मोबाइल, इंटरनैट और बदलते लाइफस्टाइल के बीच बच्चों की सही परवरिश आसान नहीं रह गई है. बच्चे सब से पहले अपने मातापिता से ही सीखते हैं. आप का व्यवहार, आप की आदतें बच्चे सीखेंगे और वैसा ही दूसरों के साथ करेंगे क्योंकि यह लाइफटाइम के लिए उन की आदत बन जाएगी, जो उन के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होगी. इसलिए अगर अच्छे मातापिता बनना है और बच्चों की परवरिश ठीक ढंग से करनी है तो आज से ही अपनी इन आदतों को बदल लें:

जराजरा सी बात पर डांटने से बचें

कई बार बच्चों पर छोटीछोटी बातों पर चिल्लाना या उन्हें डांटना आप की आदत बन जाती है. पढ़ाते या कुछ समझते वक्त अगर बच्चे को कुछ सम?ा नहीं आ रहा है तो डांटने के बजाय उसे प्यार से समझाएं क्योंकि ऐसा करने से बच्चा सवाल पूछने से डरेगा नहीं वरना आप का उस पर छोटीछोटी बातों पर चिल्लाना उसे गुस्सैल व चिड़चिड़ा बना सकता है.

खुद फैसला करने दें

बच्चों को आजादी देनी चाहिए. इस से उन में सोचनेसम?ाने का विकास होता है. बच्चों को जब आप काम की आजादी देंगे तो उन की क्रिएटिविटी में निखार आएगा. छोटीछोटी बातों में अपनी राय की आदत में बदलाव लाएं. जब बच्चे आप से अपनी समस्या शेयर करें तब उन का उचित मार्गदर्शन करें क्योंकि जब बच्चे अपनी प्रौब्लम्स आप से शेयर करेंगे तब आप दोनों के बीच की बौंडिंग भी अच्छी होगी.

अपनी नाराजगी को न बताएं

कभीकभी ऐसा भी होता है कि बच्चों की कुछ आदतें पेरैंट्स को अच्छी नहीं लगतीं. ऐसी स्थिति में उन्हें भलाबुरा न बोलें. उन पर बातबात पर दोष न डालें. अच्छी पेरैंटिंग का मतलब यह होता है कि आप कितना भी गुस्सा

या नाराज क्यों न हो, बच्चों के सामने यह बात जाहिर नहीं होनी चाहिए. इस के लिए सही समय का इंतजार करें. तब उन्हें कुछ समय निकाल कर समझाएं.

दूसरे बच्चों से कंपेयर न करें

हर बच्चे की अपनी खासीयत होती है. इसलिए कभी भी अपने बच्चे को दूसरे बच्चों से कंपेयर न करें. इस से कई बार बच्चे में आत्मविश्वास की कमी आती है. हो सकता है कि आप का बच्चा किसी एक काम में दूसरों से अच्छा न कर रहा हो लेकिन कोई ऐसी भी ऐक्टिविटी होगी, जिस में वह सब से आगे होगा. इसलिए उसे उस की इस खासीयत के बारे में बताएं और उसे उस फील्ड में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें.

हर मांग को न करें पूरी

आजकल घरों में 1 या 2 ही बच्चे होते हैं जिस के कारण हर बच्चे को हर समय पूरा अटैंशन देते और उस की हर मांग को पूरा किया जाता है जिस के चलते वह कई बार जिद्दी हो जाता है. बच्चों की मांग से पहले ही उन की इच्छा पूरी करना उन्हें बिगाड़ सकता है. कई मातापिता ऐसे होते हैं कि बच्चे कुछ भी मांगें तुरंत ला कर दे देते हैं. ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि यह आदत बच्चों पर गलत प्रभाव डाल सकती है. इसलिए जब भी कुछ लाएं तो इस बात का खयाल रहे कि बच्चे को उस की जरूरत होनी चाहिए या उसे पहले कुछ करने के लिए कहें. उस के बाद ही यह चीज मिलेगी यह उसे बता दें ताकि उसे एहसास रहे कि मांग हर बार पूरी  नहीं होगी.

कम करें मोबाइल, इंटरनैट का इस्तेमाल

आजकल मोबाइल, इंटरनैट के जमाने में बच्चे ज्यादातर वक्त स्मार्टफोन और अन्य गैजेट्स के साथ बिताने लगे हैं. ऐसे में उन की आंखों और मैंटल हैल्थ पर असर पड़ता है. उन का विकास भी प्रभावित होता है. इसलिए उन्हें एक निश्चित समय सीमा के लिए ही मोबाइल एवं इंटरनैट का इस्तेमाल करने दें और गेम्स आदि खेलने के लिए उन्हें आउट डोर गेम्स खलने की सलाह दें ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें, साथ ही जो नियम बच्चों के लिए बनाएं उन्हें खुद भी अपनाएं.

धैर्य की सब से ज्यादा जरूरत

पेरैंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को धैर्य रखना और शांत रहना सिखाएं. डिजिटल स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने के कारण बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं. वे अपना धैर्य खो रहे हैं क्योंकि मोबाइल और इंटरनैट ने हर चीज तुरंत होने का आदी बना दिया है. किसी भी काम में थोड़ी भी देर उन्हें बरदाश्त नहीं. उन्हें हर चीज चंद उंगलियों को घुमाने से तुरंत मिल रही है. यदि वह नहीं मिल रही तो गुस्सा भी बहुत जल्दी आ रहा है इसलिए मातापिता की जिम्मेदारी है बच्चों को बताएं कि धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए. जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्य एक पूंजी की तरह काम करता है. अगर बच्चे में शुरू से ही यह गुण डाला जाए तो वह आगे चल कर काफी सफल हो सकता है और यह आदत उसे विपरीत परिस्थितियों से निकलने में भी मदद करेगी.

नखरे को प्यार न समझें

कई बार जब बच्चे जिद करते हैं तो मातापिता उन्हें वह करने की छूट दे देते हैं जो बच्चे करना चाहते हैं. इसलिए कभी ऐसी सिचुएशन आए तो बच्चे को प्यार से सम?ाना चाहिए. उस के नखरे को कभी प्यार नहीं सम?ाना चाहिए. अच्छी पेरैंटिंग के लिए भावनाओं पर काबू रखना जरूरी होता है. इस से बच्चा सही और गलत के बीच का अंतर सीख पाता है.

खुद में बदलाव लाएं

अच्छी पेरैंटिंग के लिए कई आदतों मातापिता को खुद भी छोड़ देनी चाहिए. इससे बच्चों का भविष्य शानदार हो सकता है. बच्चों पर आरोप मढ़ने से अच्छा है कि आप अपनी छोटीछोटी बुरी आदतों को छोड़ दें और उन की परवरिश पर ध्यान लगाएं. बच्चों की अच्छी परवरिश करनी है तो पेरैंट्स को उनके साथ ऐसी चीजें कभी नहीं करनी चाहिए जो उन के दिलदिमाग पर गहरा असर डाल सकती हैं.

आप का पेरैंटिंग स्टाइल बच्चे के वर्तमान और भविष्य को बहुत हद तक निर्धारित करता है. आप किस तरह से बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, उन के किन सवालों के क्या जवाब दे रहे हैं और उन की बदमाशियों और शरारतों पर किस तरह से रिएक्ट कर रहे हैं, यह बच्चों के कैरेक्टर को सही ढंग से बनाने में बहुत बड़ा योगदान निभाता है. आप का पेरैंटिंग स्टाइल सिर्फ आप के बच्चे ही नहीं भविष्य में बच्चे के बच्चे की परवरिश में भी बड़ा योगदान निभाएगा क्योंकि आप का बच्चा आज जो आप से सीखेगा भविष्य में अपने बच्चों पर भी वही लागू करेगा.

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