आज जितना चुनौतीपूर्ण माहौल हमारे लिए है, उस से भी कहीं ज्यादा हमारे बच्चों के लिए है. हम तो इतने समझदार हैं कि कैसे खुद को समझना है, कैसे परिस्थितियों को हैंडल करना है, कैसे खुद को मोटीवेट करना है, हमें पता है और हम आसानी से उसे डील कर लेते हैं.

लेकिन हमारे बच्चे नहीं समझ पाते कि कैसे अलगअलग परिस्थितियों से निबटें. इस कारण वे जिद्दी व गुस्सैल हो जाते हैं. यह उन के कौन्फिडैंस को कम करता है और आगे चल कर इसी तरह के व्यवहार की वजह से वे खुद को दूसरों से कम आंकने लगते हैं.

ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों को रिवार्ड?थेरैपी दें ताकि वे इस नैगेटिव माहौल में खुद को खुश रखने के साथसाथ कुछ नया लर्न कर पाएं. जो आगे चल कर उन के काम आए.

क्या है रिवार्ड थेरैपी

आप सोच रहे होंगे कि रिवार्ड थेरैपी होती क्या है. तो आइए इसे इस तरह जानते हैं. जब भी हमें किसी चीज के लिए रिवार्ड मिलता है, कोई हमारी पीठ थपथपाता है या फिर लोगों के सामने हमें वैलडन जैसे शब्दोें से नवाजा जाता है तो हमें बहुत ज्यादा खुशी होती है और हम इस रिवार्ड को पा कर आगे और भी अच्छा करने के बारे में सोचते हैं और पूरी मेहनत से उसे करते भी हैं.

ठीक उसी तरह से बच्चों के लिए भी यह रिवार्ड थेरैपी है, जो उन्हें नई चीजों को सिखाने के साथसाथ रिवार्ड के जरीए उन्हें आगे बढ़ाने और बेहतर काम करने व उन के कौन्फिडैंस को बढ़ाने का काम करती?है. तो जानते हैं बच्चों को रिवार्ड थेरैपी देने के लिए आप क्याक्या करें.

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मिनी शैफ को करें ऐप्रिशिएट

आज माहौल ऐसा है कि बच्चे व पेरैंट्स हर समय एकसाथ हैं. ऐसे में जब बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो उन्हें बोरियत होनी स्वाभाविक है. ऐसे में अगर वे आप के साथ किचन में आप की भले ही थोड़ीबहुत मदद करवाएं, जैसे उन्हें आप को देख कर किचन में रोटी बेलने का शौक आए तो आप उन्हें मना न करें. बल्कि अपनी देखरेख में उन्हें वह काम करने दें.

भले ही उन की रोटी गोल न बने या फिर उन के किचन में आप के साथ काम में हाथ बढ़ाने से आप का काम थोड़ा बढ़े, लेकिन आप उन्हें करने दें, क्योंकि इस से उन में किचन में काम करने की थोड़ी आदत पड़ेगी.

जब भी वे खुद से कुछ बनाएं तो उन का हौसला बढ़ाएं जैसे तुम ने तो मुझ से भी अच्छा काम किया है. आज तो हम तुम्हारी बनाई हुई रोटी ही खाएंगे और उन्हें भी मजाकमजाक में एहसास करवाएं कि जिस तरह उन्होंने उन की मेहनत की कद्र की है, उसी तरह उन्हें भी घर में बने खाने को पूरे मन से खाना चाहिए.

आप उन्हें उन की मेहनत का रिवार्ड देने के लिए उन की बनाई रोटी की पिक को अपनी फैमिली व फ्रैंड्स से शेयर करें. सब के सामने उन की तारीफ करें. इस से जब उन्हें और लोगों की भी तारीफ मिलेगी तो उन का कौन्फिडैंस बढ़ने के साथसाथ उन्हें जो खुशी मिलेगी उस का आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे. इस रिवार्ड से आगे भी वे किचन के काम में हाथ बंटाने के साथसाथ धीरेधीरे आप के काम की वैल्यू भी समझने लगेंगे.

टेबल मैनर्स पर दें प्ले गेम रिवार्ड

बच्चों को टेबल मैनर सिखाना बहुत जरूरी होता है वरना बचपन से बिगड़ी उन की यह आदत आगे चल कर उन के मजाक बनने का कारण बन सकती है. इसलिए उन्हें सिखाएं कि बच्चो अगर तुम टेबल पर मैनर्स जैसे खाने से पहले अपने हैंड्स को वाश करना, सब के आने के बाद ही खाना शुरू करना, मुंह खोल कर व आवाज निकालनिकाल कर खाना नहीं खाना, खाते वक्त गैजेट्स से दूरी बनाना, बरतनों को बजाना नहीं इत्यादि बातों का ध्यान रखोगे तो हम आप के साथ हर रोज आधा घंटा आप की पसंद की गेम खेलेंगे.

यकीन मानिए इस से आप के बच्चे खुशीखुशी इन सब चीजों को करेंगे और जब आप उन्हें खुद से इन सब चीजों को करते देखें तो उन के साथ उन की पसंद का गेम खेलने के साथसाथ सब के सामने उन्हें शाबाशी भी जरूर दें. इस से उन में टेबल मैनर्स भी डैवलप होंगे और उन का मनोबल भी बढ़ेगा.

हैल्दी हैबिट्स डालें मजेदार तरीके से

बच्चे हाथ धोने, हैल्दी फूड खाने के बढ़े चोर होते हैं. इन चीजों के लिए हर समय उन के पीछे दौड़ना ही पड़ता है और कई बार मजबूरी वश तंग आ कर हम उन्हें जो मन करता है, वही बना देते हैं, उन की मरजी का करने देते हैं. लेकिन आप के लिए जरूरी है कि आप उन्हें डांट कर नहीं बल्कि खेलखेल में मजेदार तरीके से उन में हैल्दी हैबिट्स डालें.

जैसे हाथ धोने के लिए हैंड वाश सौंग की मदद लें. उन से कहें कि इट्स टू वाश योर हैंड्स, फर्स्ट रब, रब, रब योर हैंड्स बेबी, सैकंड वाश योर हैंड्स प्रौपरली, थर्ड ड्राई योर हैंड विद टौवेल, फोर्थ जौइन अस विद योर जर्म फ्री हैंड्स.

इस तरह के फन सौंग्स बच्चों में हैंड वाश की हैबिट्स डालने का काम करेंगे. इस के लिए आप फन कलर्स व शेपस वाले सोप्स की भी मदद ले सकती हैं, क्योंकि इस तरह की चीजें बच्चों को अपनी ओर अट्रैक्ट करने का काम करती हैं. वहीं लिक्विड्स सोप्स भी बड़े काम के साबित होते हैं, क्योंकि इन की फन लुकिंग बोटल्स के साथ इन का लिक्विड टैक्स्चर बच्चों को बहुत अच्छा लगता है.

अगर बच्चे इस तरह की चीजें आप के बिना कहे खुद से करने लगें तो उन्हें रिवार्ड्स के रूप में कभी हग करें तो कभीकभार उन्हें अपने मन का भी करने दें.

उन में खानेपीने की हैल्दी हैबिट को विकसित करने के लिए आप को भी उन के साथ बच्चा बनना होगा. जैसे अगर आप ने लौकी की सब्जी बनाई है तो आप बोलें कि अगर आप मेरे साथ इसे फिनिश करोगे तो मम्मीपापा आप के साथ रन करेंगे, डांस करेंगे.

लेकिन तभी जब आप उन की सुनोगे. इस से धीरेधीरे वे खेलखेल में सबकुछ खाना सीख सकते हैं. उन की इस गुड हैबिट को टीचर्स व बच्चों के सामने भी शेयर करें ताकि अपनी इस तारीफ को सुन कर बच्चे सबकुछ फनफन में खाना सीख लें.

मिलेगा टीवी टाइम का मौका

बच्चों की पढ़ाई की चिंता हर पेरैंट्स को होती है. इसलिए हर समय उन के आगेपीछे भागते रहते हैं. कभी क्लास अटैंड करवाने के लिए तो कभी होमवर्क पूरा करवाने के लिए. ऐसे में आप उन से कहें कि अगर तुम ने अच्छे से रोज टाइम पर होमवर्क फिनिश कर लिया तो तुम्हें टीवी देखने का मौका मिलेगा. शायद ही कोई बच्चा ऐसा होगा जो इस रिवार्ड को हाथ से जाने दे. इस से बच्चे समय पर होमवर्क को कंप्लीट करने के लिए जीतोड़ मेहनत करेंगे. इस से उन में समय पर होमवर्क कंप्लीट करने की हैबिट भी डैवलप होगी और उन्हें इस के बाद टीवी के जरीए खुद का फन करने का भी मौका मिलेगा.

धीरेधीरे आप उन में इस डैवलप हुई हैबिट की चर्चा दूसरों के सामने भी करें, जिस से वे अपनी तारीफ सुन कर अपने हर काम को समय पर करने लगें. रिवार्ड के रूप में टीवी टाइम का मौका बच्चों के हाथ में उन की पसंद की चीज लगना होगा. लेकिन दिए रिवार्ड का टाइम जरूर फिक्स करें.

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क्रिएटिविटी को उभारें

बच्चों को छोटीछोटी चीजों से कुछकुछ करना अच्छा लगता है. ऐसे में यह आप की जिम्मेदारी है कि जब भी वे कुछ क्रिएटिव करें जैसे फन फैमिली फोटो बनाएं, पेपर से बोट बनाने की कोशिश करें, कलर्स से कुछकुछ बनाएं, वैजिटेबल्स से पेंटिंग बनाने की कोशिश करें, तो आप को भले ही उन का बनाया हुआ समझ न आए, लेकिन फिर भी आप उन्हें शाबाशी दें कि  उन्होंने तो यह बहुत अच्छा बनाया है. कहां से सीखा, मुझे भी सिखाना.

भले ही आप के लिए ये छोटे शब्द हों, लेकिन बच्चों के मन पर इन शब्दों का बहुत गहरा व अच्छा प्रभाव पड़ता है. इस के लिए आप उन्हें रिवार्ड के तौर पर उन की पसंद की हैल्दी डिश बना कर सर्व कर सकती हैं, जिसे देख वे फूले नहीं समाएंगे. आप उन की इस छोटी क्रिएटिविटी को हमेशा आंखों के सामने रखने के लिए चार्ट पेपर को डैकोरेट कर के उस पर इस की कटिंग लगा सकती हैं. फाइल को डैकोरेट कर के उस में इसे लगा सकती हैं.

समझदारी पर दें स्टीकर रिवार्ड

अकसर बच्चों की यह आदत होती है कि वे हर काम अपने पेरैंट्स पर छोड़ देते हैं जैसे बैड से उठे तो चादर ठीक नहीं करी, उस पर खेल कर टौएज वहीं पर रख दिए. मम्मीपापा के साथ छोटामोटा सामान उठाने में मदद नहीं की. ऐसे में उन्हें इन चीजों के बारे में समझाइए कि खुद से अपने छोटेछोटे काम करना कितना जरूरी है. इस से आप आत्मनिर्भर भी बनेंगे और आप को खुद से चीजें करने में खुशी भी मिलेगी.

आप उन्हें जैसे बैड पर छोटेछोटे कपड़ों में फोल्ड लगा कर उन्हें जगह पर रखना सिखाएं और फिर वही काम करने को कहें. सोने से पहले चादर को खुद से ठीक करने को कहें और उन के हर दिन अच्छा काम करने पर उन की पसंद का 1 स्टीकर दें. उन से कहें कि जब आप ये 6 स्टीकर्स कलैक्ट कर लेंगे तो उस दिन आप की पसंद की डिश बनाई जाएगी. इस कारण से वे खुद से ही अच्छी व समझदारी भरी चीजें करने का प्रयास करेंगे क्योंकि रिवार्ड पाने के लिए बच्चे खुद से ही अपना बैस्ट देने की कोशिश करते हैं.

आप भी इन बातों का रखें ध्यान

इस संबंध में जानते हैं मनोवैज्ञानिक अनुजा कपूर से:

उन की गलती से न हों इरिटेट: बहुत बार बच्चे कुछ नया करने के चक्कर में इतनी चीजें व इतना काम बिगाड़ कर रख देते हैं कि जिस से पेरैंट्स उन पर झुंझला जाते हैं और इस चक्कर में उन की मेहनत को भी नजरअंदाज कर देते हैं. इस से बच्चों का मनोबल कम होने के साथसाथ वे कुछ भी नया करने के बारे में कई बार सोचते हैं.

इस का प्रभाव उन की क्रिएटिविटी पर पड़ता है.  इसलिए आप उन्हें प्यार से समझाएं और उन के वर्क की सराहना जरूर करें क्योंकि आप भी तो अच्छे काम पर सराहना की उम्मीद करती होंगे.

खुद पर भी ध्यान दें: अधिकांश पेरैंट्स की यह हैबिट होती है कि वे अपने बच्चों को तो सब चीजें सिखाना चाहते हैं, लेकिन खुद ही उन बातों पर अमल नहीं करते हैं. इसलिए जिन अच्छी चीजों को आप अपने बच्चों को सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें खुद भी करें. तभी आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे.

उन के साथ समय बिताएं: सोचिए आप को जिस से बात करने का मन हो और वह आप को समय न दे, तो आप अधूराअधूरा महसूस करेंगे, आप को अंदर से अच्छा नहीं लगेगा. ठीक उसी तरह अगर आप बस अपने बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें गिफ्ट्स देते रहें, लेकिन उन के मन की नहीं सुनेंगे, उन के साथ समय नहीं बिताएंगे तो उस के पास लग्जरी का सारा सामान होते हुए भी वे खुद को अकेला महसूस करेंगे, हर समय दुखी रहेंगे.

लेकिन अगर आप उन के साथ समय बिताएंगे, उन के मन की सुनेंगे या फिर उन की पसंद का काम करेंगे तो मूड को ठीक करने वाला व प्लेजर हारमोन जैसे सैरोटोनिन और डोपामाइन रिलीज होता है, जिस के कारण हम किसी भी काम को पूरी ऐक्साइटमैंट के साथ कर पाते हैं यानी ये हारमोंस मैंटल हैल्थ का ध्यान रखने का काम करते हैं और आप को खुश रखते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप अपने साथसाथ अपने बच्चों को भी खुश रखें. इस के लिए उन के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करें.

  अपनाएं ये ट्रिक्स

घर पर रहने के कारण बच्चों का ज्यादा से ज्यादा समय कभी औनलाइन क्लासेज के कारण तो कभी लैपटौप के सामने तो कभी वे खुद का ऐंटरटेनमैंट करने के लिए टीवी व फोन का सहारा लेते हैं, जिस से बच्चों को स्ट्रैस, डिप्रैशन, एडिक्शन व इमोशनल प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ता है.

ऐसे में उन के इस स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए आप उन के साथ स्टोरी टैलिंग, डांस कंपीटिशन करें, अपनी पसंद के सब्जैक्ट पर कुछ शब्द बोलने को कहें. सब मिल कर इन गेम्स के विजेता को देने के लिए ट्रौफी बनाएं, फिर जो इस कंपीटिशन में फर्स्ट आाएगा, उसे यह ट्रौफी अपने हाथों से दें.

इस से बच्चे कभी जीत कर खुद इस ट्रौफी को हासिल करेंगे और कभी जीत का ताज अपनों को देंगे. इस से उन में अंदर से जीतने का भाव पैदा होगा और समझ विकसित होगी कि हारजीत जीवन का एक हिस्सा है. लेकिन हारने के बाद भी जीतने के लिए हमें प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए.

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  महंगे रिवार्ड न दें

भले ही आप के परिवार में पैसों की कमी न हो तो भी बच्चों को कुछ सिखाने व कुछ अच्छा काम करने पर महंगे रिवार्ड्स देने का लालच न दें, बल्कि इस के लिए ऐप्रिशिएट करने वाले वर्ड्स, उन की पसंद की डिश बनाएं, उन के साथ उन की पसंद का गेम खेलें, उन के साथ बैस्ट टाइम स्पैंड करें, सब के सामने उन के काम की सराहना करने जैसे रिवार्ड्स दें वरना महंगे रिवार्ड्स जैसे महंगा टौएज देने की लत से वे इस का मिसयूज भी कर सकते हैं, जो आगे चल कर आप के  लिए परेशानी का कारण बन सकता है.

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