रीना और नरेश की शादी को 3 साल हो गए हैं. पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं. औफिस में काम के सिलसिले में उन्हें शहर के बाहर भी जाना पड़ता है. अभी तक सब ठीक चलता आ रहा था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से रीना को थकान, बेचैनी और नींद न आने की शिकायत रहने लगी है. डाक्टर को दिखाने पर पता चला कि रीना तनाव में जी रही है. नौकरी के कारण पतिपत्नी को काफी समय तक अलगअलग रहना पड़ता. जब तक उस का पति साथ रहता, तब तक सब सही रहता, लेकिन जब वह अकेली होती तो उस के लिए घर के कामों और नौकरी के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल हो जाता. वैसे भी रीना चाह रही थी कि अब वह अपना घर संभाले, परिवार बढ़ाए. मगर उस का पति कुछ समय और इंतजार करना चाह रहा था. बस इसी वजह से रीना तनाव में रहने लगी थी.

तनाव के कारण द्य आजकल की दिनरात की दौड़धूप, औफिस जानेआने की चिंता, बच्चों की देखभाल, उन की पढ़ाई की चिंता, परिवार के खर्चे आदि कुछ ऐसे कारण हैं, जो पुरुषों से अधिक औरतों को परेशान करते हैं. इन के अलावा हारमोन का बैलेंस गड़बड़ाना (माहवारी से पहले और मेनोपौज के दौरान), मौसम में बदलाव आदि भी किसी महिला के जीवन में अवसाद का कारण बनते हैं.

द्य गर्भधारण के समय से ही महिलाओं के दिमाग में बेटा होगा या बेटी की चिंता घर करने लगती है. परिवार के बड़ेबुजुर्ग बारबार बेटाबेटा कह कर उन के तनाव को और बढ़ा देते हैं, जबकि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि औलाद के बेटा या बेटी होने के लिए किसी भी महिला को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. फिर भी हमारे समाज में अनपढ़ ही नहीं पढ़ेलिखे लोग भी बेटी होने पर दोषी मां को ही ठहराते हैं. द्य सच कहा जाए तो तनाव की शुरुआत बेटी के जन्म से ही हो जाती है और उस की उम्र के साथसाथ बढ़ती जाती है.

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