Paparazzi: एक इवेंट में जाते हुए अभिनेत्री जया बच्चन ने पैपराजी से कहा,”चुप रहो, मुंह बंद रखो, फोटो लो, खत्म. आप लोग फोटो लो, लेकिन बदतमीजी मत करो,’ वे कुछ देर तक पैप्स को घूरती रहीं, इस के बाद श्वेता बच्चन आ कर अपनी मां को कार में ले गईं.
यह पहली बार नहीं है जब जया फोटोग्राफर्स पर इस तरह भड़की हों. पिछले कुछ सालों में जया ने पैपराजी की काफी निंदा की है, जिसे वे अपमानजनक या दखलंदाजी मानती हैं. एक जगह तो उन्होंने पैपराजी को चूहा तक कह डाला है, जो हाथों में मोबाइल फोन ले कर किसी की भी प्राइवेसी में घुस सकते हैं.
इतना ही नहीं, अभिनेत्री काजोल भी इस में कम नहीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि पैपराजी कल्चर को ले कर मैं सचेत रहती हूं. मुझे लगता है कि कुछ जगहों पर उन्हें नहीं होना चाहिए. मुझे यह बहुत अजीब लगता है, जब वे किसी अंतिम संस्कार में कलाकारों के पीछे भागते और तसवीरें खींचते हैं. उन की वजह से आप कहीं लंच पर भी नहीं जा सकते. वे कई बार बांद्रा से जुहू तक पीछा करते हैं.
खुद फोन कर बुलाते हैं उन्हें
यह सही है कि कुछ कलाकार उन की इन हरकतों से परेशान होते हैं, जबकि कई कलाकार पैपराजी को खुद बुलाने के लिए अपने एजेंटों या पीआर टीम का इस्तेमाल करते हैं. यह अकसर एक रणनीति के रूप में किया जाता है, ताकि अच्छी पब्लिसिटी मिल सके और यह उन कलाकारों के लिए आम है, जो अकसर चर्चा में रहना चाहते हैं.
उदाहरण के लिए उर्फी जावेद और राखी सावंत जैसी हस्तियां खबरों में रहने के लिए इस रणनीति का उपयोग करने के लिए जानी जाती हैं.
ये लोग पैपराजी को पहले से ही फोन कर किसी निश्चित स्थान पर मौजूद रहने के लिए कहते हैं, ताकि वे किसी विशेष घटना की तसवीरें ले सकें. ये कलाकार या उन के प्रतिनिधि पैपराजी को अपने स्थान पर बुलाते हैं. यह अकसर तब किया जाता है, जब वे किसी कार्यक्रम, फैशन शो या किसी और सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले होते हैं. इस से उन्हें बगैर पैसा खर्च किए मुफ्त में पब्लिसिटी मिल जाती है.
असल में यह उन कलाकारों के लिए एक आम बात है, जो अकसर खबरों में रहना चाहते हैं और मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं.
कैसे मिला शब्द पैपराजी
‘पैपराजी’ शब्द को ऐसे बहुत होंगे, जिन्होंने अपनी लाइफ में कभी न कभी जरूर सुना होगा और वहीं अगर आप मनोरंजन इंडस्ट्री से जुड़ी खबरें पढ़ते या सेलेब्स के वीडियो देखते हैं, तो आप इस शब्द से जरूर वाकिफ होंगे. सैलिब्रिटी की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी छोटीछोटी अपडेट देने वाले फोटोग्राफर्स को पैपराजी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें यह नाम कैसे मिला और कहां से इस कल्चर की शुरुआत हुई थी? अगर नहीं, तो चलिए हम आप को बताते हैं इस से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा.
साल 1960 में आई फेडेरिको फेलेनी की इतालवी फिल्म ‘ला डोलचे विता’ में सब से पहले इस शब्द का प्रयोग किया गया था, जिस में एक फोटोग्राफर का नाम ‘पापाराजो’ होता है. मूवी में उसे बिना किसी की अनुमति के मशहूर हस्तियों का पीछा करते हुए उन की पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ की तसवीरें क्लिक करते हुए दिखाया जाता है. बाद में इसी किरदार का नाम ऐसे फोटोग्राफरों को मिला, जो सेलेब्स की लाइफ में बिना उन की मरजी के फोटो खींच लेते हैं.
कैसी है इन की दुनिया
इस बारे में मुंबई की फोटोकौर्प में 15 साल से फोटोग्राफर का काम करने वाले जफर शकील खान कहते हैं कि इस काम में मेहनत बहुत होती है. कम से कम 12-14 घंटे काम करना पड़ता है. एक बार घर से निकला तो कब घर पहुंचेंगे पता नहीं होता. मैं बांद्रा, जुहू, अंधेरी आदि सभी जगहों को कवर करता हूं. वहां एक बार जाने पर कब कुछ स्नैप मिलेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल होता है, हालांकि इस काम को मैं ऐंजौय करता हूं, क्योंकि इसे करते हुए हम सैलिब्रिटी से मिलते और बातचीत करते हैं.
वे आगे कहते हैं कि मुंबई में मैं बचपन से रह रहा हूं और फिल्मी दुनिया और उस से जुड़े लोगों के बारे में हमेशा मैं उत्सुक रहता था. यही वजह है कि मैं ने फोटोग्राफी को अपना पैशन बनाया, क्योंकि बचपन में मेरा मन पढ़ाई में लगता नहीं था, फोटोग्राफी तब मेरा शौक था, बाद में अब यह प्रोफेशन बन चुका है.
परिवार का सहयोग था मुश्किल
वे आगे कहते हैं कि परिवार वालों से जब मैं ने अपनी इस इच्छा के बारे में बताया तो उन्होंने कुछ दूसरा काम करने की सलाह दी, लेकिन मैं ने कहा कि मेरा मन इसी क्षेत्र में जाने की है, फिर उन्होंने मुझे कैमरा खरीद कर दिया, जो ₹80 हजार का था. पहले मैं मोबाइल से ही शूट कर लेता था. बाद में कैमरे से पिक्चर खींचने लगा. मैं फोटोकौर्प के साथ जुड़ा हूं, उन्होंने महंगा कैमरा खरीद कर दिया है. अभी कैमरा और आईफोन दोनों से रील्स बना कर सोशल मीडिया पर डालता हूं. सैलरी ₹20 से 25 हजार तक होती है, जबकि सीनियर्स ₹50 हजार से अधिक भी कमा लेते हैं. लेकिन मैं जौब के साथसाथ पैप पेजेस पर छोटेछोटे प्रोमोशनल रील्स छोटेछोटे प्रोडक्शन हाउस के लिए बना कर सोशल मीडिया पर डालता हूं. ये सारे पोस्टिंग पेड होते हैं. मेरी कंपनी में दिन में 7 से 8 लोग और रात में भी उतने ही लोगों की ड्यूटी होती है.
पीआर और प्रोडक्शन हाउस
जफर आगे कहते हैं कि ऐसी तसवीरों के लिए पीआर और प्रोडक्शन हाउस खुद फोन कर हमें बुलाते हैं और बताते हैं कि अमुक आर्टिस्ट फलां जगह पर आ रहा है, आप पहुंच जाइए. इस में अभिनेत्री राखी सावंत, उर्फी जावेद, उर्वशी रौटेला आदि कई हैं, लेकिन ये लोग फोटो लेते समय ऐसा शो करते हैं कि उन्होंने हमें बुलाया नहीं है, हम सब खुद ही आ गए हैं, जबकि ऐसा कम होता है.
कवर करना नहीं पसंद
सब से अधिक अभद्र बातें अभिनेत्री जया बच्चन और काजोल बोलती हैं. उन्हें हम कवर करना भी पसंद नहीं करते. इस के अलावा ये खुद पोज अच्छी नहीं देतीं, बाद में डांटती हैं कि तुम लोगों ने अच्छा फोटो नहीं खींचा है. एक समय में हजारों तसवीरें लेनी पड़ती हैं, जिन में से अच्छी पिक्चर निकाल कर ही हम उसे अपलोड करते हैं.
कार का नंबर
जफर कहते हैं कि कई बार तो हम आर्टिस्ट के गाड़ी नंबर को देख कर भी फौलो कर लेते हैं. उन के कार के नंबर हमें याद रहते हैं. एक दिन मैं अपने दोस्त के साथ जुहू पर बैठा चाय पी रहा था. वहां से मैं ने कपूर खानदान की कई गाड़ियों को तेजी से जाते हुए देखा. मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है. मैं ने चायवाले को पैसे दे कर बाइक पर उन के पीछे भागा, तो पता चला कि बोनी कपूर की मां का देहांत हो गया है. वहां बोनी कपूर, अनिल कपूर और संजय कपूर सभी ने आ कर अपनी संवेदना व्यक्त की. कुछ कलाकारों के मना करने पर हम उन की तसवीरें नहीं लेते.
घंटों प्रयास के बाद भी होते हैं खाली हाथ
वे कहते हैं कि कई बार घंटों प्रयास करने के बाद एक भी तसवीर नहीं मिलती. अभिनेता धर्मेंद्र के देहांत के बाद किसी को भी उन के अंतिम यात्रा की एक भी तसवीर नहीं मिली. सभी बहुत मायूस हुए. सभी ने घंटों इंतजार किया था. उन का बेटा सनी देओल भी बहुत अभद्र तरीके से हम सभी से बात कर रहे थे. उस समय कोई कुछ बोल नहीं सकता, क्योंकि यह उन के लिए दुख की घड़ी थी.
जफर कहते हैं कि इंडस्ट्री में कपूर खानदान मीडिया के साथ बहुत कोआपरेटिव हैं. अभिनेत्री श्रीदेवी के देहांत के समय हम सभी ने पूरी फोटोग्राफी की थी और उन्होंने ऐसा करने भी दिया था. सब प्रोडक्शन हाउस की मार्केटिंग स्ट्रेटजी अलगअलग होती है. कुछ कलाकार काफी अच्छे होते हैं. अभिनेत्री रानी मुखर्जी को हम सब दीदी कह कर बुलाते हैं. वे हमेशा अच्छी तसवीरें देती हैं.
इस के अलावा अभिनेता रणवीर कपूर, सुनील शेट्टी, रोहित शेट्टी आदि के डाइरैक्ट नंबर हमारे पास हैं. वे घर के सदस्यों की तरह हम से व्यवहार करते हैं और उन्हें हम हमेशा कवर करते रहते हैं. इस काम में पहले 1-2 लड़कियां थीं, अब नहीं हैं, क्योंकि इस में भागदौड़ बहुत होती है. कोई टाइमटेबल नहीं होता. फोन आने पर हमें वहां तुरंत पहुंचना होता है. खान बदर्स भी बहुत अच्छे हैं, लेकिन अभी सुरक्षा की वजह को ले कर अभिनेता सलमान खान आजकल अधिकतर हमें अपने जन्मदिन पर बुलाते नहीं. उन के आगेपीछे कमांडो रहते हैं.
इस प्रकार पैपराजी फोटोग्राफरों की दुनिया आसान नहीं होती. गरमी हो, बारिश हो या ठंड हर परिस्थिति में ये अपने कैमरे के साथ सैलिब्रिटीज के आसपास चुपके से खड़े रहते हैं और उन की हरेक मूवमेंट को कैमरे में कैद कर उन के चाहने वालों तक पहुंचाते रहते हैं, जिस से लोग उन्हें और उन की फिल्मों को देखना पसंद करने लगते हैं. उन्हें हमेशा सब से तेज रहना होता है, क्योंकि कोई पिक्चर अगर सोशल मीडिया पर पहले आ गई, तो उन की खींची हुई तसवीरें और उस के पीछे की सारी मेहनत बेकार हो जाती है.
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