मीडिया की इस रिपोर्ट के कारण Alia Bhatt को आया गुस्सा, कही ये बात

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट इन दिनों अपनी प्रैग्नेंसी के चलते सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. जहां फैंस और सेलेब्स एक्ट्रेस पर प्यार लुटा रहे हैं तो वहीं हाल ही में मीडिया की एक खबर ने एक्ट्रेस को नाराज कर दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

आलिया ने कही ये बात

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शादी के 2 महीने बाद ही अपनी प्रैग्नेंसी की न्यूज फैंस को बताने वाली एक्ट्रेस ने हाल ही में एक मीडिया समूह को आड़े हाथ लिया है. एक एंटरटेनमेंट पोर्ट्ल की खबर पर एक्ट्रेस ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सोशलमीडिया पर एक स्टोरी शेयर की है. दरअसल, एक रिपोर्ट ने दावा किया था कि एक्ट्रेस की प्रेग्नेंसी के चलते पति रणबीर कपूर उन्हें लेने के लिए यूके जाएंगे. हालांकि एक्ट्रेस ने पोर्ट्ल के पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘हम आज भी उन लोगों के दिमाग में रहते हैं. जो कि कुछ पितृसत्तामक लोगों की दुनिया में रहते हैं. आपकी जानकारी के लिए… कुछ भी देरी से नहीं होने वाला है. किसी को किसी को लेकर आने की जरूररत नहीं हैं.  मैं एक औरत हूं एक पार्सल नहीं. मुझे बिल्कुल भी आराम करने की जरूरत नहीं है. लेकिन ये सुनकर अच्छा लगा कि आप सभी को डॉक्टर का सर्टिफिकेशन भी है.  ये 2022 है.  क्या हम कृप्या करके इस सोच की दुनिया से बाहर निकल सकते हैं.  अगर आप मुझे माफ करें तो मेरा शूट रेडी है. ‘

 

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शूटिंग के बीच सुनाई खुशखबरी

एक्ट्रेस आलिया भट्ट इन दिनों अपनी हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग में बिजी है. वहीं इस दौरान ही उन्होंने अपनी प्रैग्नेंसी का खुलासा किया और फैंस का सोशलमीडिया के जरिए शुक्रिया भी अदा किया है. वहीं खबरों की मानें तो हॉलीवुड की फिल्म शूट करने के बाद वह रॉकी और रानी की प्रेम कहानी को भी पूरा करेंगी. इसके अलावा रणबीर कपूर की बात करें तो वह इन दिनों अपकमिंग फिल्म शमशेरा के प्रमोशन में बिजी हैं.

REVIEW: तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बेतुकी फिल्म है JUG JUGG JEEYO

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः धर्मा प्रोडक्शंस और वायकाम 18 स्टूडियो

निर्देशकः राज मेहता

कलाकारः अनिल कपूर, नीतू कपूर, वरूण धवन,  किआरा अडवाणी,  मनीष पौल, प्रजाक्ता कोली,  टिस्का चोपड़ा, वरूण सूद,  एलनाज नौरोजी व अन्य.

अवधिः दो घंटे तीस मिनट

‘‘गुड न्यूज’’ फेम निर्देशक राज मेहता इस बार पारिवारिक ड्रामा वाली हास्य फिल्म ‘‘जुग जुग जियो’’ लेकर आए हैं, जो कि काफी निराश करती है.

कहानीः

फिल्म की कहानी पटियाला,  पंजाब के एक परिवार की है,  जिसके मुखिया भीम हैं. भीम(अनिल कपूर) के परिवार में उनकी पत्नी गीता(नीतू कपूर), बेटा कुकू(वरूण धवन ), कुकू की पत्नी नैना (किआरा अडवाणी) और बेटी गिन्नी ( प्रजाक्ता कोली  ) है. इस अत्याधुनिक परिवार की लीला अजीब है. भीम अपनी शादी के 35 वर्ष बाद अपनी पत्नी गीता को तलाक देने जा रहे हैं, पर वजह नही पता. जबकि उनका बेटा कुकू शादी के पांच वर्ष बाद अपनी पत्नी नैना को तलाक देेने जा रहा है, इसे भी वजह पता नही. बेटी गिन्नी प्यार तो गौरव से करती है, मगर अपने माता पिता व भाई भाभी को आदर्श दंपति मानते हुए पिता द्वारा सुझाए गए युवक बलविंदर से विवाह करने जा रही है. कुकू और नैना एक दूसरे से पांचवीं  कक्षा में पढ़ते समय से प्यार करते आ रहे हैं और दोनों शादी भी कर लेते हैं. शादी के बाद दोनो टोरंटो , कनाडा चले जाते हैं, क्योंकि वहां पर नैना की नौकरी लग जाती है. जबकि कुकू वहां पर नाइट क्लब में बाउंसर की नौकरी करने लगते हैं. अचानक शादी की पांचवीं सालगिरह के दिन दोनों एक दूसरे को तलाक लेेने का निर्णय सुना देते हैं. पर तय करते हैं कि पटियाला में गिन्नी की शादी के ेबाद यह दोनो अपने निर्णय से परिवार के सदस्यों को अवगत कराएंगे. पटियाला पहुॅचकर दोनांे आम शादी शुदा जोड़े की ही तरह रहते हैं. गिन्नी की शादी की रस्में शुरू होती है और एक दिन भीम शराब के नशे में अपने बेटे कुकू से कह देता है कि गिन्नी की शादी के बाद वह गीता को तलाक देकर अपनी प्रेमिका मीरा( टिस्का चोपड़ा) के साथ रहने जा चले जाएंगे. यह बात कुकू को पसंद नही आती. फिर कुकू अपने साले गुरप्रीत शर्मा (मनीष पौल ) की सलाह पर बलविंदर से बैचलर पार्टी में भीम को भी बुलाने के लिए दबाव डालते हैं, जिससे भीम की ठरक मिट सके. पर यहां एक अलग ही हंगामा हो जाता है. उधर गिन्नी अपनी बैचलर पार्टी से बाहर निकलकर अपने प्रेमी गौरव (वरूण सूद )  के साथ ‘किसिंग’ करती है. कई तरह के नाटकीय घटनाक्रमों के साथ फिल्म का अंत हो जाता है.

लेखन व निर्देशनः

कहानी व पटकथा की नींव ही कमजोर है. कहानी को बेवजह रबर की तरह खींचा गया है. ढाई घंटे की अवधि वाली इस फिल्म में लेखक व निर्देशक  दोनों यह नही बता सके कि नैना यानी कि किआरा अडवाणी कनाडा में कहां नौकरी करती है और नैना व कुकू के बीच तलाक की नौबत क्यों आयी? जबकि पत्नी नैना के कैरियर के लिए कुकू पटियाला छोड़कर कनाडा जाकर बाउंसर की नौकरी करता है. इसी तरह भीम क्यों गीता केा छोड़कर मीरा के साथ जिंदगी जीने का निर्णय लेता है, नही बताया. एक तरफ गीता, नैना को समझाती है कि विवाह को सफल बनाने के लिए नारी को समझौतावादी होना चाहिए, तो कुछ समय बाद वह सम्मान की भी बात करती है. पूरी तरह से लेखक व निर्देशक खुद ही कंन्फ्यूज हैं. उन्हे नही पता कि वह किस तरह की की कहानी सुनाना चाहते हैं. नैना व ककू के जो हालात हैं, वही हालात ज्यों का त्यों 2006 में आयी फिल्म ‘कभी अलविदा ना कहना’ में शाहरुख खान व रानी मुखर्जी के किरदारों के बीच दर्शक देख चुके हैं. इतना ही नही फिल्म के संवादो मंे कहीं कोई अहसास नजर नहीं आता. कहानी पंजाबी पृष्ठभूमि की है, इसलिए कहीं भी बेवजह पंजाबी गाने ठॅंूसे गए हैं. तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर  राज मेहता दर्शकों को अच्छी कहानी सुनाने में बुरी तरह से असफल रहे हैं. फिल्म का क्लायमेक्स एकदम घटिया है. क्लायमेक्स में लेखक व निर्देशक यह भी भूल गए कि वह भारतीय परिवार की कहानी बता रहे हैं. गानों के फिल्मांकन में पानी की तरह पैसा बहाया गया है, मगर सब बेकार. एक भी गाना प्रभाव नहीं छोड़ता. डेढ़ सौ करोड़ की लागत वाली इस फिल्म में दर्शकों को बांध कर रखने की ताकत नही है.

अभिनयः

राज मेहता की किस्मत अच्छी रही कि उन्हे बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला. सभी कलाकारों ने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देेने का प्रयास किया है, मगर जब उन्हे कहानी,  पटकथा व संवादों का सहयोग नहीं मिलेगा, तो कलाकार क्या करेगा?फिर भी कुकू के किरदार में वरूण धवन ने बेहतरीन अभिनय किया है. नृत्य हो या नाटकीय दृश्य या हास्य हर जगह वह बेहतर कलाकार के रूप में उभरते हैं. किआरा अडवाणी ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि उनके अंदर अभिनय प्रतिभा की कमी नही है. नीतू कपूर को अभिनय में वापसी के लिए इससे अच्छा अवसर नही मिल सकता था. लेकिन इन सभी कलाकारों के मुकाबले अति उत्तम अभिनय अनिल कपूर का रहा. वह पूरी फिल्म को अपने कंधों पर लेकर चलते हैं. हास्य और भावनाओं के बीच बेहतरीन सामंजस्य बैठाने का काम अनिल कपूर ने ही किया है.

कब शादी करेंगी Kiara Advani, इंटरव्यू में दिया ये जवाब

संघर्ष और संघर्ष करना मेरे जीवन का मुख्य बन गया था, क्योंकि मुझे फिल्मों में काम करने की इच्छा बचपन सेथी, इसलिए मुझे जो भी मौके मिले, अभिनय करती गयी. कुछ लोगों ने मुझे ताने भी मारे, पर मैंने हार नहीं मानी. आज फिल्म भूल भुलैया 2 सफल फिल्म बनी, इसकी वजह मुझे मौका मिलना है, फिर मैं अपनी प्रतिभा को आगे ला पाई. अभी फिल्म जुग – जुग जियों आने वाली है. फिल्म सफल होने के लिए मैं अपनी फिंगर क्रॉस कर रही हूँ, अभी तो काम शुरू हुआ है, आगे बहुत कुछ करना बाकी है, ऐसा लगातार चलता रहे, मेरी यही विश है, हंसती हुई कहती है, अभिनेत्री कियारा अडवानी.

कियारा आडवानी का अब हिंदी सिनेमा जगत में एक जानी-मानी नाम बन चुकी है. उनकी सफल फिल्में कबीर सिंह, गुड न्यूज़, लक्ष्मी, भूल भुलैया 2 आदि है. उन्होंने कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘फगली’ से किया था, फिल्म नहीं चली और कियारा को अच्छी भूमिका नहीं मिली. इसके बाद फिल्म ‘कबीर सिंह’ में उनके काम को सभी ने सराहा और उन्हें काम मिलना शुरू हुआ.

कियारा के पिता, जगदीप आडवाणी व्यवसायी है. माँ जेनेविज जाफरी आधी मुस्लिम आधी ब्रिटिश मूल की है. उन्होंने अपनी स्नातक मास कम्युनिकेशन में की है. यहाँ तक पहुँचने में उन्होंने बहुत मेहनत और धीरज धरी है.

सवाल – अभी आपकी फिल्में लगातार सफल हो रही है,इसका श्रेय किसे देना चाहती है?

जवाब – इसका अर्थ ये हुआ कि अच्छी कहानी होने पर फिल्में चलती है, दर्शक देखते है, पिछले दिनों कोविड की वजह से काम ढाई साल से रुका था. सबको लगा था किदर्शकों को  हॉल तक लाना मुश्किल होगा, पर भूलभूलैया 2 में दर्शक आये और उन्हें मेरी फिल्म पसंद भी आई क्योंकि कोविडने व्यक्ति की जो इमोशन को ख़त्म कर दिया था, वह फिर से शुरू हो चुका है.

सवाल – फिल्म की सफलता को कैसे सेलिब्रेट करती है?

जवाब – फिल्म की सफलता के बाद सेलिब्रेट करना रह गया है.मेरे लिए सफलता को सेलिब्रेट करना अच्छा होता है, मैं ग्राउंडेड रहती हूँ. सेलिब्रेशन फिल्म धोनी द अन टोल्ड स्टोरी से शुरू हुई है, इसके बाद कबीर सिंह थी. इसमें मैं परिवार के साथ कही घूमने जाना या समय बिताना पसंद करती हूँ. पहले जब मेरे पास सफल फिल्मे नहीं थी, तो काम भी नहीं था. अभी सफल फिल्में है तो अवसर की कमी हो गयी है. अभी जो फिल्में आ रही है,इन फिल्मों का काम कई साल से चल रहा था, इस बीच सबको कोविड हुआ, काम रुक गयी, ऐसा करते-करते ये फिल्में बनी है. उम्मीद है अगली साल तक मुझे सेलिब्रेशन के लिए एक सप्ताह का मौका मिलेगा और मैं अपने परिवार के साथ कही जा सकूंगी.

सवाल –फिल्मों की सफलता के बाद आप में क्या बदलाव आया है?

जवाब – फिल्मों की सफलता से मुझमे किसी प्रकार का बदलाव नहीं आया है. मैं पहले की तरह अभी भी मॉल में जाती हूँ, वहां अगर कोई मुझसे सेल्फी मांगता है तो मैं उसे मना नहीं करती, क्योंकि उनकी वजह से आज मैं यहाँ तक पहुंची हूँ, अगर वे आयेंगे नहीं तो मुझे कौन पहचानेगा? उनके लिए मेरी ये छोटी सी सेल्फी अगर उनका दिन बना देती है तो मुझे देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. ये ही मेरे प्रसंशक है जो सालों तक मेरी इस सेल्फी को सम्हाल कर रखने वाले है.

सवकल – आप मेहनत के बलबूते पर यहाँ पहुंची है, अभी फिल्म इंडस्ट्री के निर्माता, निर्देशकों के वर्ताव में कितना बदलाव देख रही है?

जवाब –  ये सही है कि मैंने कई फिल्मों में काम करने के बाद भी असफलता ही हाथ लगी, इससे मैं बैक फुट पर चली गयी,फिर उससे निकलना मुश्किल था. मुझे समझना पड़ा कि ये  मेरे कैरियर का अंत नहीं है. पहली फिल्म की असफलता के बाद लगा कि अब सब खत्म हो चुका है. तब मैंने अपने दिल को समझाया कि हर शुक्रवार को हर फिल्म सफल नहीं हो सकती और इस दौरान मैंने अपने अंदर अधिक सुधार की कोशिश की. इससे मुझे अच्छा करने की प्रेरणा मिली.

सवाल –कोविड के बाद सभी ने परिवार के महत्व को समझा, जो पहले किसी के पास परिवार को समझने का समय नहीं था, आप में क्या बदलाव आया?

जवाब – मैंने हमेशा से परिवार को ही अधिक महत्व दिया है, लेकिन कोविड के समय सभी ने बहुत सारा वक्त परिवार के साथ बिताया है. तब उन्हें परिवार के मूल्य को सभी ने समझा. समय ऐसा था, जब सभी ने अपने किसी प्रियजनको कोविड से खोया है. पैसे से वे अपनों को बचा नहीं पाए. इससे परिवार को अब सभी आगे रखकर काम कर रहे है. भाग-दौड़ की जिंदगी से खुद को अलग रख रहे है. इस फिल्म में भी रिश्तों के बीच समझौता, टकरार को बखूबी दिखाने की कोशिश की गयी है. रिश्तों में अनबन होती है, लेकिन इसे नर्चर करते रहना पड़ता है. कोविड की वजह से लोगों के जीवन में बहुत मायूसी रही है और ऐसे अब लोग मनोरंजक फिल्में देखना और हँसना पसंद कर रहे है. मैं वैसी ही फिल्में करना चाहती हूँ.

सवाल –जेंडर डिस्क्रिमिनेशन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत है, क्या आपने इसे महसूस किया?

जवाब – महसूस किया है, लेकिन मेरे हिसाब से केवल हीरो ही नहीं पूरी टीम एक फिल्म की सफलता के लिए जिम्मेदार होती है. समाज, परिवार और धर्म में भी जेंडर डिस्क्रिमिनेशन का सामना करना पड़ता है. मुझे तो ख़ुशी तब होती है जब दर्शक मेरे अभिनय को फिल्म में पसंद करते है. कई बार भूमिका छोटी होने पर भी उसका महत्व अधिक होता, ऐसी भूमिका करने में मुझे कोई समस्या नहीं.

सवाल – शादी कब कर रही है?

जवाब – शादी अभी करने के बारें में नहीं सोचा है, लेकिन शादी तब करुँगी, जब मुझे लगेगा कि शादी से मेरे कैरियर पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा. मैंने परिवार में अच्छी, सफल शादियाँ देखी है और मुझे वैसी ही परिवार और पार्टनर चाहिए, जहाँ सास और बहू में अच्छी तालमेल हो.

डेब्यू से पहले ही Shanaya Kapoor का छाया लुक, ऐसे जीत रही हैं फैंस का दिल

करण जौहर की प्रौड्यूस की गई बौलीवुड फिल्म बेधड़क से में एक्टर संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाली हैं, जिसके लिए वह डांस से लेकर अपने लुक्स पर खास ध्यान दे रही हैं. हाल ही में कपूर्स सिस्टर्स की लेट नाइट पार्टी में एक्ट्रेस शनाया कपूर का ग्लैमरस अंदाज देखने को मिला है, जिसे देखकर फैंस बेहद खुश हैं. हालांकि इससे पहले कई बार वह अपने ग्लैमरस अंदाज से फैंस का दिल जीत चुकी हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शनाया कपूर ने लूटी लाइमलाइट

हाल ही में एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने अपनी बहन खुशी कपूर के मुंबई लौटने की खुशी में एक पार्टी दी थी, जिसमें अदाकारा कपूर सिस्टर्स का जलवा देखने को मिला था. हालांकि इस पार्टी में एक्ट्रेस शनाया कपूर ने अपने लुक्स से जान डाल दी थी. शिमरी ड्रैस में पार्टी में पहुंची एक्ट्रेस ने अपने इस लुक को फ्लौंट करते हुए एक से बढ़कर एक फोटोज क्लिक करवाई और सोशलमीडिया पर शेयर की थीं, जिसे देखते ही फैंस दिवाने हो गए हैं.

जाह्नवी कपूर भी नहीं थीं कम

 

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दरअसल, हाल ही में अपनी डेब्यू फिल्म द आर्चीज के ऊटी शिड्यूल को पूरा करके खुशी कपूर मुंबई लौटी थीं, जिसके चलते जाह्नवी कपूर ने पार्टी रखी थी. वहीं इस पार्टी की थीम के चलते हर कोई शिमरी अंदाज में नजर आया था. जहां एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर पर्पल कलर की शिमरी ड्रैस में नजर आईं थीं तो वहीं एक्ट्रेस खुशी कपूर शनाया कपूर से मैचिंग सिल्वर शिमरी ड्रैस में नजर आईं.

 

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फैशन में नहीं हैं कम

एक्ट्रेस शनाया कपूर के फैशन की बात करें तो वह बिकिनी हो या इंडियन अवतार, हर लुक में फैंस का दिल जीतती हैं. वहीं अपने इंस्टाग्राम पेज पर अपने नए-नए लुक से फैंस के दिलों पर बिजलियां गिराती हुई नजर आती हैं. फैंस को उनका हर अंदाज बेहद पसंद आता है.

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क्या निर्देशक Aanand L Rai और अक्षय कुमार को फिल्म Raksha Bandhan का मिलेगा सहारा

फिल्मकार आनंद एल राय जब तक आम दर्शकों की पसंद के अनुरूप छोटे शहरों की छोटी छोटी बातों व सामाजिक मुद्दों को लेकर  तनु वेड्स मनु’,‘रांझणा’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’,‘निल बटे सन्नाटा’,‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी फिल्में लेकर आते रहे,तब तक वह सफलता के शिखर की तरफ बढ़ते चले गए. आनंद एल राय की इन सभी फिल्मों को दर्शकों ने काफी पसंद किया. मगर इन फिल्मों की सफलता के बाद आनंद एल राय गफलत के शिकार हो गए. उन्होने मान लिया कि जो वह सोचते है,वही सही है. बस यहीं से मामला गड़बड़ा गया. परिणामतः ‘मुक्काबाज’,‘जीरो’,‘लाल कप्तान’, ‘हसीन दिलरूबा’,‘अतरंगी रे’ जैसी उनकी फिल्में बाक्स आफिस पर कोई कमाल न दिखा पायीं. इनमें से ‘जीरो’ और ‘अतरंगी रे’ का निर्माण करने के साथ ही आनंद एल राय ने निर्देशन भी किया.

मगर इन फिल्मों की असफलता से आनंद एल राय ने कुछ सबक सीखा और एक बार फिर वह जमीनी सतह से जुड़े विषय  पर ‘रक्षाबंधन’’ फिल्म लेकर आ रहे हैं,जो कि आगामी ग्यारह अगस्त को देश भर के सिनेमाघरों में पहुॅचेगी, जिसका ट्रेलर चंादनी चैक स्थित डिलाइट सिनेमाघर मंे रिलीज किया गया. . फिल्म ‘रक्षाबंधन’ की कहानी पुरानी दिल्ली के बस्ती चांदनी चैक  की पृष्ठभूमि में चार बहनों व भाई के बीच प्यार,अपनापन व लगाव के साथ मध्यमवर्गीय जीवन की कहानी है. फिल्म ‘‘रक्षा बंधन’’ का ट्रेलर एक भाई(अक्षय कुमार) और उसकी चार बहनों(सहजमीन कौर, दीपिका खन्ना, सादिया खतीब और स्मृति श्रीकांत) के बीच प्यार भरे रिश्ते और चंचल मजाक को दर्शाता है. इसी के साथ भाई(अक्षय कुमार ) की प्रेम कहानी भी है. वह जिस लड़की(भूमि पेडनेकर ) से बचपन से प्यार करता है,उसके संग खुद विवाह नही रचा पा रहा है,क्यांेकि वह अपनी चार बहनों का विवाह कराने के लिए दर दर भटक रहा है . यानी कि इसमें कहीं न कहीं दहेज प्रथा पर भी बात की गयी है. हिमांशु शर्मा और कनिका ढिल्लों लिखित इस फिल्म में सीमा पाहवा,नीरज सूद व अभिलाष थपलियाल की भी अहम भूमिकाएं हैं.

यॅूं तो फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ का ट्रेलर 21 जून को दिल्ली में रिलीज किया गया. मगर हमें मुंबई में 20 जून को ही देखने का अवसर मिल गया था. ट्रेलर देखने के बाद जब आनंद एल राय से हमारी अनौपचारिक बातचीत हुई,तो उस बातचीत में आनंद एल राय ने कहा-‘‘ मैं अपने मन की बात कह रहा हॅूं. मैने महूसस किया कि हम डिजिटिलाइजेशन और डिजिटल के लिए सिनेमा बनाने के फेर में दर्शकों की पसंद को ही भुला बैठे और हम अपने दशकों से ही दूर हो गए. इस अहसास के बाद मैने पुनः दर्शकों की नब्ज को पकड़कर रिश्तों की भावनात्मक कहानी ‘रक्षाबंधन’ लेकर आ रहा हॅूं. इसकी कहानी का कंेद्र बिंदु भाई बहन के बीच प्यार का अटूट भावनात्मक बंधन है,जिससे हर दर्शक रिलेट करेगा और इसे पसंद करेगा. हमें लगता है कि हम इस बात को ट्रेलर से भी बता पा रहे हंै. ’’

भारतीय परिवेश में ‘रक्षा बंधन’’ का खास महत्व है. यह भाई बहन के प्यार के साथ ही भाई द्वारा बहन को उसकी रक्षा करने का वादा करने का त्योहार है. इस पर बहुत कम फिल्में बनी हैं. 1976 में ‘रक्षा बंधन’ नामक फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी. वैसे तो 2001 में इस नाम को पुनः रजिस्टर करवाया गया था. मगर इस विषय पर ज्यादा फिल्मंे नही बनी. 2000 तक कुछ फिल्मों में ‘रक्षाबंधन’ के कुछ दृश्य व गाने नजर आते रहे. मगर फिर धीरे धीरे बौलीवुड से ‘रक्षाबंधन’ का त्यौहार ही नहीं भाई बहन व पारिवारिक रिश्ते ही गायब होते चले गए. इस दृष्टिकोण से आनंद एल राय की फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ दर्शकों को भा सकती है. मगर सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उन्होने फिल्म में इसे किस तरह से पेश किया है. आधुनिक जमाने में ‘रक्षाबंधन’’ की परंपरा में भी काफी बदलाव आया है. इसके अलावा ट्रेलर से आभास होता है कि फिल्म की कहानी का हिस्सा दहेज जैसी कुप्रथा भी है. पर इसे किस तरह से पेश किया गया है,उसी पर फिल्म की सफलता व असफलता निर्भर करेगी. इतना ही नही अनौपचारिक बातचीत में आनंद एल राय ने जिन बातो का जिक्र किया और जिसका उन्हे ज्ञान हुआ है,उसे वह अपनी फिल्म को दर्शकों तक पहुॅचाने के लिए किस तरह से अमल में लाते हैं,उस पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा.

इसके अलावा इस फिल्म में नायक की भूमिका में अक्षय कुमार हैं. इस फिल्म से अक्षय कुमार ने भी काफी उम्मीदे बांध रखी हैं. फिल्म के ट्रेलर लंाच के बाद अक्षय कुमार ने कहा-‘‘मेरी बहन अलका के साथ मेरा रिश्ता मेरे पूरे जीवन का मुख्य बिंदु रहा है. एक रिश्ते को पर्दे पर इतना खास और शुद्ध साझा करने में सक्षम होना जीवन भर की भावना है. जिस तरह से आनंद राय जी  दिल और आत्मा के साथ सरल कहानी को सामने लेकर आए हंै,वह इस बात का प्रमाण ह. अस इंडस्ट्ी में उनके जैसे बहुत कम लोग हैं,जो स्क्रीन पर इतनी नाजुकता से भावनाओं को प्रस्तुत कर सकते हैं.  मैं इसका हिस्सा बनकर धन्य हॅूं. ’’

निर्माता व निर्देशक आनंद एल राय के साथ ही अक्षय कुमार के लिए भी फिल्म ‘‘रक्षा बंधन’’ सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा है. क्योंकि अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी’, ‘बेलबौटम’, ‘बच्चन पांडे’ व ‘सम्राट पृथ्वीराज’ जैसी फिल्मों की बाक्स आफिस पर बड़ी दुर्गति हो चुकी है. दर्शकों का एक वर्ग उनसे काफी नाराज है. तो अब अक्षय कुमार को अपेन उन प्रशंसकों व दर्शकों को अपनी तरफ लाने का दोहरा भार है. देखना है कि फिल्म के रिलीज से पहले वह इस काम को किस तरह से अंजाम देेते हैं.

कुल मिलाकर फिल्म ‘‘रखाबंधन’’ का ट्रेलर कुछ अच्छी उम्मीदें जगाता है,मगर इस फिल्म को सही अंदाज में दर्शकों तक कैसे फिल्मकार आनंद एल राय पहुॅचाते हैं, उस पर सारा दारोमदार रहेगा. पिछले कुछ समय में कुछ बेहतरीन फिल्मों को भी दर्शकों ने नकार दिया, क्योंकि उन फिल्मों का प्रचार ही गलत ढंग से हुआ था. फिल्म की  विषयवस्तु कंटेंट को सही रूप में पहुॅचाना भी आज की तारीख में सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है. हर फिल्मकार व कलाकार को याद रखना होगा कि अब दर्शक महज कलाकार या निर्देशक का नाम देखकर अपनी जेब से पैसे खर्च कर फिल्म देखने के लिए सिनेमाघर नही जाना चाहता. उसे एक अच्छी कहानी व मनोरंजन चाहिए.

Father’s day 2022: Celebs से जानें उनके पिता के साथ बिताई खट्टी मीठी बातें  

हर साल Father”s Day जून महीने की तीसरे रविवार को मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य पिता के प्रति आभार जताना है, क्योंकि एक बच्चे के पालन-पोषण में जितना जरुरी एक माँ की होती है, उतनी ही पिता की भी आवश्यकता होती है. इसलिए इस दिन को सभी बच्चे अपने हिसाब से पिता के पसंद के सामान, सरप्राइज डिनर, ट्रिप, फूल आदि देकर  सेलिब्रेट करते है.

फादर डे की शुरुआत कब और कैसे हुई इस बारें में लोगों के अलग-अलग मत है. कुछ का मानना है कि फादर्स डे 1907 में वर्जिनिया में पहली बार मनाया गया था, कुछ मानते है कि 1910 में वाशिंगटन में मनाया गया था, जबकि वर्ष 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इसे मनाने की मंजूरी दी. साल 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने इसे जून महीने की तीसरे रविवार को मनाने की आधिकारिक घोषणा की, इसके बाद से फादर्स डे को जून के तीसरे संडे को मनाया जाता है.

बच्चों के साथ पिता का सम्बन्ध बहुत ही प्यारा होता है, लेकिन आज की भाग-दौड़ की जिंदगी में बच्चों को पिता के साथ बातें करने या उन्हें समझने का वक्त नहीं होता, ऐसे में ये दिन बच्चों को एक बार फिर से उनके संबंधों को ताजा करने का अच्छा विकल्प है, इसलिए आम बच्चों से लेकर सेलेब्रिटी बच्चे भी शूटिंग पर फंसे रहने की वजह से पिता और फादर्स डे को मिस कर रहे है, आइये जाने पिता से उनके सम्बन्ध, उनकी नजदीकियां, प्यार और टकरार सब कैसा है. जानते है मिलीजुली प्रतिक्रिया उनकी जुबानी.

चारु मलिक

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अभिनेत्री चारू कहती है कि मैं पूरे साल फादर्स डे और मदर्स डे मनाना चाहती हूँ. पिता बेटियों के हमेशा ही बहुत स्पेशल होते है, क्योंकि माँ के साथ बातूनी रिश्ते का इक्वेशन होता है, जबकि पिता के साथ एक अलग ही प्यारा रिश्ता होता है. ये सही है कि उनसे हम अधिक बात नहीं करते, पर उनका प्यार हमेशा किसी न किसी रूप में मिलता रहता है. मैं और मेरी जुड़वाँ बहन पारुल दोनों ही पिता के बहुत करीब है. वे भी हम दोनों के साथ एक मजबूत सम्बन्ध रखते है. मेरे पिता इन्ट्रोवर्ट है और अधिक बात नहीं करते, लेकिन जो भी बात कहते है वह हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है. वे एक वकील है और हमेशा अपने केसेज को लेकर व्यस्त रहते है. लाइब्रेरी में बैठकर इन केसेज की स्टडी करते है. उनका शांत और धैर्यवान होना हमारे लिए बहुत ही अच्छा रहा, क्योंकि जब वे बचपन में मुझे मैथ पढाया करते थे और मैं उसमे अच्छे अंक नहीं ला पाती थी. उन्होंने मुझे गणित की बेसिक चीजों को सिखाया. मेरी माँ की मृत्यु के बाद सभी उनके बहुत करीब हो चुके है, ताकि माँ की यादों को वे कुछ हद तक कम कर सकें. अभी वे अमेरिका में पारुल के साथ रहते है. मैंने पिता से कठिन समय में शांत रहना, धैर्य न खोना आदि सीखा है. इसके अलावा मेरे पिता बहुत अच्छा खाना बनाते है और हमें हमारे पसंद का व्यंजन बनाकर खिलाते है.

नसिर खान 

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फिल्म और टीवी अभिनेता नसिर खान का अपने पिता कॉमेडियन और अभिनेता जॉनी वाकर के साथ बहुत अच्छी बोन्डिंग थी. वे कहते है कि उन्होंने मुझे कभी डांटा नहीं. वे मेरे साथ बहुत ही सौम्य स्वभाव रखते थे, लेकिन वे अपने सिद्धांतो पर हमेशा अडिग रहे. मैं परिवार का छोटा बेटा होने की वजह से उन्होंने मुझे अपना कैरियर चुनने की पूरी आज़ादी दी थी. इसके अलावा परिवार के बच्चों के किसी भी निर्णय को वे कभी नहीं लेते थे, उसकी जिम्मेदारी मेरी माँ की थी. वे स्ट्रिक्ट पिता नहीं थे. बड़े होने पर मुझे उनके व्यक्तित्व को काफी हद तक समझ में आया. वे एक शांत इंसान थे और सबके लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा रखते थे. मेरे हिसाब से पिता का बच्चों और पत्नी से हमेशा बातचीत करते रहना चाहिए , ताकि एक दूसरे की भावनाओं को समझने का अवसर मिले.

अनुज सचदेवा 

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अभिनेता अनुज का कहना है कि इमोशन को व्यक्त करने का तरीका पुरुषों में अलग होता है. बेटे के लिए उनके इमोशन 2 से 3 बातों के बाद ख़त्म हो जाती है, मसलन आप कैसे हो, क्या कर रहे हो या तबियत कैसी है? आदि. ऐसे कुछ प्रश्नों के उत्तर जान लेने के बाद बातें खत्म हो जाती है, जैसा मैंने अभी तक अपने पिता से सुना है और मुझे लगता है कि सभी पिता और बेटे में सम्बन्ध ऐसा ही होता होगा. मेरे पिता मेरे कैरियर में एक माइलस्टोन की तरह है. मेरे साथ मेरे पिता की सोच का कभी भी मेल नहीं हुआ, जो हर किसी के साथ होता है और ये जेनरेशन गैप का ही परिणाम है, लेकिन मेरे पिता ने हमेशा मेहनत करना सिखाया है, जिसमे शोर्ट कट की कोई जगह नहीं. 

अशोक कुमार बेनीवाल 

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अभिनेता अशोक कुमार बेनीवाल का कहना है कि पूरे विश्व में मैं अपने पिता के सबसे करीब हूँ. उनके साथ मेरा स्ट्रोंग ट्रेडिशनल सम्बन्ध और जुड़ाव है. इनका व्यक्तित्व मेरे लिए बहुत खास है, जब भी मुझे उनकी जरुरत होती है, वे हमारे साथ होते थे. मेरे किसी भी सन्देश को पिता तक पहुँचाने में मेरी माँ का हमेशा सहयोग रहा है. पिता ने अपनी सामर्थ्यता से अधिक किसी काम को करने में मुझे सहयोग दिया. उन्होंने मुझे इमानदारी, मेहनत और लगन से काम करने की सीख दी, जिसे मैंने अपने जीवन में उतारा है. आज वे हमारे बीच नहीं है, मैं उन्हें बहुत मिस करता हूँ. मुझे आज भी याद आता है जब मैंने अपने पिता, माँ, बड़ी बहन और 6 रिश्तेदारों को वर्ष 2013 को हुए केदारनाथ फ्लड में खो दिया.

सुधा चंद्रन 

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अभिनेत्री सुधा चंद्रन कहती है कि मेरे लिए फादर्स डे केवल एक दिन नहीं 365 दिन भी उनके लिए बात करूँ तो कम पड़ जायेंगे. मेरे हिसाब से हर लड़की के लिए उसका पहला हीरो उसका पिता होता है. मैने हमेशा से उनके जैसा बनना चाहती थी. वे एक विनम्र परिवार से थे. केवल 13 साल की उम्र से उन्होंने अपने परिवार को सेटल किया था.मेरे पिता की तरफ से दो पुरस्कार मेरे लिए बहुत माईने रखती है, जब मैं अस्पताल में थी और मुझे नकली पैर मिला था. उन्होंने कहा था कि मैं तुम्हारा वो पैर बनूँगा, जिसे तुमने खोया है. मैंने पूछा था कि ऐसा आप कब तक कर पाएंगे? इस पर उन्होंने कहा था कि मैं तुम्हारे साथ तब तक रहना चाहता हूँ, जब तक तुम्हे जरुरत है और ये सही था जब मैं कामयाबी की पीक पर थी, तब वे हमें छोड़ गए. दूसरा अवार्ड मुझे तब मिला जब मैंने पहली बार नकली पैर से डांस किया. परफोर्मेंस के बाद जब मैं घर आई तो उन्होंने मेरे पैर छू लिए. उनके इस व्यवहार के बारें में पूछने पर बताया था कि मैं उनके लिए कला की मूर्ति हूँ.

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पिता के रूप में अभिनेता अनिल कपूर की सोच क्या है, पढ़ें इंटरव्यू

हॉलीवुड और बॉलीवुड में अपनी एक अलग छवि बनाने वाले अभिनेता अनिल कपूर ने हर शैली में काम किया है और आज भी नई-नई भूमिका निभाकर दर्शकों को चकित कर रहे है. कॉमेडी हो या सीरियस, हर अंदाज में वे फिट बैठते है. उन्होंने जिस भी फिल्म में काम किया, दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बने, इसे वे अपनी उम्र के हिसाब से सही फिल्म और किरदार का चुनना बताते है, जो उन्हें सावधानी से करना पड़ता है, जिसमें वे अपने दिल की सुनते है. यही वजह है कि उन्होंने काम से कोई ब्रेक नहीं लिया. उनके साथ ‘कॉम बैक’ का कोई टैग नहीं लगा. हंसमुख और विनम्र स्वभाव के अनिल कपूर खुद को नकारात्मक चीजों से दूर रखना पसंद करते है, ताकि हर सुबह उन्हें नया और फ्रेश लगे. खुश रहना और किसी तनाव को पास न आने देना ही उनके फिटनेस का राज है. उन्होंने हर बार माना है कि जीवन एक है और इसमें उतार-चढ़ाव का आना स्वाभाविक है. अनिल कपूर पहली बार धर्मा प्रोडक्शन के साथ फिल्म ‘जुग-जुग जियो’ में पिता की भूमिका निभा रहे है. जो रिलीज पर है. कोविड की वजह से ये फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थी, इसलिए सभी इसके आने का इन्तजार कर रहे है.

इतना ही नहीं अनिल कपूर एक अच्छे अभिनेता के अलावा अभिनेत्री सोनम कपूर, अभिनेता हर्षवर्धन कपूर और रिया कपूर के पिता भी है, उन्होंने बच्चों को एक दोस्त की तरह पाला, जिसमे साथ दिया उनकी पत्नी सुनीता कपूर ने. जिससेउन्होंने इमानदारी के साथ काम किया. आइये जानते है अनिल कपूर से उनके पिता बनने और उससे जुड़े कुछ अनुभव जो पेरेंट्स के लिए बहुत उपयोगी होगा, आइये जानते है, इस बारें में उनकी सोच क्या है.

सवाल – ये फिल्म पिता-पुत्र के संबंधों पर आधारित है, रियल लाइफ में आप किस तरह के पिता है ? क्या बच्चों को अनुसाशन में रखना पसंद करते है?

जवाब – फिल्मों का सम्बन्ध और रियल लाइफ का सम्बन्ध बहुत अलग होता है. (हँसते हुए) रियल पिता को समझने के लिए घर आना पड़ेगा. मैं कभी भी स्ट्रिक्ट पिता नहीं हूं, प्यार से उन्हें कुछ भी कराया जा सकता है, स्ट्रिक्ट होने से नहीं. साथ ही धैर्य की भी बहुत जरुरत पड़ती है, स्ट्रिक्ट होने से बच्चा कभी भी अच्छा नहीं बन सकता. तकनिकी युग के बच्चे पहले से ही सब जानते है, इसलिए उन्हें समझ कर पेरेंट्स को कोई सुझाव देनी चाहिए. बच्चों को अपना क्षेत्र चुनने की पूरी आज़ादी भी पेरेंट्स को देनी चाहिए.

सवाल – आपका और आपकी पत्नी सुनीता कपूर का एक कामयाब रिश्ता रहा है, इस बारें में क्या कहना चाहते है?

जवाब – किसी भी रिलेशनशिप में कॉम्प्रोमाइज करने की जरुरत होती है. इससे व्यक्तिदूसरे की तरफ से देख सकता है और कोई ऐसी बात किसी को कह नहीं पाता, जिससे वह व्यक्ति हर्ट हो. गलती हर इन्सान से होती है और उसे मान लेना सबसे सहज बात होती है.

सवाल – इतने सालों बाद भी जब आपकी फिल्म रिलीज पर होती है, तो क्या आपमें पहले जैसा एक्साइटमेंट होता है?

जवाब – ये फिल्म की बनावट पर निर्भर करता है कि फिल्म की कहानी क्या है और निर्देशक कौन है. अगर मैंने किसी डायरेक्टर के साथ पहले भी काम किया है, तो अधिक चिंता नहीं करता.

सवाल – अभिनेत्री नीतू कपूर के साथ काम करना कैसा रहा?

जवाब – नीतू मेरे परिवार की एक सदस्य है और पहली बार मैं उनके साथ फिल्म में काम कर रहा हूं, इसलिए काम करना सहज था, क्योंकि वह खूबसूरत, फ्रेश और नए लुक में सबके सामने आएगी. अभिनय के अलावा उन्हें डांस भी आता है, मैं उन्हें तब से जानता हूं, जब से वह ऋषि कपूर को डेट कर रही थी.

सवाल – सालों साल एक जैसे कद काठी होने का राज क्या है? फिल्मों को चुनते समय किस बात का ध्यान रखते है?

जवाब – मैं पहले जैसा था, वैसा अब नहीं लग सकता, लेकिन मैं खुद पर बहुत ध्यान देता हूं. साथ ही मैं कभी गलतफहमी में नहीं जीता, मैंने उन फिल्मों चुना जो मेरी उम्र के हिसाब से ठीक हो. दर्शक मुझे कुछ कहे, इससे पहले ही मैंने खुद को चुपचाप हीरों से चरित्र अभिनेता में बदल दिया. ये मेरे लिए सही था. मैंने उन फिल्मों को चुना, जिसमे मैं लीड भले ही न हूं, लेकिन जरुरी है. ये चुनाव मेरे लिए सफल रहा. आज मैं बहुत खुश हूं कि दर्शक आज भी मुझे देखना चाहते है. आज के दर्शकों को कोई मुर्ख नहीं बना सकता. इसके अलावा मैं नियमित वर्कआउट करता हूं. किसी प्रकार का नशा नहीं करता. मुझे दक्षिण भारतीय व्यजन में स्टीम्ड इडली बहुत पसंद है, क्योंकि ये बहुत सुरक्षित भोजन है.

सवाल – आप अभी भी किसी फिल्म में सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बने रहते है, इस बारें में क्या कहना चाहते है? सोशल मीडिया पर आप कितने एक्टिव है?

जवाब – उम्र के हिसाब से हमेशा अभिनय करना चाहिए, अभी मैं वरुण धवन की भूमिका नहीं निभा सकता. मैं अपने उम्र की भूमिका निभा रहा हूं. इसलिए सभी मेरे चरित्र को पसंद करते है. हालाँकि इस फेज में आना कठिन था, पर मैंने खुद को समझाया.

सोशल मीडिया पर मैं अधिक एक्टिव नहीं, लेकिन मेरे काफी यंग फोलोअर्स है, जो अधिकतर मिम्स भेजते है. मैं उनका जवाब मिम्स से ही देता हूं. (हँसते हुए) यंग फोलोअर्स अधिक होने की वजह मेरी भूमिका है, जो यंग को भी आकर्षित करती है. फिल्म वेलकम में मेरी भूमिका मजनू भाई की थी, जो पेंटिंग बनाता है. मुझे जब पेंटिंग बनाकर निर्देशक अनीस बज्मी ने दी, तो किसी को पता नहीं था कि मेरी ये भूमिका इतनी पोपुलर होगी. यूथ को मेरा ये किरदार इतना पसंद होगा. मैं कई बार कुछ निर्देशक की कहानियां भी नहीं पढता, क्योंकि वे मेरे टेस्ट को जान चुके है. फिल्म अच्छी तरह बननी चाहिए, सफल हो या न हो ये तो दर्शकों की टेस्ट पर निभर करता है. मैं खुद निर्णय लेता हूं और अंत तक उसे पूरा करता हूं.

सवाल – कंट्रोवर्सी को आप कैसे लेते है और खुद को क्या समझाते है?

जवाब – मैं कंट्रोवर्सी को देखता नहीं हूं, उन लेखों को पढता हूं, जिन्होंने मेरी बातों को ठीक तरह से लिखा है. क्रिटिक सही है, क्योंकि इससे मैं खुद को इम्प्रूव कर सकता हूं, पर मेरे घर में बहुत सारे अच्छे आलोचक है, मैं उनकी अवश्य सुनता हूं.

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B Praak के नवजात बच्चे की हुई मौत, सिंगर ने बयां किया दर्द

बीते दिनों वाइफ मीरा बच्चन का बेबी शॉवर सेलिब्रेट करने वाली पौपुलर सिंगर बी प्राक (B Praak) के नवजात बच्चे की मौत हो गई है, जिसका दर्द शेयर करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

नवजात बच्चे की मौत पर शेयर किया पोस्ट

 

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हाल ही में डिलीवरी के बाद बी प्राक ने बच्चे की मौत की खबर अपने फैंस को दी है. दरअसल, सिंगर ने सोशलमीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था कि बहुत ही दर्द के साथ मैं बताना चाहता हूं कि हमारे दूसरे बच्चे का निधन हो गया है. जन्म के तुरंत बाद वह इस दुनिया से चल बसा. बतौर पैरेंट्स ये हमारे लाइफ की सबसे दुखद घटना है. हम सभी डॉक्टर्स और स्टाफ के एफर्ट्स का धन्यवाद करते हैं. मैं सभी से गुजारिश करता हूं कि इस दुखद समय में हमारी प्राइवेसी का ख्याल रखा जाए. सभी की प्रार्थना की जरूरत है. आपका प्यारा बी प्राक और मीरा.

 

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बेबी शॉवर किया था सेलिब्रेट

 

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पंजाबी गानों से फैंस का दिल जीत चुके सिंगर बी प्राक ने हाल ही में अपनी वाइफ मीरा बच्चन की प्रैग्नेंसी की न्यूज शेयर की थी, जिसके उन्होंने बेबी शॉवर भी सेलिब्रेट किया था. हालांकि बच्चे की मौत की खबर से सेलेब्स और फैंस उन्हें हौंसला रखने की बात कह रहे हैं और सांत्वना जता रहे हैं.

बता दें, सिंगर बी प्राक (B Praak Wife) ने साल 2019 में मीरा बच्चन के साथ शादी की थी, जिनसे उनका बेटा अदब है. वहीं प्रौफेशनल करियर की बात करें तो ‘रांझा’, ‘फिलहाल 2’, ‘मन भरया’, ‘बारिश की जाए’ जैसे गानों की म्यूजिक वीडियो के अलावा वह अक्षय कुमार की फिल्म केसरी में तेरी मिट्टी भी गा चुके हैं, जो फैंस को काफी पसंद आया था.

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बॉलीवुड की दुल्हनों को पीछे छोड़ रहा है साउथ की Nayanthara का ब्राइडल लुक, देखें फोटोज

साउथ की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक नयनतारा (Nayanthara) हाल ही में शादी के बंधन में बंध चुकी हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. वहीं उनके ब्राइडल लुक (Nayanthara Bridal Look) की फैंस तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. नयनतारा का लुक देखकर हर कोई बौलीवुड एक्ट्रेस के लुक को पानी कम बता रहा है. आइए आपको दिखाते हैं साउथ की एक्ट्रेस के ब्राइडल लुक की झलक…

ब्राइडल लुक के लिए चुना लाल रंग  

 

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बॉयफ्रेंड विग्नेश शिवन (Vignesh Shivan) से 9 जून को शादी करने वाली एक्ट्रेस नयनतारा की वेडिंग फोटोज बेहद खूबसूरत हैं. शादी के लिए एक्ट्रेस ने लाल रंग चुना था. लहंगे की जगह एक्ट्रेस लाल कलर की नेट वाली साड़ी और फुल स्लीव्ज ब्लाउज में नजर आई. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो ग्रीन एमराल्ड ज्वैलरी और चोकर से उन्होंने अपना पूरा ब्राइडल लुक सजाया था. साउथ इंडियन स्टाइल की साड़ी छोड़ एक्ट्रेस ने नेट की साड़ी पहनकर बौलीवुड और साउथ की एक्ट्रेस के वेडिंग लुक से हटकर बनाया था.

 

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पति ने लिखा खास मैसेज

 

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एक्ट्रेस के पति विग्नेश शिवन ने अपनी वेडिंग फोटोज फैंस के साथ शेयर करते हुए लिखा नयन मैम से कादम्बरी तक… Thangamey से मेरी बेबी तक. फिर Uyir और मेरी कनमनी भी… अब मेरी पत्नी. विग्नेश का पोस्ट देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि नयनतारा से शादी करके वह कितने खुश हैं. वहीं शादी की रस्मों की इन फोटोज देखकर फैंस दोनों की तारीफ कर रहे हैं. हालांकि एक्ट्रेस के वेडिंग लुक की चर्चा इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस नयनतारा की शादी में कई बड़े सितारे पहुंचे थे, जिनमें कोरोना से ठीक हुए एक्टर शाहरुख खान का नाम भी शामिल हैं. वहीं साउथ और बौलीवुड इंडस्ट्री के कई नामी सितारे भी इस शादी में शिरकत करते हुए नजर आ चुके हैं.

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OTT को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस रुपाली सूरी, पढ़ें संघर्ष की कहानी

थिएटर से अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री रुपाली सूरी ने इंटरनेशनल फीचर फिल्म ‘डैड होल्ड माय हैंड’ से की थी.  इस फिल्म में उन्हें रत्ना पाठक शाह के साथ काम करने का मौका मिला. निर्देशन के साथ-साथ विक्रम गोखले ने खुद ही इस फिल्म को एडिट और कम्पोज भी किया है. इसमें उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से लॉकडाउन की कहानी को शूट किया है. रुपाली अभी कुछ वेब सीरीज और फिल्मों में काम कर रही है. व्यस्त समय के बीच उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की, आइये जाने उनकी कहानी.

सवाल –अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब –मेरे परिवार में कोई भी इस इंडस्ट्री से नहीं है, लेकिन छोटी उम्र में मेरी फीचर मॉडल की तरह होने की वजह से कई फैशन शोज में भाग लिया. इसके अलावा उस दौरान घर में कुछ तंगी होने की वजह से माँ ने मुझे आये हुए प्रोजेक्ट को करने के लिए कहा, उस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही दूसरा प्रोजेक्ट आ गया, इस तरह से काम छूटा नहीं. काम करने बाद  मैं इस क्षेत्र में प्रेरित हुई और कॉलेज के बाद ही मैंने निश्चय कर लिया था किमुझे एक्टिंग करनी है, क्योंकि तब तक मैं काम सीख चुकी थी.

मॉडलिंग का काम मैंने दूसरी कक्षा से कर दी थी और स्कूल में काम कम था, लेकिन कॉलेज में इसकी रफ़्तार तेज हुई, मॉडलिंग के अलावा मैंने कई सीरियल्स में भी काम किये. फिर धीरे-धीरे वेब सीरीज, फिल्मे आदि मिलती गयी, क्योंकि अभिनय को समझने के लिए इफ्टामें ज्वाइन किया उनके साथ कई शोज किये. मेरा वह शुरूआती दौर था, जिसमे कला, अभिनय के साथ बहुत सारी बातों को सीखना था. मुझे ये समझना जरुरी था कि मैं खुद क्या और कितना काम कर सकती हूं. इसलिए मैंने थिएटर के मंच पर कई एक्सपेरिमेंटल शोज किये. वहां तालियों की गडगडाहट, दर्शकों का तुरंत रिएक्शन मिलता था. अभी भी मैं स्टेज की दुनिया को मिस करती हूं.मुझे कई बार ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री ने मुझे चुन लिया है, मैंने नहीं चुना है.

सवाल – कितना संघर्ष रहा?

जवाब – संघर्ष का स्तर हमेशा अलग होता है, एक समय जब मैंने आर्थिक तंगी के कारण काम शुरू किया था, दूसरे स्तर के संघर्ष में मेरे पास बस, टैक्सी, ऑटो के पैसे नहीं थे. कैसे मैं आगे बढ़ी हूं, ये मैं जानती हूं. तीसरा संघर्ष फैशन शो में जाने के लिए मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं थे. ये सब मेरे लिए कोई संघर्ष नहीं कह सकती, क्योंकि ऐसा करते हुए आगे बढ़ने में मज़ा आया था. आज पीछे मुड़कर देखने पर मुझे महसूस होता है कि इतनी स्ट्रगल के बाद ही मुझमे आत्मविश्वास आ पाया और मैंने जो अपनी छोटी एक सफल दुनिया बनाई है वह बन नहीं पाती. मेरी बड़ी बहन भी अभिनय से जुडी है. दोनों के रास्ते एक है, लेकिन अप्रोच अलग-अलग है.

सवाल – क्या आपको बड़ी बहन का सहयोग मिला ?

जवाब – सहयोग से अधिक मैं उससे प्रेरित अवश्य हुई हूं. उन्होंने अपने जीवन में मेहनत कर एक जगह बनायीं है. उनके सही कदम और गलतियों से मैंने बहुत कुछ सीखा है. वह मेरे लिए ‘लाइव लेसन’ है. मैं साधारण परिवार से हूं, मेरे पिता गारमेंट के व्यवसाय में थे, अब रिटायर्ड है और मेरी माँ गुजर चुकी है. मेरी माँ बहुत कम उम्र में बिछड़ गई. इस वजह से हम दोनों बहने बहुत ही हम्बल बैकग्राउंड से है.

सवाल – इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने पर काम मिलना मुश्किल होता है, क्या आपको काम मिलने में परेशानी हुई ?

जवाब – ये तो होता ही रहता है, क्योंकि पेरेंट्स के काम से उनके बच्चों कोलाभ मिलता है. ये केवल इंडस्ट्री के लिए नहीं हर जगह लागू होता है. पहला मौका उन्हें जल्दी मिलता है, लेकिन काम के ज़रिये उन्हें भी प्रूव करना पड़ता है कि वे इस इंडस्ट्री के लिए सही है.

सवाल – कई बार काम होते-होते कलाकार रिजेक्ट हो जाते है, क्या आपको रिजेक्शन का सामना करना पड़ा? उसे कैसे लिया?

जवाब – बहुत बार मुझे इन चीजो का सामना करना पड़ा, कई बार मैंने रात 10 बजे मैनेजर को जगाकर पूछती थी कि मैंने क्या गलत किया. कई बार तो साइनिंग अमाउंट मिलने के बाद भी रिजेक्ट हुई. कई बार सेट पर पहुँचने के बाद मुझे अगले दिन नहीं बुलाया गया. इसकी वजह समझना मुश्किल होता है, कभी कोई कहता है कि इस रोल के लिए मैं ठीक नहीं, तो कोई कुछ दूसरा बहाना बनाते है. सामने कोई कुछ अधिक नहीं कहता. एक बार मैं निर्देशक अनीस बज्मी की फिल्म में कास्ट हुई, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था कि नए कलकार के साथ वे काम नहीं करते, उन्हें एक अनुभवी कलाकार चाहिए.

सवाल – स्ट्रेस होने पर रिलीज कैसे करती है?

जवाब – मैं आधी रात को मैनेजर से घंटों बात करती हूं और वह मुझे समझाती है. अगर वह नहीं है तो मैं कथक डांस कर सारा स्ट्रेस निकाल देती हूं. मैं एक कलाकार हूं और हर इमोशन को फील करती हूं, लेकिन एक बार उससे निकलने पर वापस मैं उसमे नहीं घुसती और आगे बढ़ जाती हूं.

सवाल – किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

जवाब – टीवी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है, उसकी शोज से मुझे आज भी लोग याद करते है. मेरी वेब सीरीज, फिल्मों की अलग और टीवी की एक अलग पहचान है. शो ‘शाका लाका बूम-बूम’ में मेरे चरित्र, विज्ञापनों आदि को लोग आज भी याद रखते है, इस तरह बहुत सारे ऐसी टीवी शो है, जिससे मैं सबके घरों तक पहुँच पाई.

सवाल – ओटीटी आज बहुत अधिक दर्शकों के बीच में पोपुलर है, इसका फायदा नए कलाकारों को कितना मिल पाता है?

जवाब – ओटीटी आने से इंडस्ट्री में लोगों के काम और वेतन काफी बढ़ गयी है. जिस तरह टीवी ने आज से कुछ साल पहले कलाकारों को अभिनय करने का एक बड़ा मौका दिया था, वैसी ही ओटीटी के आने से काम बहुत बढ़ा है. काम और पैसे का बढ़ना ही इंडस्ट्री के लोगों के लिए निश्चित रूप से एक प्रोग्रेस है. इससे ये भी कलाकारों को पता चला है कि केवल फिल्म ही नहीं, आप ओटीटी पर अभिनय कर संतुष्ट हो सकते है. ये एक प्रोग्रेसिव दौर है.

सवाल – परिवार का सहयोग कितना रहा ?

जवाब – परिवार के सहयोग के बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते. पहले दिन से मुझे ये आज़ादी मिली है, मुझे कभी कुछ रोका या टोका नहीं गया है. एक ट्रस्ट और कॉंफिडेंट दिया गया है, जो मेरे लिए जरुरी था.

सवाल – आपके ड्रीम क्या है?

जवाब – मेरी ड्रीम्स बहुत छोटी -छोटी है, मैं छोटी चीजों को पाकर खुश हो जाती हूं. ये छोटी चीजे मिलकर एक दिन बड़ी हो जाती है. मैं हमेशा प्रेजेंट में रहती हूं. डांस मेरा पैशन है, लेकिन कब ये जरुरत बन गयी पता नहीं चला. मैं अपनी सुविधा के लिए शो करती हूं, रियाज करती हूं, ये मुझे संतुलित रखती है. मेरे कथक गुरु राजेंद्र चतुर्वेदी है.

सवाल – खाना बनाने का शौक है?

जवाब – मुझे खाना बनाना पसंद है, माँ की रेसिपी को मैं हमेशा नए अंदाज में बनाती हूं.

सवाल – आपके जीवन जीने का अंदाज क्या है?

जवाब – आसपास के सबको खुश रखना और वर्तमान में जीना.

मेरी एक दादी है, जो हर मगज़ीन में मुझे खोजती है, उसे खरीदती रहती है और एक शेल्फ पर अलग से रख देती है. किसी को हाथ लगाने नहीं देती,

सवाल – क्या आप एनिमल लवर है?

जवाब – मुझे जानवरों से बहुत प्यार है. मेरे निर्देशक भरतदाभोलकर भी एक एनिमल लवर है. मेरा उनसे जुड़ाव भी जानवरों की वजह से हुआ है, मेरी डौगी डॉन सूरी भी 15 साल साथ रहने के बाद उसकी डेथ हो गयी. मुझे उसकी बहुत याद आती रहती है.

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