Tips For Sex Life : शादी के कुछ ही वर्षों के बाद अकसर महिलाओं के स्वभाव में काफी हद तक यह परिवर्तन देखने को मिलता है कि वे गुस्सैल और चिड़चिड़ी हो जाती हैं. उन के बातबात पर गुस्सा होने और स्वभाव में चिड़चिड़ेपन का कारण सैक्स लाइफ में असंतुष्टि भी हो सकती है. सफल सैक्स और और्गेज्म को ले कर किए गए कई सर्वों में यह बात सामने आई है कि एक रात में दुनियाभर में जितने भी कपल सैक्स करते हैं उन में से केवल 20% पुरुष ही अपनी महिला साथी को और्गेज्म तक पहुंचा पाते हैं. बाकी की 80% महिलाएं अधूरे सैक्स का आनंद ले कर यों ही मन मसोस कर सो जाती हैं.

चिंता की बात यह है कि वे अपनी यौन संतुष्टि का जिक्र कभी अपने पुरुष साथी या महिला मित्र से भी नहीं करतीं. यदि कभी उन का पार्टनर उन से यह पूछता है कि मजा आया? तो जवाब में वे शरमाते हुए हां में सिर हिला देती हैं. हां में सिर हिलाने के अलावा उन के पास कोई औप्शन भी नहीं होता. सैक्स संबंध के दौरान अकसर पति अपनी संतुष्टि को पत्नी की संतुष्टि मान लेने की भूल कर देता है, जिस का बुरा नतीजा यह होता है कि सैक्स के आनंद से वंचित पत्नी चिड़चिड़ी और गुस्सैल हो जाती है.

क्यों जरूरी है फोरप्ले

स्त्रीपुरुष के यौन अंगों की संरचना ही इस तरह है कि एक पुरुष के लिए संतुष्टि तक पहुंचना बहुत आसान है लेकिन अपने साथी को पहुंचाना एक साधना से कम नहीं. एक महिला को चरमोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए पुरुष से ज्यादा वक्त लगता है. इतना आनंद उसे हार्ड सैक्स (इंटरकोर्स) में नहीं आता जितना सौफ्ट सैक्स (फोरप्ले) में आता है और जब तक अच्छी तरह से फोरप्ले नहीं होगा तब तक उसे संतुष्ट करना आसान नहीं है. लेकिन इतना वक्त कोई उसे देना ही नहीं चाहता.

जब आदमी को अपने शरीर की उत्तेजना को बाहर निकाल वह करवट बदल कर सो जाता है. पत्नी भी इस रोज के अधूरे खेल की आदी हो चुकी होती है. वह इस काम को भी नित्य कार्यों की तरह फटाफट निबटाने की कोशिश करती है. सैक्स में पति का साथ नहीं देती फिर पुरुष अपने दोस्तों से बात करते हैं कि मेरी पत्नी ठंडी है सैक्स ऐंजौय नहीं करती.

हर पुरुष हर बार स्खलित होता है लेकिन हर औरत हर बार स्खलित नहीं होती. एक सर्वे के अनुसार हर महिला अपने वैवाहिक जीवन में 50% से भी कम बार क्लाइमैक्स तक पहुंचती है, जिस का कारण केवल ये नामर्द पुरुष हैं. पत्नी यदि एक बार भी सैक्स को मना कर दे तो पति को गुस्सा आ जाता है लेकिन पत्नी की सहनशक्ति देखो, वह रोज रात को अधूरी सो जाती है लेकिन कभी अपने पति की नामर्दानगी को ले कर शिकायत तक नहीं करती.

विवाह के शुरुआती दिनों में सभी ऐसा सोचते हैं कि पूरी रात जीजान से जुटे रह कर ही पत्नी को संतुष्ट कर सकते हैं. मगर एक नवविवाहिता को सैक्स में चरम आनंद तक ले जाना ठंडे तवे पर रोटी सेंकने जैसा है क्योंकि इस वक्त युवती को मालूम ही नहीं चलता कि वह सैक्स के दौरान कितनी बार पिघली और कितनी बार फिर से तैयार हो गई? उसे यह बात

समझने के लिए महीनों लग जाते हैं. कभीकभी तो कुछ साल भी. हकीकत यह है कि पार्टनर की सहमति, तालमेल और एकदूसरे की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर पूरी तैयारी के साथ किया गया एक बार का सैक्स ही संतुष्टि करा देता है. इस के लिए पूरीपूरी रात लिप्त रहने की जरूरत नहीं है.

विवाहेतर संबंधों की शुरुआत

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के आरंभिक सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट. आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के आरंभिक वर्षों का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

रिसर्च से पता चलता है कि अलगअलग लोगों में इन संबंधों के अलगअलग कारण हैं. किसी से भावनात्मक जुड़ाव, सैक्स लाइफ से असंतुष्टि, सैक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम का अभाव, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना और एकदूसरे को जलाने के लिए ऐसा करना विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं.

स्त्री के प्रति दोयमदर्जे की सोच

भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के प्रति दोयमदर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्रीद्वेष छिपा है और यह पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम से अधिक कुछ नहीं मानता है. जहां उन्हें ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए अनुमति लें. जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है.

पुरुष को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुखचैन का वातावरण और देह संतुष्टि चाहिए. मगर कभी पुरुष उस की सुखसुविधाओं और शाररिक जरूरतों का उतना ख्याल नहीं रखता. पत्नी से यह अपेक्षा जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक चाहें पूरी करती रहे.

सैक्स के जानकारों के अनुसार, विवाहेतर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्तों की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्तों को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है. अपने पार्टनर को सम?ाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुल?ाया जा सकता है. सैक्स को ले कर की गई बातचीत, सैक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि का ध्यान रख कर विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है.

फोरप्ले से और्गेज्म तक का सफर

एक नामी फैशन मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं के और्गेज्म को ले कर कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. इस औनलाइन शोध में 18 से 40 साल की आयु 3300 महिलाओं से प्रश्न किए गए जिन में 67% महिलाओं ने माना कि वे फेक और्गेज्म यानी और्गेज्म होने का नाटक करती हैं. 72% महिलाओं ने माना कि उन का साथी स्खलित होने के बाद उन के और्गेज्म पर ध्यान नहीं देता है.

सैक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. स्त्री और पुरुष का एकसाथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सैक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म या चरमसुख की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. और्गेज्म पाने में फोरप्ले का रोल अहम रहता है.

पतिपत्नी का एकदूसरे के नाजुक अंगों को चूमने, मसलने और सहलाने से आनंद की अनुभूति होती है. होंठों को मुंह में रख कर चूसने, स्तनों को दबा कर निप्पल पर जीभ फेरने तथा गरदन, आंख, कान, होंठों को चूमने से दिलोदिमाग में सैक्स की तरंगें प्रवाहित होने लगती हैं. फोरप्ले के दौरान होने वाला स्राव जब महिला और पुरुष के यौन अंगों को अच्छे ढंग से गीला कर दे तभी सैक्स की ओर बढ़ना चाहिए. कभीकभी और्गेज्म प्राप्त न होने की स्थिति में जो पहले स्खलित हो जाए उसे पार्टनर के स्खलित होने तक यौन अंगों को हिला कर सहयोग करने से सहसंतुष्टि का सुख मिल जाता है.

सैक्स को शारीरिक तैयारी के साथसाथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए जो दोनों की आपस की जुगलबंदी से ही संभव है. सैक्स करने से पहले की गई सैक्स से संबंधित चुहल और छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. कमरे का वातावरण, बिस्तर की सजावट, अंडरगारमैंट्स जैसी छोटीछोटी बातें सैक्स के लिए उद्दीपक का कार्य करती हैं.

रिश्तों में बनाएं गरमाहट

सैक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सैक्स संबंध के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली यही शिकायतें संबंध को बोझिल बनातीं और सैक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सैक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों के प्रयोग कर संबंध को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सैक्स की सहसंतुष्टि निश्चित तौर पर दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथसाथ विवाहेतर संबंधों को रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है.

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