की शारीरिक संरचना पुरुषों से अलग है  इसलिए उन की सेहत पर शराब का दुष्प्रभाव अधिक देर तक और जल्दी होता है.

– शराब के सेवन से महिलाओं की प्रजनन शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और यदि गर्भावस्था में महिलाएं शराब का सेवन करती हैं तो होने वाले  शिशु पर भी प्रभाव पड़ता है.

घर के मुखिया या बड़े होने के नाते यदि आप अपने बच्चों की शराब के सेवन की आदत से परेशान हैं तो उन्हें अवश्य समझाएं. शराब के सेवन से होने वाली हानि के बारे में भी बताएं पर बेटा और बेटी या बहू सब को एक समान ही सलाह दें. शराब का सेवन करना एक गंदी आदत है. पर इस का आशय यह नहीं है कि उस का सेवन करने वाली महिलाओं का चरित्र खराब है. जो बात गलत है वह सब के लिए ही गलत है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, दोनों को सलाह देते समय एक ही पैमाना रखें, बेटी और बहू को पाप और बेटे को शौक के तराजू पर ना तौलें.

यह जरूर याद रखिए कमजोर महिला ही विपरीत परिस्थितियों में शराब की डगर पर फिसल जाती है. किसी भी प्रकार के नशे की जरूरत तभी पड़ती है, अगर आप के अंदर हौसले की चिंगारी न हो.

नशा हो जब तुम को हौसले की उड़ान का तो फिर क्या करोगी तुम शराब के जाम का.

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