रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः दीपक मुकुट और सोहे मकलाई

निर्देशकः रजनीश घई

कलाकारः कंगना रनौत,  अर्जुन रामपाल, दिव्या दत्ता, शाश्वत चटर्जी,  शारिब हाशमी और अन्य

अवधिः दो घंटे 13 मिनट

फिल्मकार रजनीश घई एक महिला प्रधान एक्शन जासूसी फिल्म ‘‘धाकड़’’लेकर आए हैं. जिसे देखने के बाद यही समझ में नहीं आया कि यह फिल्म बनायी क्यों गयी है? फिल्म में कथा पटकथा, निर्देशन, कंगना का अभिनय सब कुछ गड़बड़ है. फिल्म ‘‘धाकड़’’देखने के बाद मन में सवाल उठता है कि फिल्म ‘क्वीन’ में शानदार अभिनय करने वाली यही कंगना रानौट थी. ‘धाकड़’में कंगना की अभिनय क्षमता में जबरदस्त गिरावट नजर आती है. वैसे फिल्म देखकर यह समझ में आता है कि 2003 की सफलतम हालीवुड फिल्म ‘‘किलबिल’’ की नकल करने का प्रयास किया गया है.

कहानीः

फिल्म शुरू होती है बुद्धापेस्ट से, जहां एक महिला भारतीय जासूस अग्नि( कंगना रानौट) बंदूकों व तलवारों का उपयोग करते हुए अपनी जान को जोखिम में डाल कर ‘मानव तस्करी’ का व्यवसाय करने वालों के यहां से सैकड़ों छेाटे लड़के व लड़कियों को छुड़ाती है. यहां पर अग्नि को एक पेन ड्राइव मिलती है, जिसमें एशिया के सबसे बड़े बाल तस्कर रूद्रवीर सिंह(अर्जुन रामपाल) के बारे में जानकारी है, जो कि सरकार के खिलाफ नफरत भरकर अपनी साथी रोहिणी(दिव्या दत्ता) के साथ कोयला खदानों पर कब्जा करने के साथ ही छोटे बच्चों की मानव तस्करी करते है. अब अग्नि के बॉस(शाश्वत चटर्जी ) और जिन्होने उसे पाल पोस कर इस लायक बनाया है वह अग्नि को रूद्रवीर को खत्म करने के लिए भारत भेजते हैं. जहां अग्नि की मदद करने के लिए फजल(शारिब हाशमी) है.

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