ब्राइडल स्किन केयर टिप्स

अपने खास दिन यानी वैलेंटाइन डे पर हर ब्राइड का यही सपना होता है कि वह बेहद खूबसूरत दिखे ताकि हर किसी की नजरें उस पर से हटे ही नहीं. इसी  कारण हर ब्राइड उस दिन खूबसूरत दिखने के लिए अपने मेकअप को ले कर ङ्क्षचतित रहती है क्योंकि जीवन में यह दिन एक बार ही आता है. अच्छी स्किन व इवन बेस के बिना कोई भी मेकअप लुक अच्छा नहीं लग सकता है. मगर इस का यह मतलब बिलकुल भी नहीं है कि अगर उस खास दिन आप के चेहरे पर मुंहासे या फिर अन्य दाग हों तो आप अपने खास दिन चमक या शाइन नहीं कर पाएंगी. लेकिन अगर आप वैलेंटाइन डे पर खास दिखना चाहती हैं तो सब से पहले आप अपनी स्किन की केयर करें, उस के बाद मेकअप पर ध्यान दें.

इस बात का खास ध्यान रखें कि हमेशा वैलेंटाइन डे से 3 से 6 महीने पहले से ही स्किन ट्रीटमैंट्स लेने शुरू कर देने चाहिए क्योंकि अधिकांश ट्रीटमैंट्स का स्किन पर शुरुआत में खराब इफैक्ट पड़ सकता है.

हमेशा सुनिश्चित करें कि फंक्शंस में भाग लेने और अरेंजमैंट्स में बिजी रहने के साथ आप स्ट्रैस से खुद को दूर रखने के साथसाथ पर्याप्त नींद भी लें और अगर आप के पास स्पैशलिस्ट के पास जाने का समय नहीं है या फिर आप स्पैशलिस्ट को अफोर्ड करने में असमर्थ हैं तो आप भूल कर भी अपनी शादी के कुछ दिन पहले अपनी स्किन के साथ कोई ऐक्सपैरिमैंट न करें.

यहां कुछ विकल्प सुझाए जा रहे हैं, जिन्हें हर ब्राइड देख सकती है, जो इस प्रकार हैं :

प्रोफैशनल ट्रीटमैंट्स

हाई फ्रीक्वैंसी मशीन : अगर आप को मुंहासों की समस्या है तो आप के लिए यह ट्रीटमैंट बैस्ट है क्योंकि यह स्किन को इन्फैक्शन रहित करने, मुंहासों को सुखाने व हील करने के साथसाथ त्वचा के तापमान को बढ़ाने के लिए भी गरमाहट की अनुभूति कराता है.

  • हाई फ्रीक्वैंसी मशीन के निम्न फायदे हैं :
  • मुंहासों को कम व उन्हें शांत करता है.
  • बड़े पोर्स को छोटा करता है.
  • सीबम प्रोडक्शन को कम करने में मददगार.
  • ङ्क्षलफेटिक डै्रनेज को प्रोत्साहित करता है.
  • सूजी हुई आंखों व डार्क सर्कल्स को कम करता है.

फेस वैक्यूम

यह ट्रीटमैंट उन महिलाओं के लिए बैस्ट हैं, जो स्किन डिस्कलरेशन से बचना चाहती हैं. यह मशीन ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव कर के आप को ग्लोइंग स्किन देने का काम करती है. यह त्वचा को भी मजबूती प्रदान कर के ङ्क्षलफेटिक और ब्लड सर्कुलेशन दोनों को इंप्रूव करने का काम करती है.

फेस फराडिक मशीन

यह मशीन मसल्स को टाइट कर के फेस को स्लिम दिखाने में मदद करती है. इस मशीन से मांसपेशियों में संकुचन होता है और उस के द्वारा मांसपेशियों का कंटूङ्क्षरग होता है. यह टोङ्क्षनग प्रभाव ढीले जबड़े को लिफ्ट करवा कर यानी उभार कर आप को जवां दिखाने में मददगार है.

गैल्वेनिक

यह डीप क्लीनिंग ट्रीटमैंट होता है, जो फौलिकल में सीबम और केराटिन को सौफ्ट करता है. यह ट्रीटमैंट औयली स्किन वाली महिलाओं के लिए बैस्ट है. इस के फायदे इस प्रकार से है :

  • यह मुंहासे पैदा करने वाले तेल के संचय को खत्म करता है.
  • डीप क्लीनिंग का काम करता है.
  • बेजान त्वचा में जान डालता है.
  • ब्लर्ड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मददगार.

कैमिकल पीलिंग

इस ट्रीटमैंट मैं स्किन को ऐक्सफौलिएट करने के लिए ऐसिड्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस में क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं की एक समान मात्रा को बाहर निकालना है, जो स्किन सैल्स के सैल टर्न ओवर फेज को बढ़ाने में मददगार होता है, जिस से दागधब्बे व स्किन पिगमैंटशन कम होने के साथसाथ ग्लोइंग स्किन मिलती है. इस के निम्न फायदे हैं :

  • दागधब्बों को कम करने में मददगार.
  • मुंहासों से ट्रीट करने में सहायक.
  • मुंह और आंखों के आसपास फाइन लाइंस को कम करे.
  • स्किन टैक्स्चर को इंप्रूव करे.

माइक्रोडर्माब्रेशन

यह भी कैमिकल पील की तरह की ही ऐक्सफौलिएशन प्रक्रिया होती है. बस अंतर सिर्फ इतना है कि इस ट्रीटमैंट में ऐसिड्स या कैमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस में एक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है.

7 होम ट्रीटमैंट्स

  • सही फेस वाश का चुनाव करें.
  • कैमिकल ऐक्सफौलिएट का इस्तेमाल केें.
  • अगर आप ने मेकअप किया हुआ है तो डबल क्लीनिंग करें.
  • अगर आप की स्किन को सूट करे तो रैटिनोलका जरूर इस्तेमाल करें.
  • स्किन टाइप के अनुसार हफ्ते में 1-2 बार मास्क जरूर अप्लाई करें.

कॉस्मैटोलॉजिस्ट अथिरा जे नायर

समय सीमा: भाग 2- क्या हुआ था नमिता के साथ

अब मनोविज्ञान में शोध कर रहे निखिल को क्या बताती कि अभी समय व्यर्थ न करने के नखरे कर के अब वह जीवन की सांध्य बेला व्यर्थ नहीं करेगी. कुलदीप का सारा परिवार ही उसे बहुत सुलझ हुआ लगा.

निखिल की यह शंका कि उस में आत्मविश्वास की कमी है या वह बीवी की कमाई खाने वाला है, कुलदीप ने यह कह कर निर्मूल सिद्ध कर दी, ‘‘मैरी फैक्टरी सुचारु रूप से चल रही है. अब मैं इस का और विस्तार करना चाहता हूं जिस के लिए मुझे इस में और अधिक समय लगाना पड़ेगा, लेकिन उस के लिए मैं ब्रह्मचारी बनना भी नहीं चाहता और न ही ऐसी पत्नी चाहता हूं जो फैक्टरी को अपनी सौत समझे यानी घरेलू बीवी जिस के लिए त्योहार, रिश्तेदार मेरे काम से ज्यादा जरूरी हों.

‘‘अपने कैरियर के प्रति समर्पित लड़की चाहता हूं जो स्वयं भी व्यस्त रहती हो, फुरसत के क्षणों की अहमियत समझ कर खुद भी उन्हें भरपूर जीए और मुझे भी जीने दे. शादी के

बाद लोग घरगृहस्थी के बारे में सोच कर

रिस्क लेने से डरते हैं, लेकिन कमातीधमाती धर्मपत्नी हो तो कुछ हद तक जोखिम उठाया जा सकता है.’’

इस के बाद कुछ कहनेसुनने को बचा ही नहीं और दोनों की शादी तय हो गई. कुलदीप का छोटा भाई अहमदाबाद में एमबीए के अंतिम वर्ष में था और परीक्षा में कुछ ही सप्ताह शेष थे सो कुलदीप का परिवार चाहता था कि सगाई, शादी उस के आने के बाद ही करें. नमिता के परिवार को तो तैयारी के लिए समय मिल रहा था. कुलदीप और नमिता टीवी देखने या कुछ पढ़ने में बिताती थी. अपनी मित्र मंडली तो थी ही, निखिल और दूसरे कजिन के साथ भी कोई न कोई प्रोग्राम बनता ही रहता था.

लेकिन कुलदीप से मिलने के बाद यह सब क्रियाक्लाप एकदम सतहहीन लगने लगे थे. रिश्ते दोस्ती सब अपनी जगह ठीक थे, लेकिन कुलदीप के साथ कुछ भी करना जैसे भविष्य की नींव डालना था, एक स्थाई रिश्ते का निर्माण जिस में उमंगों के साथ ऊष्मता भी थी और इंद्रधनुष के रंग भी. भविष्य के सपने तो वह पहले भी देखती थी, लेकिन उन में और कुलदीप के साथ देखे सपनों या उस के इर्दगिर्द बुने सपनों में बहुत फर्क था. शादी और सगाई से कुछ दिन पहले नमिता ने कुलदीप से पूछा कि कितने दिन की छुट्टी ले.

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‘‘जितने दिन की आसानी से मिले सके,’’ कुलदीप ने सहजता से कहा, ‘‘तमन्ना तो लंबे हनीमून की है, लेकिन उस के लिए तुम्हारा कैरियर दांव पर नहीं लगाना चाहूंगा.’’

नमिता अभिभूत हो गई, ‘‘मेरी बहुत छुट्टियां जमा हैं, मैं पल्लवी मैडम से बात करूंगी,’’ नमिता ने कहा, ‘‘वे बहुत सहृदता हैं सो स्वयं ही लंबी छुट्टी दे देंगी.’’

इस से पहले वह पल्लवी से बात करती, पल्लवी ने उसे मैनेजमैंट की मीटिंग में

आने के लिए कहा. मीटिंग में पल्लवी के ससुर कंपनी के चेयरमैन धर्मपाल, पल्लवी के जेठ मैनेजिंग डाइरैक्टर सतपाल और पल्लवी के पति डिप्टी मैनेजिंग डाइरैक्टर यशपा के अतिरिक्त अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे जिन में अधिकांश परिवार के सदस्य ही थे.

‘‘बधाई हो नमिता, मैनेजमैंट को तुम्हारा न्यूयौर्क में औफिस खोलने का सुझव बहुत

पसंद आया है,’’ धर्मपाल ने कहा, ‘‘चूंकि यह तुम्हारा प्रस्ताव है सो मैनेजमैंट ने फैसला किया

है कि इसे पूरा भी तुम्हीं करो यानी न्यूयौर्क औफिस खोलने के लिए तुम ही जाओ पहली

जून को.’’

नमिता बुरी तरह चौंक पड़ी. 28 मई को तो उस की शादी है.

‘‘थैंक यू सो मच सर, लेकिन मैं यह नहीं कर पाऊंगी.’’

‘‘क्यों नहीं कर पाओगी?’’ पल्लवी ने बात काटी, ‘‘मैं और यश चल रहे हैं न तुम्हारे साथ कुछ सप्ताह के लिए. फिर तुम्हारी कजिन और कई जानपहचान वाले वहां हैं, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी.’’

‘‘होगी भी तो कंपनी के लोग तुम्हारा पूरा खयाल रखेंगे,’’ धर्मपाल मुसकराए, ‘‘वैसे सफलता की सीढि़यां परेशानियों से भरी होती हैं, मैं भी उन पर गिरतापड़ता यहां तक चढ़ सका हूं. जाओ, जा कर जाने की तैयारी यानी अपना चार्ज अपने सहायक को देना शुरू कर दो.’’

नमिता हैरान रह गई यानी आदेश पारित हो चुका था और यहां कुछ भी कहना मुनासिब नहीं था. पल्लवी की सैक्रेटरी के कहने के बावजूद वह बगैर समय लिए पल्लवी से कैसे मिल सकती है. वह पल्लवी का इंतजार करने उन के कमरे में बैठ गई. कुछ देर के बाद पल्लवी आईं और उसे देख कर बोलीं, ‘‘क्या बात है नमिता, इतनी परेशान क्यों लग रही हो?’’

सब सुनने के बाद सहानुभूति के बजाय पल्लवी ने उस की ओर व्यंग्य से देखा,

‘‘इंटरव्यू के समय तो तुम ने कहा था कि अगले कई वर्ष तक तुम्हारी वरीयता तुम्हारी नौकरी

ही रहेगी और उस बात को तो अभी कुछ ही

वर्ष हुए हैं. इतनी जल्दी दिल कैसे भर गया नौकरी से?’’

‘‘नौकरी से दिल नहीं भरा मैडम, सयोग

से ऐसा साथी मिल गया है जो मुझ से कभी नौकरी छोड़ने या उसे तरजीह देने से मना नहीं करेगा,’’ नमिता ने उसे कुलदीप के बारे में सब बताना बेहतर समझ, ‘‘लेकिन एन शादी के मौके पर मैं यह कह कर शादी टालने या तोड़ने को नहीं कहना चाहती कि मेरा अमेरिका जाना अनिवार्य है.’’

‘‘ठीक समझ नमिता तुम ने, अमेरिका

जाना तो अनिवार्य है ही क्योंकि यह चेयरमैन

का आदेश है और अपने आदेश की अवज्ञा

वे अपना अपमान समझते हैं. उन की बात न

मान कर कंपनी में रहने के बजाय कंपनी

छोड़ना ही बेहतर होगा,’’ पल्लवी ने सपाट स्वर में कहा.

‘‘जैसा आप ठीक समझें, मैडम,’’ नमिता धीरे से बोली, ‘‘कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है.’’

पल्लवी इस उत्तर से चौंकी तो जरूर, लेकिन फिर संभल कर नमिता को ऐसे देखने लगीं जैसे उसे पर तरस खा रही हों.

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‘‘लेकिन तुम्हें तो हो सकता है सबकुछ

ही छोड़ना पड़े. जैसाकि तुम ने अभी बताया

उस से तो लगता है कि कुलदीप ने तुम्हें

तुम्हारी नौकरी और उस के प्रति समर्पित होने

के कारण ही पसंद किया है, अब अगर एक

आम लड़की की तरह भावावेश में आकर तुम

ने नौकरी छोड़ दी तो कैरियर के साथसाथ कुलदीप की तुम से शादी करने की वजह भी खत्म हो सकती है. कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लो. चाहो तो आज जल्दी घर चली जाओ.’’

आगे पढ़ें- शादी स्थगित कर के अमेरिका जाना न…

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GHKKPM: सई को दोषी ठहराएगी पाखी, विराट करेगा फैसला

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) की कहानी में श्रुति के कारण सई (Ayesha Singh) और विराट (Neil Bhatt) का रिश्ता टूटता नजर आ रहा है. जहां पूरा परिवार सई के साथ खड़ा हो गया है तो वहीं पाखी (Aishwarya Sharma) एक बार फिर सई को दोष देती नजर आ रही है. इसी के चलते सीरियल में नया ट्विस्ट आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई ने किया फैसला

अब तक आपने देखा कि विराट, सई से कहता है कि वह अपने दिमाग में एक अधूरी तस्वीर बना रही है. लेकिन सई उसकी एक भी बात नहीं सुनती और उसे घर छोड़ने की बात कहती है. हालांकि वह विराट से कहती है कि अगर वह उसे बता देगा कि श्रुति कौन है तो वह घर छोड़कर नहीं जाएगी. पर विराट, सई की जान खतरे में डालने से रुकते हुए उसे कुछ नही बता पाता.

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सई को घर छोड़ने से नहीं रोकेगा विराट

अपकमिंग एपिसोड में आ देखेंगे कि विराट की चुप्पी को देखते हुए सई गुस्से में घर छोड़ती हुई नजर आएगी. वहीं सई, विराट को अपनी शादी की अंगूठी लौटते हुए घर छोड़ देगी. लेकिन विराट सोचेगा कि वह अब अपने शब्दों को नहीं दोहराएगा क्योंकि उसके पास खुद को निर्दोष साबित करने की ताकत नहीं बची है.

पाखी फिर करेगी सई पर वार

 

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दूसरी तरफ पाखी एक बार फिर सई को जिम्मेदार ठहराएगी. दरअसल, भवानी, निनाद से पूछेगी कि विराट घर लौटा या नहीं. जिस पर सोनाली, पाखी को ताना मारते हुए कहेगी क्या उसने कल रात विराट को घर लौटते देखा या नहीं. लेकिन पाखी कहेगी कि वह किसी की जासूसी नहीं करती है. वहीं पाखी, सई को जिम्मेदार ठहराते हुए कहेगी कि करिश्मा सही है क्योंकि सई ने विराट के साथ रात बिताने का अधिकार खो दिया है और इसलिए विराट किसी और के साथ रह रहा है. वहीं सम्राट केवल श्रुति को दोष न देने की बात कहते हुए कहेगा कि इन सब में विराट भी जिम्मेदार है. लेकिन पाखी सई को दोषी ठहराएगी.

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Anupama: अनुज के खिलाफ मालविका को भड़काएगा वनराज, सीरियल में आएंगे नए ट्विस्ट

रुपाली गांगुली स्टारर सीरियल अनुपमा की कहानी में नया ट्विस्ट आ गया है. जहां अनुज और मालविका के रिश्ते का सच शाह परिवार के सामने आ गया है तो वहीं अब सीरियल की कहानी में कई शौकिंग ट्विस्ट दर्शकों को देखने के लिए मिलने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुज का सच आया सामने

 

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अब तक आपने देखा कि क्रिसमस पार्टी में अनुज सभी को बताता है कि वह मालविका का असली भाई नहीं बल्कि गोद लिया हुआ है, जिसके बाद शाह परिवार हैरान हो जाता है. वहीं मालविका और अनुज के बीच लड़ाई होती है. लेकिन अनुपमा दोनों को मना लेती है और साथ में जश्न मनाते नजर आते हैं.

 

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मालविका को भड़काएगा वनराज

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, अनुपमा से कहेगा कि कि वह अनु के लिए अपनी जान भा दे सकता है. लेकिन अनु कहेगी कि वह जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करेगी. दूसरी तरफ, वनराज, मालविका से पूछेगा कि क्या वह एक बड़े बिजनेस की मालिक नहीं बनना चाहती. वहीं वनराज की बात पर गुस्सा करते हुए मालविका पूछेगी कि क्या वह उसे समझा रहा है या फिर उकसा रहा है. इसी के चलते वह कहेगी कि अगर वह चाहती है तो वह बिजनेस करेगी या फिर अनुज को दे देगी और चली जाएगी.

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अनुपमा और अनुज की होगी लवस्टोरी शुरु

 

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वनराज की मालविका को भड़काने की चालों के बीच अनुज और अनुपमा साथ वक्त बिताएंगे. वहीं शो में दोनों की लव स्टोरी शुरु होगी. इसी के साथ बापूजी एक बार फिर दोनों की शादी की बात छेड़ेंगे. हालांकि बा इस फैसले के खिलाफ होती नजर आएंगी.

मालविका और परितोष का होगा अफेयर!

इसके अलावा खबरों की मानें तो अनुपमा की तरह किंजल भी मुसीबत में पड़ने वाली है. दरअसल, कहा जा रहा है कि शो के अपकमिंग एपिसोड में परितोष, मालविका के साथ काम करना शुरु करेगा, जिसके बाद दोनों एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे और एक दूसरे से प्यार करेंगे. लेकिन अनुपमा की किंजल भी इस मुसीबत में फंस जाएगी.

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इंग्लिश रोज: भाग 3- क्या सच्चा था विधि के लिए जौन का प्यार

गरमी का मौसम था. चारों ओर सतरंगी फूल लहलहा रहे थे. दोपहर के खाने के बाद दोनों कुरसियां डाल कर गार्डन में धूप सेंकने लगे. बाहर बच्चे खेल रहे थे. बच्चों को देखते विधि की ममता उमड़ने लगी. जौन की पैनी नजरों से यह बात छिपी नहीं. जौन ने पूछ ही लिया, ‘‘विधि, हमारा बच्चा चाहिए…? हो सकता है. मैं ने पता कर लिया है. पूरे 9 महीने डाक्टर की निगरानी में रह कर. मैं तैयार हूं.’’

‘‘नहींनहीं, हमारे हैं तो सही, वो 3, और उन के बच्चे. मैं ने तो जीवन के सभी अनुभवों को भोगा है. मां बन कर भी, अब नानीदादी का सुख भोग रही हूं,’’ विधि ने हंसतेहंसते कहा. ‘‘मैं तो समझा था कि तुम्हें मेरी निशानी चाहिए?’’ जौन ने विधि को छेड़ते हुए कहा, ‘‘ठीक है, अगर बच्चा नहीं तो एक सुझाव देता हूं. बच्चों से कहेंगे मेरे नाम का एक (लाल गुलाब) इंग्लिश रोज और तुम्हारे नाम का (पीला गुलाब) इंडियन समर हमारे गार्डन में साथसाथ लगा दें. फिर हम दोनों सदा एकदूसरे को प्यार से देखते रहेंगे.’’ इतना कह कर जौन ने प्यार से उस के गाल पर चुंबन दे दिया.

विधि भी होंठों पर मुसकान, आंखों में मोती जैसे खुशी के आंसू, और प्यार की पूरी कशिश लिए जौन के आगोश में आ गई. जौन विधि की छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान रखता. धीरेधीरे विधि के पूरे जीवन को उस ने अपने प्यार के आंचल से ढक लिया. सामाजिक बैठकों में उसे अदब और शिष्टाचार से संबोधित करता. उसे जीजी करते उस की जबान न थकती. कुछ ही वर्षों में जौन ने उसे आधी दुनिया की सैर करा दी थी. अब विधि के जीवन में सुख ही सुख थे. हंसीखुशी 10 साल बीत गए. इधर, कई महीनों से जौन सुस्त था. विधि को भीतर ही भीतर चिंता होने लगी, सोचने लगी, ‘कहां गई इस की चंचलता, चपलता, यह कभी टिक कर न बैठने वाला, यहांवहां चुपचाप क्यों बैठा रहता है? डाक्टर के पास जाने को कहो तो टालते हुए कहता है, ‘‘मेरा शरीर है, मैं जानता हूं क्या करना है.’’ भीतर से वह खुद भी चिंतित था. एक दिन बिना बताए ही वह डाक्टर के पास गया. कई टैस्ट हुए. डाक्टर ने जो बताया, उसे उस का मन मानने को तैयार नहीं था. वह जीना चाहता था. उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘वह नहीं चाहता कि उस की यह बीमारी उस के और उस की पत्नी की खुशी में आड़े आए. समय कम है, मैं अब अपनी पत्नी के लिए वह सबकुछ करना चाहता हूं, जो अभी तक नहीं कर पाया. मैं नहीं चाहता मेरे परिवार को मेरी बीमारी का पता चले. समय आने पर मैं खुद ही उन्हें बता दूंगा.’’

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अचानक एक दिन जौन वर्ल्ड क्रूज के टिकट विधि के हाथ में थमाते बोला, ‘‘यह लो तुम्हारा शादी की 10वीं वर्षगांठ का तोहफा.’’ उस की जीहुजूरी ही खत्म नहीं होती थी. विधि का जीवन उस ने उत्सव सा बना दिया था. वर्ल्ड क्रूज से लौटने के बाद दोनों ने शादी की 10वीं वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मनाई. घर की रजिस्ट्री के कागज और एफडीज उस ने विधि के नाम करवा कर उसे तोहफे में दे दिए. उस रात वह बहुत बेचैन था. उसे बारबार उलटी हो रही थी और चक्कर आते रहे. जल्दी से उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां उसे भरती कर लिया गया. जौन की दशा दिनबदिन बिगड़ती गई. डाक्टर ने बताया, ‘‘उस का कैंसर फैल चुका है. कुछ ही समय की बात है.’’

‘‘कैंसर…?’’ कैंसर शब्द सुन कर सभी निशब्द थे. ‘‘तुम्हारे डैड, जाने से पहले, तुम्हारी मां को उम्रभर की खुशियां देना चाहते थे. तुम्हें बताने के लिए मना किया था,’’ डाक्टर ने बताया. बच्चे तो घर चले गए. विधि नाराज सी बैठी रही. जौन ने उस का हाथ पकड़ कर बड़े प्यार से समझाया, ‘‘जो समय मेरे पास रह गया था, मैं उसे बरबाद नहीं करना चाहता था, भोगना चाहता था तुम्हारे साथ. तुम्हारे आने से पहले मैं जीवन बिता रहा था. तुम ने जीना सिखा दिया है. अब मैं जिंदगी से रिश्ता चैन से तोड़ सकता हूं. जाना तो एक दिन सभी को है.’’ एक वर्ष तक इलाज चलता रहा. कैंसर इतना फैल चुका था कि अब कोई कुछ नहीं कर सकता था. अपनी शादी की 11वीं वर्षगांठ से पहले ही जौन चल बसा. अंतिम संस्कार के बाद उस के बेटे ने जौन की इच्छानुसार उस की राख को गार्डन में बिखरा दिया. एक इंग्लिश रोज और एक इंडियन समर (पीला गुलाब) साथसाथ लगा दिए. उन्हें देखते ही विधि को जौन की बात याद आई, ‘कम से कम तुम्हें हर वक्त देखता तो रहूंगा?’ इस सदमे को सहना कठिन था. विधि को लगा मानो किसी ने उस के शरीर के 2 टुकड़े कर दिए हों. एक बार वह फिर अकेली हो गई. एक दिन उस के अंतकरण से आवाज आई, ‘उठ विधि, संभाल खुद को, तेरे पास जौन का प्यार है, स्मृतियां हैं. वह तुझे थोड़े समय में जहानभर की खुशियां दे गया है.’ धीरेधीरे वह संभलने लगी. जौन के बच्चों के सहयोग और प्यार ने उसे फिर खड़ा कर दिया. कालेज में उसे नौकरी भी मिल गई. बाकी समय में वह गार्डन की देखभाल करती. इंग्लिश रोज और इंडियन समर की कटाईछंटाई करने की उस की हिम्मत न पड़ती. उस के लिए माली को बुला लेती. गार्डन जौन की निशानी था. एक दिन भी ऐसा न जाता, विधि अपने गार्डन को न निहारती, पौधों को न सहलाती. अकसर उन से बातें करती. बर्फ पड़े, कोहरा पड़े या फिर कड़कती सर्दी, वह अपने फ्रंट डोर से जौन के लगाए पौधों को निहारती रहती. उदासी में इंग्लिश रोज से शिकवेशिकायतें भी करती, ‘खुद तो अपने लगाए परिवार में लहलहा रहे हो और मैं? नहीं, नहीं, मैं शिकायत नहीं कर रही. मुझे याद है आप ने ही कहा था, ‘यह मेरा परिवार है डार्लिंग. मुझे इन से अलग मत करना.’

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उस दिन सोचतेसोचते अंधेरा सा होने लगा. उस ने घड़ी देखी, अभी शाम के 4 ही बजे थे. मरियल सी धूप भी चोरीचोरी दीवारों से खिसकती जा रही थी. वह जानती थी यह गरमी के जाने और पतझड़ के आने का संदेशा था. वह आंखें मूंद कर घास पर बिछे रंगबिरंगों पत्तों की कुरमुराहट का आनंद ले रही थी. अचानक तेज हवा के झरोखे से एक सूखा पत्ता उलटतापलटता उस के आंचल में आ अटका. पलभर को उसे लगा, कोई उसे छू कर कह रहा हो… ‘डार्लिंग, उदास क्यों होती हो, मैं यही हूं तुम्हारे चारों ओर, देखो वहीं हूं, जहां फूल खिलते हैं…क्यों खिलते हैं? यह मैं नहीं जानता. बस, इतना जरूर जानता हूं, फूल खिलता है, झड़ जाता है. क्यों? यह कोई नहीं जानता. बस, इतना जानता हूं इंग्लिश रोज जिस के लिए खिलता है उसी के लिए मर जाता है. खिले फूल की सार्थकता और मरे फूल की व्यथा एक को ही अर्पित है.’

उस दिन वह झड़ते फूलों को तब तक निहारती रही जब तक अंधेरे के कारण उसे दिखाई देना न बंद हो गया. हवा के झोंके से उसे लगा, मानो जौन पल्लू पकड़ कर कह रहा हो, ‘आई लव यू माई इंडियन समर.’ ‘‘मी टू, माई इंग्लिश रोज. तुम और तुम्हारा शरारतीपन अभी तक गया नहीं.’’ उस ने मुसकरा कर कहा.

Winter Special: सर्दियों के लिए बालों को करें तैयार

आप की त्वचा की तरह आप के बाल भी मौसम की मार झेलते हैं. चिलचिलाती गरमी बालों को बेहद रूखा बना देती है तो मौनसून की नमी उन की सतह पर फंगल इन्फैक्शन के खतरे को बढ़ा देती है. इस के बाद ठंड आने पर बाल काफी कमजोर और डल से हो जाते हैं. ऐसे में आप अगर सर्दी का मौसम आने से पहले अपने बालों की केयर के लिए निम्न खास तरीके अपनाएंगी तो आप अपने बालों को स्वस्थ और खूबसूरत रख सकती हैं:

हैल्दी डाइट और सप्लिमैंट

अगर आप अंदर से स्ट्रौंग हैं, तो इस का असर आप के बालों पर साफ नजर आता है. अगर आप अपनी डाइट में हैल्दी न्यूट्रिशन लेती हैं, तो इस से आप का शरीर स्वस्थ रहेगा और त्वचा पर भी चमक नजर आएगी. इस का असर बालों पर भी दिखेगा. इस के लिए आप ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन युक्त डाइट लें, जिस में अंडे, चिकन, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, आयरन, काजू व बादाम आदि शामिल हों. इस के अलावा आयरन व फोलिक ऐसिड के सप्लिमैंट भी ले सकती हैं. ये आप के बालों को हैल्दी रखते हैं.

अगर आप की डाइट में न्यूट्रिशन की भरपूर मात्रा न हो तो सप्लिमैंट की जरूरत होती है. अत: अपने बालों को सर्दी की मार से बचाने के लिए आप विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन और कैल्सियम के सप्लिमैंट ले सकती हैं. अगर आप बहुत ज्यादा हेयरफौल से परेशान हैं तो डर्मेटोलौजिस्ट की सलाह लें.

ब्लोड्रायर का इस्तेमाल

पतझड़ के मौसम में नमी काफी कम होती है. ऐसे में ड्रायर और हौट आयरन का इस्तेमाल बालों पर कम करें. ऐसा करने पर आप के बाल सर्दी के मौसम में ब्लोड्रायर्स के इस्तेमाल के लिए तैयार रहेंगे. बालों पर ड्रायर का ज्यादा इस्तेमाल करने से सिर की परत के रोमछिद्र खुल जाते हैं. जिस से गंदगी रोमछिद्रों से अंदर प्रवेश कर जाती है. इस से बालों की जड़ें बेहद कमजोर हो जाती हैं. अत: बालों को ड्रायर करने से पहले अगर सिर की सतह पर बालों को सौफ्ट करने वाली क्रीम लगा ली जाए तो ड्रायर से होने वाला नुकसान काफी कम हो जाएगा.

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रोजाना सिर की मसाज

बालों व सिर की सतह की मसाज के लिए हलका जैतून या नारियल का तेल इस्तेमाल करें. इस से बालों में नमी बनी रहती है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि आप बहुत ज्यादा औयलिंग शुरू कर दें. बहुत ज्यादा औयल को साफ करने के लिए आप को ज्यादा शैंपू का इस्तेमाल करना होगा जोकि बालों को नुकसान पहुंचा सकता है. आमतौर पर बालों में हफ्ते में 2 बार औयलिंग और मसाज करने से बाल स्वस्थ रहते हैं. लेकिन ठंड से पहले व ठंड के मौसम में रोजाना औयलिंग व मसाज करनी चाहिए.

मौइश्चराइजिंग शैंपू व कंडीशनर

सर्दी के मौसम में बालों का रूखा हो जाना आम बात है. ऐसे में अभी से मौइश्चराइजिंग शैंपू व कंडीशनर का इस्तेमाल शुरू कर दें. दही, अंडे व हिना के इस्तेमाल से बालों की नमी को बनाए रखा जा सकता है. अगर बालों में डैंड्रफ है तो नीबू का इस्तेमाल करें.

सिर की सतह रखें स्वस्थ

सिर की सतह को स्वस्थ रखने के लिए कुछ किस्म के ट्रीटमैंट भी ले सकती हैं. ये ट्रीटमैंट मैडिकल थेरैपी के रूप में उपलब्ध हैं जैसे, लेजर लाइट थेरैपी, ओजोन थेरैपी, स्टेम सैल थेरैपी और एलईडी थेरैपी. इन सभी थेरैपियों के जरीए बालों की सतह को स्वस्थ रखा जा सकता है. इन से डैंड्रफ के साथसाथ बालों की अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है.

लेजर लाइट थेरैपी

हेयरफौल और स्कैल्प इन्फैक्शन के लिए: जब आप के सिर की सतह पर रक्त का प्रवाह सही न हो रहा हो या फिर हारमोन डैफिसिएंसी हो जिस में कि डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन प्रमुख है, इन दोनों ही परेशानियों में सिर की सतह को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है. ऐसे में लेजर फोटोथेरैपी के जरीए सिर की सतह को इन परेशानियों से दूर किया जा सकता है.

इस थेरैपी में बालों की सतह को जैंटल व नरिशिंग लाइट से नहलाया जाता है. इस तरीके से बालों की सतह पर फिर से ऊर्जा का संचार होने लगता है और बालों की फिर से ग्रोथ होने लगती है. इस के अलावा लेजर थेरैपी से बालों की सतह के रुक चुके रक्तप्रवाह को भी सही किया जा सकता है.

ओजोन थेरैपी

यह बालों की ग्रोथ और रिपेयर के लिए है. शरीर के किसी भी हिस्से में औक्सीजन के प्रवाह को ओजोन थेरैपी के नाम से जाना जाता है. औक्सीजन के ये फ्रीरैडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर करने में सहायक होते हैं. ऐसे ही तत्त्व हमारे सिर की सतह पर भी होते हैं जोकि ओजोन थेरैपी के जरीए सतह से बाहर निकल जाते हैं. इस थेरैपी के असर से बालों का गिरना पूरी तरह बंद हो जाता है और नए बाल भी उगने शुरू हो जाते हैं.

स्टेम सैल थेरैपी

इस ट्रीटमैंट में हम विटामिन, अमीनोऐसिड्स व पैप्टाइड्स के मिक्सचर को दूसरे ऐक्टिव इनग्रीडिएंट्स के साथ मिला कर सिर की सतह के स्टेम सैल्स को ऐक्टिव करते हैं. इस से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है. यह ट्रीटमैंट कई सैशन में पूरा होता है. तेज रिकवरी के लिए हेयर लेजर एलईडी थेरैपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

एलईडी थेरैपी

एलईडी यानी लाइट इमिटिंग डायोड थेरैपी के जरीए अलगअलग कम ऐनर्जी की लेजर लाइट को मिला कर ट्रीटमैंट किया जाता है. कई किस्म की लेजर्स को मिला कर ट्रीटमैंट करने से यह हेयरलौस और हेयरग्रोथ ट्रीटमैंट में काफी प्रभावी होती है.

प्लेटलेट रिच प्लाज्मा

इस ट्रीटमैंट में मरीज के खून में मौजूद सीरम को अलग किया जाता है. इस से ऐक्टिव प्लेटलेट्स अलग किए जाते हैं. इस के बाद इसे सिर की सतह पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि बालों की ग्रोथ और भी तेजी से हो सके.

– डाक्टर चिरंजीव छाबड़ा
लीडिंग डर्मेटोलौजिस्ट, स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली

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कामकाजी पति-पत्नी : आमदनी ही नहीं खुशियां भी बढ़ाएं

एक समय था जब महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक सीमित था. पुरुष घर से बाहर कमाने जाते थे और महिलाएं गृहस्थी संभालती थीं. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. महिलाएं गृहस्थी तो अब भी संभालती हैं, साथ ही नौकरी भी करती हैं. मगर दोनों के नौकरीपेशा होने से परिवार की आमदनी भले ही बढ़ जाती हो, लेकिन दंपती के पास एकदूसरे के लिए समय नहीं बचता.

कहने का तात्पर्य यह है कि दोनों इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें एकदूसरे से बतियाने तक का समय नहीं मिल पाता है.

ऐसे में कामकाजी महिला के पास पति और बच्चों के लिए ही समय नहीं होता है, तो किट्टी पार्टी, क्लब जाने या सखीसहेलियों से गप्पें लड़ाने का तो सवाल ही नहीं उठता है.

पत्नी पर निर्भर पति

भारतीय समाज में पुरुष भले ही घर का मुखिया हो, पर वह हर बात के लिए पत्नी पर निर्भर रहता है. यहां तक कि अपनी निजी जरूरतों के लिए भी उसे पत्नी की जरूरत होती है. पत्नी बेचारी कितना ध्यान रखे? पति को हुक्म चलाते देर नहीं लगती, लेकिन पत्नी को तत्काल पति की खिदमत में हाजिर होना पड़ता है अन्यथा ताने सुनने पड़ते हैं कि उसे तो पति की परवाह ही नहीं है. अब जब वह काम के बोझ तले इतनी दबी हुई है कि स्वयं खुश नहीं रह पाती है, तो भला पति को कैसे खुश रखे? जरा सी कोताही होने पर पति के तेवर 7वें आसमान पर पहुंच जाते हैं.

कैसी विडंबना है कि पत्नी अपने पति की सारी जरूरतों का ध्यान रखती है, फिर भी प्रताडि़त होती है और पति क्या वह अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं और जरूरतों का ध्यान रख पाता है? क्या पति ही थकता है, पत्नी नहीं?

कामकाजी पतिपत्नी को एकदूसरे की पसंदनापसंद, व्यस्तता और मजबूरी को समझना होगा. तभी वे सुखी रह सकते हैं.

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कामकाजी दंपती कहीं जाने का कार्यक्रम बनाते हैं. लेकिन यदि उन में से किसी एक को छुट्टी नहीं मिलती है, तो ऐसे में यात्रा स्थगित करनी पड़ जाती है. इसे सहज रूप में लेना चाहिए. इसी तरह शाम को कहीं होटल, पार्टी में जाने का प्रोग्राम बना हो, लेकिन किसी एक को दफ्तर में काम की अधिकता की वजह से आने में देर हो जाए, तो उस की यह विवशता समझनी चाहिए.

कामकाजी दंपतियों में औफिस का तनाव भी रहता है. हो सकता है उन में से किसी एक का बौस खड़ूस हो, तो ऐसे में उस की प्रताड़ना झेल कर जब पति या पत्नी घर आते हैं, तो वे अपनी खीज साथी या फिर बच्चों पर उतारते हैं. उन्हें ऐसा न कर एकदूसरे की समस्याओं और तनाव पर चर्चा करनी चाहिए. यदि वे एकदूसरे को दोस्त मानते हुए अपना तनाव व्यक्त करते हैं, तो वह काफी हद तक दूर हो सकता है.

थोपा गया निर्णय गलत

कई बार किसी बात या काम के लिए एक का मूड होता है और दूसरे का नहीं. बात चाहे मूवी देखने या शौपिंग करने की हो, होटल में खाना खाने की हो या कहीं जाने की. यदि दोनों में से एक की इच्छा नहीं है, तो दूसरे को उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए या फिर एक को दूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए इस के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. लेकिन जो भी निर्णय हो वह थोपा गया या शर्तों पर आधारित न हो.

कामकाजी पतिपत्नी को एकदूसरे से उतनी ही अपेक्षा रखनी चाहिए, जिसे सामने वाला या वाली बिना किसी परेशानी में पड़े पूरा कर सके.

कामकाजी दंपतियों को जितना भी वक्त साथ गुजारने के लिए मिलता है उसे हंसीखुशी बिताएं न कि लड़ाईझगड़े या तनातनी में. इस कीमती समय को नष्ट न करें. घर और बाहर की कुछ जिम्मेदारियों को आपस में बांट लें.

जिस के लिए जो सुविधाजनक हो वह जिम्मेदारी अपने जिम्मे ले ले. इस से किसी एक पर ही भार नहीं पड़ेगा.

माना कि कामकाजी दंपती की व्यस्तताएं बहुत अधिक होती हैं, लेकिन उन्हें दांपत्य का निर्वाह भी करना है. यदि दोनों के पास ही एकदूसरे के लिए समय नहीं है, तो ऐसी कमाई का क्या फायदा? कुछ समय तो उन्हें एकदूसरे के लिए निकालना ही चाहिए. इसी में उन के दांपत्य की खुशियां निहित हैं.

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छोटे किचन में चीजों को ऐसे रखें व्यवस्थित

सभी महिलाओं की यह इच्छा होती है कि उनकी रसोई थोड़ी सी सुविधाजनक व बड़ी हो. यदि घर अपनी इच्छा अनुसार बनाया गया हो तब ऐसी चाह को पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं होती. किंतु फ्लैट व किराए के मकान में रहने वालों के हालात कुछ और होते हैं. उन्हें अपनी सारी चीजों को रसोई में उपलब्ध स्थान के अनुरूप रखना पड़ता है.

रसोई का व्यस्थित रूप काम करने वाले के तरीकों को प्रदर्शित करता है. अपनी थोडी सी सुझ-भुझ से आप अपनी रसोई के हर कोने का पूर्ण उपयोग कर पाएंगी. इस तरह आपकी रसोई साफ व सुंदर दिखेगी और लोग आपकी तारीफ करते नहीं थकेंगे.

1. दीवारों का इस्तेमाल करें

रसोई में इस्तेमाल होने वाली छोटी-छोटी चीजें जैसे चम्मच, चाकू, लाइटर व नैपकिन को स्लैब पर या दराजों में ना रखें. चीजों को इस तरह रखने से आपको काम करने में परेशानी होगी और आपकी रसोई भी अव्यवस्थित दिखेगी. इसलिए इन्हें अटकाने के लिए दीवारों पर मौजूद खाली जगह का उपयोग करें.

2. सामान को जरूरत के अनुसार आयोजित करें

हमारी रसोई बरतनों व अन्य जरूरी चीजों से भरी रहती है और हमें कभी ना कभी इन सारी चीजों की जरूरत पड़ती है. आप अपनी सुविधा व आवश्यकताओं के हिसाब से जरूरी चीजों को आगे रखें एवं कभी-कभार इस्तेमाल होने वाली चीजों को पीछे रखें.

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3. सिंक के नीचे की खाली जगह का इस्तेमाल करें

अक्सर हम इस स्थान को नज़रअंदाज कर देते हैं. रसोई को साफ रखने में काम आने वाली चीजों को यहां रखकर आप इस स्थान का सही इस्तेमाल कर सकते हैं. आप चाहें तो रसोई में रखा जाने वाला कूड़ादान भी यहां रख सकते हैं. इन चीजों को ढकने के लिए आप सिंक के नीचे एक दरवाजा लगा सकते हैं.

4. ओवरहेड कैबिनेट

यदि नीचे बनाए गए कैबिनेट में आपका सामान पूरा नहीं समाता तो आप ऊपर भी कैबिनेट बना सकते हैं. इन छोटे कैबिनेटों में आप रोज़मर्रा की चीजों को रख सकते हैं तथा इस तरह सामान को निकालने के लिए आपको बार-बार झुकना नहीं पडेगा.

5. कैबिनेट के अंदर बास्केट व होल्डर लगवाएं

छोटी-मोटी चीजों को रखने के लिए आप कैबिनेट के भीतरी दरवाजे पर बास्केट व होल्डर लगवा सकते हैं. बास्केट व होल्डर में आप अन्य छोटी-बड़ी बोतलों व शीशियों को अटका सकते हैं. इस तरह वे सामान के बीच गुम नहीं होगी तथा आपको इन्हें ढूंढने में समय बरबाद नहीं करना पड़ेगा.

6. लेज़ी सुसान कैबिनेट

लेज़ी सुसान कैबिनेट द्वारा आप कोनों में बने कैबिनेट को पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे. इन कैबिनेट में रखी गई चीजों को निकालना बहुत मुश्किल होता है, लेज़ी सुसान कैबिनेट इस काम को थोड़ा आसान बना देते हैं. बाज़ार में इसके कई सारे विकल्प मौजूद हैं तथा आप अपनी रूचि अनुसार इनका चयन कर सकते हैं.

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7. फोल्डेबल टेबल

यदि आप चाहते हैं कि आपका डाइनिंग टेबल भी रसोई में फिट हो जाए तो ऐसा हो सकता है. हालांकि अब तक आप दीवारों का पूरा इस्तेमाल कर चुके होंगे पर शायद ऐसी कोई दीवार इस उपयोग से वंचित रह गई हो. आप चाहे तो उस दीवार पर फोल्डेबल टेबल व कुर्सी स्थापित कर सकती हैं एवं एक साथ बैठकर खाना खाने का आनंद ले सकते हैं.

एक भावनात्मक शून्य: भाग 3- क्या हादसे से उबर पाया विजय

मानो आसमान से नीचे गिरा मैं. कानों से सुनी बात पर विश्वास ही नहीं हुआ. क्या विजय अपनी सगी बहन से बात नहीं करता? लेकिन क्यों? ऐसा क्यों?

‘‘एक वक्त था…मुझे बहुत तकलीफ हुई थी जब मेरी बहन ने इतना बड़ा मजाक मेरे साथ किया था. किसी पराई लड़की के साथ शर्त लगाई थी. मेरा दोष सिर्फ इतना था कि मैं ने उसे किसी के साथ दोस्ती करने से रोका था. कोई था जो अच्छा नहीं था. उन दिनों मिन्नी बी.सी.ए. कर रही थी. उस की सुरक्षा चाहता था मैं. उस के मानसम्मान की चिंता थी मुझे. नहीं मानी तो मैं ने मम्मी से बात की. मान गई थी मिन्नी…उस के साथ दोस्ती तोड़ दी…और उस का बदला मुझ से लिया अपनी एक सहेली से मेरी दोस्ती करा कर.’’

मैं टुकुरटुकुर उस का चेहरा पढ़ता रहा.

‘‘मेरी बहन है न मिन्नी. मुझे कैसी लड़कियां पसंद हैं उसे पता था. बिलकुल उसी रूप में ढाल कर उसे घर लाती रही. मुझे सीधीसादी वह मासूम प्यारी सी लड़की भा गई. मम्मीपापा को भी वह घरेलू लगने वाली लड़की इतनी अच्छी लगी कि उसे बहू बना लेने पर उतारू हो गए. हमारा पूरा परिवार उस पर निछावर था. वह मुझे इतनी अच्छी लगती थी कि मेरी समूल भावनाएं उसी पर जा टिकी थीं.

‘‘मैं कोई सड़कछाप आशिक तो नहीं था न सोम, ईमानदारी से अपना सब उस पर वार देने को आतुर था. क्या यही मेरा दोष था? क्या प्रेम की भूख लगना अनैतिक था? पूरी श्रद्धा थी मेरे मन में उस के लिए और जिस दिन मैं ने उसे अपने मन की बात कही उस ने खिलखिला कर हंसना शुरू कर दिया. क्षण भर में उस का रूप ऐसा बदला कि मेरी आंखें विश्वास ही नहीं कर पाईं. वह मिन्नी से शर्त जीत चुकी थी.

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‘‘ ‘तुम्हारी बहन को किसी से प्रेम हो जाए तो गलत. अब तुम्हें मुझ से प्रेम हो गया तो सही. कैसे दोगले इनसान हो तुम.’ ’’

चुप हो गया विजय कहताकहता. धीरेधीरे बच्ची की आंखों के किनारे पोंछने लगा. सोईसोई भी वह रो रही थी. प्रश्न लिए आंखों में मुझे देखा विजय ने.

‘‘यह बेजबान बच्ची देखी है न, इतना रोई मेरे गले को अपने छोटेछोटे हाथों से कस कर कि मैं पत्थर हूं क्या जो समझ ही न पाऊं? मिन्नी तो मेरा खून है. क्या उसे पता नहीं चल सकता था मैं उस से कितना प्यार करता हूं. दुश्मन था क्या मैं? प्यार कोई तमाशा है क्या जिसे जहां चाहो मोड़ लो. उस का भला चाहा क्या यही मेरा दोष था. वह पल और आज का दिन मेरा मन ही मर गया. अब न मिन्नी के लिए दर्द होता है न अपने लिए ही कोई इच्छा जागती है.’’

रो पड़ा था मैं. स्नेह से विजय का हाथ पकड़ लिया, सोच रहा था…मैं भावुक हूं…मैं हूं जो भावना को सब से ऊपर मानता हूं.

‘‘वह लड़का अच्छा होता तो मैं मिन्नी का साथ देता,’’ विजय पुन: बोला, ‘‘उस की पढ़ाई पूरी हो जाती, कुछ तो भविष्य होता दोनों का. मैं तो नौकरी कर रहा था. शादी की उम्र थी मेरी. मांबाप भी सहमत थे. मैं गलत कहां था जो उस लड़की के मुंह से मुझे दोगला इनसान कहला भेजा. उस की हंसी मैं आज भी भूल नहीं पाता.

‘‘उस के बाद कुछ समझ में आया होगा मिन्नी के. मम्मीपापा ने भी डांटा. मुझ से माफी भी मांगी लेकिन दिल से मैं उसे माफ नहीं कर सका. बहन है राखी पर राखी बांध देती है. भाई हूं न, कहीं भाग तो नहीं सकता. मुसाफिर जैसी लगती है वह मुझे, जैसे सफर में कोई साथ हो. अपनी नहीं लगती. मैं मन को समझाता भी हूं. बुरा सपना समझ सब भूल जाना चाहता हूं लेकिन मन का कोना जागता ही नहीं, सदासदा के लिए मर गया.’’

‘‘मर गया मत कहो विजय, सो गया कहो. जीवन में सब का एक हिस्सा प्रकृति निश्चित कर देती है. जो लड़की उस ने तुम्हारे लिए बनाई है वह अभी तुम्हारी आंखों के सामने आई ही नहीं तो कैसे तुम्हारा सोया कोना जागे. तुम एक अच्छे ईमानदार इनसान हो. कोई भी ऐसीवैसी तुम्हारी साथी नहीं न हो सकती. तुम्हारे समूल भाव बस उसी के लिए हैं जिन्हें तुम टुकड़ाटुकड़ा कर कहीं भी बिखेरना नहीं चाहते, जिसे भी मिलोगे तुम पूरेपूरे मिलोगे.

‘‘यह पूरापूरा, प्यारा सा मेरा भाई जिसे मिलेगा वह खुद भी तो उतनी ही सच्ची और ईमानदार होगी…और ऐसी लड़कियां आजकल बहुत कम मिलती हैं, बहत कम होती हैं ऐसी लड़कियां. इसलिए कीमती होती हैं लेकिन होती हैं यह एक शाश्वत सत्य है. तुम्हारा हिस्सा तुम्हें मिलेगा यह निश्चित है.’’

टपकने लगी थीं विजय की आंखें. मैं कंधा थपका कर कहने लगा, ‘‘क्या इसीलिए सब से दूरदूर भागते हो? चोर या अपराधी हो क्या तुम? मत भागो सब से दूर. मिन्नी तो सब के साथ घुलमिल कर खुश है और तुम व्यर्थ कटे से हो सब से. हादसा था, हुआ, बीत गया. माफ कर दो बहन को. हो सकता है उसे भी वह लड़का बहुत ज्यादा पसंद हो. प्यार की सीमा जरा अलग और ज्यादा विशाल होती है इतना तो मानते हो न. तुम भाई हो, तुम्हारे प्यार की हद उस सीमा से टकरा गई थी…बस, इतना ही हुआ था. इस में इतना गंभीर होने की क्या जरूरत है. जरा सोचो…माफ कर दो मिन्नी को. तुम्हारा हर सोया कोना जाग उठेगा.’’

सुनता रहा विजय. जैसे उस ने भी बरसों बाद अपना मन खोला था किसी के साथ. बच्ची सहसा उठ कर रोने लगी थी. वही टूटेफूटे शब्द थे, ‘पा…पा…’

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‘‘आजा बच्चे मेरे पास.’’

समस्त अनुराग से विजय ने नताशा की मासूम सी गुडि़या बिटिया को पास खींच लिया…चूम कर गले से लिपटा लिया… बड़बड़ाने लगा, ‘क्या होगा इस बच्ची का. हम सब तो परसों चले जाएंगे तब इस का क्या होगा?’

विजय उठ कर कमरे में टहलने लगा था और बच्ची को थपथपा कर सुलाने का प्रयास करने लगा. नताशा भी बच्ची का रोना सुन कर चली आई थी. दोनों मिल कर उसे चुप कराने की कोशिश में थे.

मैं सब सुन कर और देख कर कुछ दुखी था. भावनाओं में जीने वाला इनसान ऐसे ही तो जीता है. कभी अपनी पीड़ा पर परेशान और कभी दूसरे की तकलीफ…दर्द पर दुखी. सत्य है उस की पीड़ा…और यही तो उस की कमाई है. भावुक न हो तो जी ही न पाए. यह भावुकता ही तो है जो मनुष्य को जमीन से जोड़ती है. आज हर तीसरा इनसान आज के तेज युग के साथ भागता हुआ कहीं न कहीं अपनी जमीन से कट रहा है और गहरा अवसाद उस का साथी बनता जा रहा है. सोचा जाए तो आज हम कहां जा रहे हैं, हमें ही पता नहीं. कहीं न कहीं तो हमें जमीन से जुड़ना पड़ेगा न. बिना जुड़े हमारा भविष्य हमें एक भावनात्मक शून्य के सिवा कुछ नहीं दे पाएगा…वह चाहे आप हों चाहे हम.

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एक भावनात्मक शून्य: भाग 2- क्या हादसे से उबर पाया विजय

सुनता रहा विजय सब. बस, जरूरत की बात करता रहा जिस के बिना गुजारा नहीं चल सकता था.

‘‘अब तुम्हारे घर पर ही देख लो. मिन्नी की शादी के बाद तुम भी अकेले रह जाओगे. घरबाहर, मांबाप सब को अकेले ही तो देखना होगा. मिन्नी का पति घुलमिल गया तो ठीक. नहीं तो एक असुरक्षा की भावना तो है ही न. जैसे मुझ में है… किसी अपने को ही खोजता रहता हूं… कोई अपना ऐसा जिस पर भरोसा कर सकूं. तुम्हारी तो एक बहन है भी, मेरे पास तो वह भी नहीं है.’’

मेरे इस वाक्य से उसे एक झटका सा लगा. गाड़ी के स्टेयरिंग पर उस के हाथ घूम गए और पैर बे्रक पर जम गए. बहुत गौर से उस ने मुझे देखा.

‘‘क्या हुआ, विजय? रुक क्यों गए?’’ इतना कह कर मैं सोचने लगा कि सामने कोई वाहन भी नहीं था जिस वजह से उस ने गाड़ी कच्चे पर उतार दी थी. परेशान सा हो गया सहसा जैसे कुछ नया ही सुन लिया हो, कुछ ऐसा जो अविश्वसनीय हो.

विजय स्वयं ही मुसकरा भी पड़ा. हंस कर गरदन हिला दी मानो मैं ने कोई बेवकूफी भरी बात कर दी हो. कहीं वह मुझे ‘इमोशनल फूल’ तो नहीं समझ रहा. अकसर लोग मुझ जैसे इनसान को एक भावुक मूर्ख की संज्ञा भी देते हैं. ऐसा इनसान जिस की जिंदगी में भावना का स्थान सब से ऊपर आता है, ऐसा इनसान जो सोचता है कि एक मानव दूसरे मानव के बिना अधूरा है, ऐसा इनसान जो रिश्तों को तोड़ना नहीं, निभाना चाहता है.

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विजय के व्यवहार से मैं किसी निष्कर्ष तक पहुंचने लगा था, कहीं कुछ ऐसा है अवश्य जिस की वजह से उस में इतना बदलाव है वरना विजय तो ऐसा नहीं था, खुश रहता था, भावुक था, 20 साल की उम्र तक तो हम निरंतर मिले ही थे, वह तो इंजीनियरिंग करने के लिए मुझे इतना दूर जाना पड़ा था, जिस वजह से मेरा ननिहाल छूट गया था. मेरी शादी में मामा अकेले आए थे क्योंकि तब मिन्नी के एम.सी.ए. के इम्तहान थे. विजय तब भी नहीं आया था क्योंकि उस के पास छुट्टी नहीं थी.

घर चले आए थे हम. घर के बाहर पार्क में रात को महिला संगीत का कार्यक्रम था. खासी चहलपहल थी. नताशा की सहेलियां, सीमा की सहेलियां, सभी पढ़ीलिखी, सुंदर, स्मार्ट. मेरी तो भावनाएं अब पत्नी तक सीमित हैं लेकिन विजय तो कुंआरा है, वह एक बार भी बाहर भीड़ में नहीं आया. उस ने एक बार भी किसी चेहरे पर नजर टिकाना नहीं चाहा. कपड़े बदल कर वहीं अपने कमरे में चुपचाप किसी किताब में लीन था.

‘‘आओ विजय, नीचे आ जाओ न. देखो, कितनी रौनक है. इतने पराए से क्यों हो गए हो भाई. क्या हो गया है तुम्हें? तुम तो ऐसे नहीं थे.’’

मेरे होंठों से निकल ही गया. बड़ी चाह से मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया. किताब हाथ से छीन ली.

मेरा मान रख लिया था विजय ने. कोट पहन नीचे चला आया. बहुत सुंदर और शालीन है विजय. लंबा कद और आकर्षक व्यक्तित्व. आंखों पर चश्मा, इंजीनियरिंग कालिज में पढ़ाने वाला एम-टेक नौजवान. क्या कमी है इस में? सुनने में आया था, शादी ही नहीं करना चाहता. चला तो आया था मेरे साथ लेकिन भीड़ से अलग एक तरफ जा बैठा था जहां सोफे पर नताशा की बेटी सो रही थी. प्यारी सी गुडि़या, बुखार में तपती हुई.

‘‘खाना खा ले बेटा.’’

मौसी के अनुरोध पर मैं खाने की तरफ चला आया. आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ. नताशा की प्यारी सी गुलाबी कपड़ों वाली बिटिया विजय के गले से लिपटी हुई थी और वह बड़े ममत्व से उस से बातें कर रहा था.

नताशा की सास पास ही खड़ी खाना खा रही थी. पता चला पिछले 2 घंटे से बिटिया ने विजय को इसी तरह पकड़ रखा है. नताशा का पति देखने में ऐसा ही लगता है न, मासूम बच्ची पिता समझ यों लिपट गई थी कि बस. सारा बुखार उड़न छू हो गया था. विजय के हाथ से ही उस ने दूध की बोतल पी थी और विजय के हाथों में ही अब वह सोने भी जा रही थी. नताशा को भी चैन की सांस आई थी.

‘‘विजय भैया ने मेरी बेटी बचा ली,’’ नताशा बोली, ‘‘मुझे तो लगता था यह बुखार इस की जान ही ले लेगा.’’

आंखें गीली थीं नताशा की. मैं ने स्नेह से पास खींच लिया था. उदास थी नताशा. विजय ने भी हाथ बढ़ा कर उदास नताशा का माथा सहला दिया.

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‘‘अब कितनी बार रोएगी पगली, बच्ची तो नासमझ है जो बस, पापापापा ही बोल पाती है. तुम ने मामा कहना सिखाया ही नहीं वरना मुझे मामा कह कर ही पुकारती. बेचारी पापा कहना ही जानती है इसलिए पापा कह कर ही मेरी गोद में आ गई…चल, फोन लगा अमेरिका…अभी इस के पापा से बात कर.’’

जेब से मोबाइल निकाल विजय ने नताशा की तरफ बढ़ा दिया था.

‘‘आज उन का फोन आया था. पूछ रहे थे बिटिया के बारे में. अभी मैं बात नहीं कर…’’

इतना कह नताशा पुन: रोने लगी थी. क्षण भर में फूट पड़ी थी नताशा जिसे विजय ने किसी तरह समझाबुझा कर बहलाया था.

रात अपने कमरे में सोने गए तब बिटिया विजय की बगल में ही थी. मिन्नी पास नहीं थी, वह शायद सीमा के साथ थी. उस की जगह मैं लेट गया. प्यारी सी बच्ची हम दोनों के बीच में सो रही थी. विजय उस का माथा सहला रहा था. ढेर सा प्यार था उस पल विजय की आंखों में, सहसा पूछने लगा, ‘‘भाभी का हाल पूछा कि नहीं. वह ठीक हैं न?’’

हां में सिर हिला दिया मैं ने. ऐसा लग रहा था जैसे विजय किसी खोल में से बाहर आ गया है. बिटिया का नन्हा सा हाथ चूमते हुए मानो भीतर की सारी ममता वह उस पर बरसा रहा था.

‘‘इनसान को भूख हर पल तो नहीं लगती न. इस पल इस जरा सी जान को पिता के प्यार की भूख है. पिता पास नहीं हैं, नताशा को पति का प्यार चाहिए, पति पास नहीं है, मां इस पल यही सोच कर बेचैन हैं…अगर मर गईं तो बेटा आग भी दे पाएगा या नहीं, बुढ़ापे को जवान बेटा चाहिए जो दूर है. आज ये सब लोग उस इनसान के भूखे हैं कल नहीं रहेंगे. आदत पड़ जाएगी इन्हें भी उस के बिना जीने की. इन की भूख धीरेधीरे मर जाएगी. यह जीना सीख जाएंगे. ऐसा ही होता है सोम जब भूख हो तभी कुछ मिले तो संतुष्टि होती है. हर भूख का एक निश्चित समय होता है.’’

सांस रोके मैं उसे सुन रहा था.

‘‘ऐसा ही होगा इस बच्ची के साथ भी. धीरेधीरे पिता को भूल जाएगी. नताशा का भी पति से बस उतना ही मोह रह जाएगा जितना डालर का भाव होगा. आज वह इन के मोह को पीठ दिखा कर चला गया कल जब उसे जरूरत होगी इन लोगों के मन मर चुके होंगे. किसी के प्यार का तिरस्कार कभी नहीं करना चाहिए सोम. बदनसीब है वह पिता जो आज इस बच्ची का प्यार नकार कर चला गया. मैं होता तो इतनी प्यारी बेटी को छोड़ कभी नहीं जाता. रुपया रुपया होता है, सोम. वह भावना का स्थान कभी नहीं ले सकता.’’

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‘‘तुम शादी क्यों नहीं करते विजय. पता चला था तुम ने फैसला ही कर लिया है…क्या मिन्नी का इंतजार कर रहे हो. उस की हो जाए उस के बाद करोगे.’’

‘‘मिन्नी का तो मम्मीपापा जानें… मुझे अपना पता है. बस, शादी नहीं करना चाहता.’’

‘‘मिन्नी के लिए मम्मीपापा क्यों जानें? तुम भाई हो न.’’

‘‘मिन्नी से बात किए मुझे शायद 5-6 साल हो गए. हम आपस में बात ही नहीं करते. तुम तरस रहे हो तुम्हारी कोई बहन होती. मेरी है न, मैं उस से बोलता ही नहीं.’’

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