बात अगर रेगिस्तान और रेत की हो तो आपके जहन में कच्छ का ख्याल जरूर आता होगा. अगर आप गुजरात घूमने गईं हैं और कच्छ घूमे बिना ही वापस आ जाएं, तो आपकी ट्रिप अधूरी ही मानी जाएगी.
कच्छ के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर साल ‘कच्छ महोत्सव’ का आयोजन किया जाता है. और तो और यहां हर साल लाखों की तादाद में विदेशी सैलानी यहां घूमने आते हैं.
इस वजह से बेहद खूबसूरत माना जाता है कच्छ
45652 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का अधिकांश हिस्सा रेतीला और दलदली है. कच्छ में देखने लायक कई स्थान है जिसमें कच्छ का सफेद रण आजकल पर्यटकों को लुभा रहा है. इस के अलावा मांडवी समुद्रतट भी सुंदर आकर्षण है.
कच्छ का रन कच्छ का रन गुजरात प्रांत में कच्छ जिले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान प्रदेश है.
रन औफ कच्छ फेस्टिवल
चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो, तो कच्छ का रण उत्सव आपकी इच्छा पूरी करेगा. हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का मजा ले सकती हैं. सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.
कैसे पहुंचे
कच्छ का प्रमुख शहर भुज है. भुज में हवाई अड्डा है, जहां से मुंबई के लिए उड़ानें हैं. न्यू भुज रेलवे स्टेशन और निकटतम गांधीधाम रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से रेल के जरिए जुड़ा हुआ है. कच्छ गुजरात सहित भारत के अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. कांडला यहां का प्रमुख बंदरगाह और हवाई अड्डा है.
कब जाएं
अक्टूबर से लेकर मध्य मार्च तक का समय सबसे उचित समय है. इन दिनों यहां की भोर और रातें काफी ठंडी होती है, मगर दोपहर में धूप तेज रहती है.
क्या खरीदें
नायाब कच्छी कढ़ाई, एप्लीक वर्क, मिरर वर्क, बांधनी से सजे परिधान व सौफ्ट फर्नीशिंग, चांदी के जेवरात व अन्य उपयोगी और सजावटी समान और हल्के-फुल्के फर्नीचर तथा कई तरह के सजावटी सामान, वौल हैंगिंग, कढ़ाई की हुई रजाई, झूले और इसके सामान, कठपुतलियां, कपड़े के खिलौने, जूतियां, कढ़ाई किए हुए फुटवियर आदि खरीद सकते हैं.