पति की जबरदस्ती से कैसे बचें

श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.

श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.

पति से करें बात

काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.

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पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती

सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.

सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं  पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.

बहाने बनाने से बचें

आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.

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अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.

शादी से पहले शारीरिक संबंध

आजकल लगभग सभी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों की समस्याओं वाले स्तंभ में युवकयुवतियों के पत्र छपते हैं, जिस में वे विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बना लेने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान पूछते हैं.

विवाहपूर्व प्रेम करना या स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है, मगर इस से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर विचार अवश्य करना चाहिए. इन बातों पर युवकों से ज्यादा युवतियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े :

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध भले ही कानूनन अपराध न हो, मगर आज भी ऐसे संबंधों को सामाजिक मान्यता नहीं है. विशेष कर यदि किसी लड़की के बारे में समाज को यह पता चल जाए कि उस के विवाहपूर्व शारीरिक संबंध हैं तो समाज उस के माथे पर बदचलन का टीका लगा देता है, साथ ही गलीमहल्ले के आवारा लड़के लड़की का न सिर्फ जीना दूभर कर देते हैं, बल्कि खुद भी उस से अवैध संबंध बनाने की कोशिश करते हैं.

युवती के मांबाप और भाइयों को इन संबंधों का पता चलने पर घोर मानसिक आघात लगता है. वृद्ध मातापिता कई बार इस की वजह से बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाता है. लड़की के भाइयों द्वारा प्रेमी के साथ मारपीट और यहां तक कि प्रेमी की जान लेने के समाचार लगभग रोज ही सुर्खियों में रहते हैं. युवकों को तो अकसर मांबाप समझा कर सुधरने की हिदायत देते हैं, मगर लड़की के प्रति घर वालों का व्यवहार कई बार बड़ा क्रूर हो जाता है. प्रेमी के साथ मारपीट के कारण लड़की के परिवार को पुलिस और कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ता है.

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अधिकतर युवतियों की समस्या रहती है कि उन्हें शादीशुदा व्यक्ति से प्यार हो गया है व उन्होंने उस से शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए हैं. शादीशुदा व्यक्ति आश्वासन देता है कि वह जल्दी ही अपनी पहली पत्नी से तलाक ले कर युवती से शादी कर लेगा, मगर वर्षों बीत जाने पर भी वह व्यक्ति युवती से या तो शादी नहीं करता या धीरेधीरे किनारा कर लेता है. ऐसे किस्से आजकल आम हो गए हैं.

इस तरह के हादसों के बाद युवतियां डिप्रेशन में आ जाती हैं व नौकरी छोड़ देती हैं. इस से उबरने में उन्हें वर्षों लग जाते हैं. कई बार युवक पहली पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेते हैं. मगर याद रखें, ऐसी शादी को कानूनी मान्यता नहीं है और बाद में बच्चों के अधिकार के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है जिस का फैसला युवती के पक्ष में आएगा, इस की संभावना बहुत कम रहती है.

शारीरिक संबंध होने पर गर्भधारण एक सामान्य बात है. विवाहित युवती द्वारा गर्भधारण करने पर दोनों परिवारों में खुशियां मनाई जाती हैं वहीं अविवाहित युवती द्वारा गर्भधारण उस की बदनामी के साथसाथ मौत का कारण भी बनता है.

अभी हाल ही में मेरी बेटी की एक परिचित के किराएदार के घर उन के भाई की लड़की गांव से 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए आई. अचानक एक शाम उस ने ट्रेन से कट कर अपनी जान दे दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसे एक अन्य धर्म के लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने शारीरिक संबंध कायम कर लिए, मगर जब लड़के को लड़की के गर्भवती होने का पता चला तो वह युवती को छोड़ कर भाग गया. अब युवती ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. ऐसे मामलों में अधिकतर युवतियां गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं, लेकिन कोई भी योग्य चिकित्सक पहली बार गर्भधारण को गर्भपात कराने की सलाह नहीं देगा.

अधिकतर अविवाहित युवतियां गर्भपात चोरीछिपे किसी घटिया अस्पताल या क्लिनिक में नौसिखिया चिकित्सकों से करवाती हैं, जिस में गर्भपात के बाद संक्रमण और कई अन्य समस्याओं की आशंका बनी रहती है. दोबारा गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है. अनाड़ी चिकित्सक द्वारा गर्भपात करने से जान तक जाने का खतरा रहता है.

युवती का विवाह यदि प्रेमी से हो जाता है तब तो विवाहोपरांत जीवन ठीकठाक चलता है, मगर किसी और से शादी होने पर यदि भविष्य में पति को किसी तरह से पत्नी के विवाहपूर्व संबंधों की जानकारी हो गई तो वैवाहिक जीवन न सिर्फ तबाह हो सकता है, बल्कि तलाक तक की नौबत आ सकती है.

विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों में मुख्य खतरा यौन रोगों का रहता है. कई बार एड्स जैसा जानलेवा रोग भी हो जाता है. खास बात यह है कि इस रोग के लक्षण काफी समय तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद में यह रोग उन के पति और होने वाले बच्चे को हो जाता है. प्रेमी और उस के दोस्तों द्वारा ब्लैकमेल की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. उन के द्वारा शारीरिक यौन शोषण व अन्य तरह के शोषण की आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं.

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युवती का विवाह यदि अन्यत्र हो जाता है और वैवाहिक जीवन ठीकठाक चलता रहता है, घर में बच्चे भी आ जाते हैं, लेकिन यदि भविष्य में बच्चों को अपनी मां के किसी दूसरे पुरुष से संबंधों के बारे में पता चले तो उन्हें गंभीर मानसिक आघात पहुंचेगा, खासकर तब जब बच्चे टीनएज में हों. मां के प्रति उन के मन में घृणा व उन के बौद्धिक विकास पर भी इस का असर पड़ता है.

इन संबंधों के कारण कई बार पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद व लड़ाईझगड़े भी हो जाते हैं, जिन में युवकयुवती के अलावा कई और लोगों की जानें जाती हैं. इस के बावजूद यदि युवकयुवती शारीरिक संबंध बना लेने का निर्णय कर ही लेते हैं, तो गर्भनिरोधक विशेषकर कंडोम का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि इस से गर्भधारण व यौन संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाता है.

क्या पहली बार शारीरिक संबंध बनाते समय आने वाली परेशानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मैं ने सुना है कि जब भी कोई युवती किसी युवक से पहली बार शारीरिक संबंध स्थापित करती है, तो बहुत दर्द होता है. क्या यह सच है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब

कुंआरी युवतियों के यौनांग में एक पतली सी झिल्ली होती है, जिसे कौमार्य झिल्ली कहते हैं. जब कोई युवती पहली बार संबंध बनाती है तो वह झिल्ली फट जाती है, जिस से थोड़ा सा रक्तस्राव और हलका सा दर्द होता है.

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कामुकता का राज और स्त्री की संतुष्टि को कुछ इस तरह समझिए

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

 

क्या प्यार करने वाला आपकी गरिमा का ख्याल रखता है?

लेखिका- स्नेहा सिंह 

आप किसी से बहुत प्यार करती हैं. उस पुरुष या महिला ने आप को भावनाओं से ले कर सुरक्षा तक देने की कोशिश की है. जमीन से जुड़े होने के बावजूद उसने आपको सातवें आसमान का सफर कराया है. आप के लिए कभी दीवार, कभी पहाड़, कभी दरवाज़ा, कभी खिड़की तो कभी आकाश भी बन गया है. उसने तूम्हारे लिए वह सब किया है, जो एक प्रेमी-प्रेमिका, पति अथवा पत्नी का फर्ज होता है. हां, हो सकता है आपकी थोड़ी इच्छाएं, थोड़ा सुख उसकी नजर से बाहर गया हो. ऐसा भी हो सकता है कि उसकी किसी बात से आप के हृदय को ठेस पहुंची हो, पर आप को संभालने, आप को दुख न पहुंचे, इसके लिए उसने तमाम कोशिश तहेदिल से की हो. आप का कैरियर, आप की सोशल लाइफ का ग्राफ ऊपर गया हो, उसमें उसका भी कुछ हिस्सा रहा हो. संक्षेप में संबंधों के ऐसे तमाम पलों में उसने आप को कभी यह अनुभव कराया हो कि आप दुनिया की सब से सुखी और सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं. भगवान न करे कभी आप के संबंध में कमिटमेंट ब्रेक हो. आपके संबंध हिचकोले खाने लगें और एक्जिट के दरवाजे पर आ कर खड़े हो जाएं तो आप क्या करेंगी?

‘आप हमारे नहीं ती किसी और के भी नहीं.’ यह सोच कर उसके साथ क्लिक किए बैडरूम के फोटो वायरल कर देंगें? सेक्स्युअल प्लेजर के लिए बनाए वीडियो उसके पारिवारिक सदस्यों को भेज देंगें? नेटवर्किंग साइट पर उन्हें वायरल कर देंगें? आप पर खूब विश्वास कर के भावनाओ के आवाश में आ कर आप को किए ह्वाटसएप मैसेज के स्क्रीन शाॅट की नुमाइश करेंगें? या चुपचाप एक्जिट के दरवाजे से बाहर निकल जाएंगें?

सहमति से बने संबंधों में बंदिशें क्यों?

पिछले कुछ समय से संबंध टूटने के बाद न्यूड फोटोग्राफ्स या सेक्स्युअल एक्ट के वीडियो वायरल कर देनें की घटनाएं खूब बढ़ी हैं. एक 16 साल की लड़की अपने साथ पढ़ने वाले लड़के से प्यार करने लगी. लड़की ने अपने वक्षस्थल के फोटो खींच कर लड़के को भेज दिए. कुछ दिनों बाद लड़की ने लड़के से संबंध खत्म करने की बात की तो लड़के ने लड़की के नाम के साथ उसके वक्षस्थल के फोटो वायरल कर दिए. 17वां साल हो या 37वां साल, संबंध टूटने पर लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.

सब से पहली बात तो यह है कि इस तरह के न्यूड फोटोग्राफ भेजने ही नहीं चाहिए. मानलीजिए कि प्रेम के आवेश में अथवा विशाल के अतिरेक के बीच न्यूड फोटोग्राफ भेज रही हैं तो उस फोटोग्राफ से चेहरा कट कर देने की सामान्य समझ क्यों नहीं दिखातीं? आप कहेंगीं कि जिसे प्रेम किया है, उस पर खुद से अधिक विश्वास होता है. बिलकुल होना चाहिए, पर जिस पर विश्वास किया है, यह पता कर लेना जरूरी है कि वह विश्वास करने लायक है भी या नहीं?आप को यह पता है, आप जिससे प्रेम कर रही हैं, उसे आप की गरिमा का ख्याल है या नहीं? वह व्यक्ति अभी आप को जितना सम्मान देता है, आप की जिंदगी से निकल जाने पर भी वह आप को उतना ही सम्मान देगा?

सामान्य रूप से हम जल्दी किसी को अपने आधार कार्ड का नंबर नहीं देते. डेबिट कार्ड या मोबाइल का पासवर्ड जल्दी किसी के साथ शेयर नहीं करते, तो न्यूड फोटोग्राफ शेयर करने के पहले क्यों नहीं सोचतेविचारते? प्यार करने वाला आदमी क्या कर सकता है? इसकी अपेक्षा यह जानना चाहिए कि प्रेम टूटने पर वह नीचता की किस हद तक जा सकता है? आपने जिस पर विश्वास किया है, वह आदमी प्रेम टूटने पर आप के फोटोग्राफ वायरल करने की हद तक जाता है तो साफ है कि वह आप से प्रेम नहीं करता था. लड़कियों को एक बात समझने की खास जरूरत है कि जिस आदमी को मात्र आपके शरीर में रुचि है, उसके मन में तुम्हारे प्रति वासना है, प्रेम नहीं. ऐसी तमाम लड़कियां हैं, जो मानती हैं कि मेरा प्रेम उसे बदल देगा, प्रेम उसके मन में मेरे लिए डिग्निटी पैदा करेगा, यह सरासर मूर्खता है. प्रेम कुछ भी नहीं बदल सकता.

जब तक लोभी लोग हैं, ठग भूखो नही मरेंगे, यह कहावत यहां भी उतनी ही सच है. अपने शरीर, अंगों का बखान सुनने के लिए लालायित लड़कियां न्यूड फोटोग्रफ भेज देती हैं. प्रशंसा का स्वर्ण मृग पाने के लिए हर सीता लक्ष्मणरेखा पार करने को तैयार हो जाती है और रावणों के मनपसंद काम हो जाता है. हर महिला को अपने शरीर, फीगर और कर्व्ज की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता है. पर इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं यह प्रशंसा गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली तो नहीं है.

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टीनेजर्स के बीच वीडियो सेक्स अब सामान्य बात हो गई है. वीडियो सेक्स के दौरान ले लिए गए स्क्रीन शाॅट्स टाइम बम बन कर मोबाइल में समाए रहते हैं और कमिटमेंट टूटते ही फूट पड़ते हैं. मुझे लगता है कि अब पैरेंटिंग को बदलने की जरूरत है. देखो, मैं प्रेम में पड़ी नहीं, यह कहने के बजाय अगर प्रेम में पड़ती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इस बात की चर्चा समझदार लोगों से जरूर करें. अपनी डिग्निटी खुद मेंनटेन करनी होती है. लड़कियों को यह समझना होगा कि उन्हें किसी दूसरे का इंतजार नहीं करना है. मां-बाप को चाहिए कि संतानों को पास बैठा कर ब्रेकअप का अर्थ समझाएं. उन्हें समझाएं कि एकदूसरे से प्रेम करने वाले व्यक्ति अलग हो सकते हैं. यह भी समझाएं कि इस समय जो आदमी उनके साथ नहीं जीना चाहता, इसका मतलब यह नहीं कि उनके साथ का अतीत खराब था.

हमारा कानून खून की सजा देता है. पर संबंध में हुए विश्वास के खून की सजा अभी तक मुकर्रर नहीं हो सकी है. इसलिए इस विश्वासघात को खुद ही रोकने की कोशिश करें.

कैसे पहचानें बढ़ती दूरियों की आहट

हाल ही में इकोनौमिस्ट सूरज जैकोब और ऐंथ्रोपोलौजिस्ट श्रीपर्णा चट्टोपाध्याय द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत में करीब 14 लाख लोग तलाकशुदा हैं.

यह कुल आबादी का करीब 0.11% है और शादीशुदा आबादी का करीब 0.24%. आश्चर्य की बात यह है कि अलग हो चुके लोगों की संख्या तलाकशुदाओं से 3 गुना ज्यादा है. मरदों के मुकाबले तलाकशुदा और पति से अलग रह रही महिलाओं की संख्या कहीं अधिक है. पुरुष अकसर दूसरी शादी कर लेते हैं जबकि तलाकशुदा औरतें अकेली रह जाती हैं.

लव मैरिज हो या अरेंज्ड मैरिज कई दफा परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि पहले एकदूसरे से बेपनाह मुहब्बत करने वाले पतिपत्नी भी दूर हो जाते हैं. प्रेम के धागों से बना पतिपत्नी का रिश्ता जब अचानक टूटता है तो भावनात्मक रूप से कमजोर स्त्री/पुरुष गहरे संताप में आ जाते हैं. ध्यान दें कि क्या विवाह के दौरान आप का जीवनसाथी करीब हो कर भी दूर महसूस होता है? क्या उस की बाहों में आ कर भी आप को पहली सी मुहब्बत का एहसास नहीं होता? क्या जीवनसाथी बहाने बना कर आप से दूर जाने का प्रयास करने लगा है? यदि ऐसा है तो संभल जाएं और तैयार रहें किसी भी परिस्थिति को फेल करने के लिए. आप दोनों गौर कीजिए कुछ ऐसी बातों पर जो आप के रिश्ते के कमजोर पड़ने की ओर इशारा कर रही हैं:

करीब हो कर भी एकदूसरे के साथ नहीं

औफिस से आ कर आप भले ही एक कमरे में बैठे हों, मगर एक शख्स अपने लैपटौप या कंप्यूटर पर और दूसरा टीवी या मोबाइल में व्यस्त हो, पार्टी में एकसाथ गए हों, मगर एक इस कोने में तो दूसरा दूसरे कोने में दोस्तों के साथ व्यस्त हो यानी एकसाथ मिल कर किसी कार्य का आनंद लेने के बजाय अपनीअपनी दुनिया में व्यस्त रहने लगे हों तो यह आप की बढ़ती दूरी का नतीजा है.

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लड़ना छोड़ दिया है

यदि आप ने एकदूसरे से बहस या लड़ाईझगड़ा करना छोड़ दिया है तो यह भी दूरी बढ़ने का इशारा है. यदि झगड़े के बाद आप दोनों उस विषय पर बातचीत नहीं करते या पार्टनर की बात सुनने को तैयार नहीं होते तो यह आदत रिश्ते के टूटने की ओर इशारा करती है. कई दफा कपल्स के बीच होने वाला झगड़ा उन की निकटता बढ़ाने का काम करता है. मगर ऐसा तब होता है जब दोनों झगड़े की तह तक जाते हैं और एकदूसरे का पक्ष सुन और समझ कर मन का मैल दूर करने का सफल प्रयास करते हैं. मगर इस तरह का प्रयास नहीं किया जा रहा है तो समझिए दूर होने का वक्त आ चुका है.

कई कारण दिल तोड़ने के

अमेरिका के कपल्स थेरैपिस्ट कैरी कोल कहते हैं कि कुछ बातें रिश्ते में दरार लाने के लिए पर्याप्त होती हैं मसलन हर बार अपने जीवनसाथी की आलोचना करना, उसे बातें सुनाना, भद्दे शब्दों का प्रयोग करना या खुद को सुपीरियर दिखाने का प्रयास करना. किसी विवाद पर खुल कर बात करने के बजाय बातचीत करनी बंद कर देना आदि. यदि आप भी एकदूसरे के प्रति ऐसा व्यवहार करने लगे हैं तो समझिए आप के बीच दूरी आ चुकी है.

मन की आवाज को इग्नोर कर रहे हैं

अकसर हम अपने मन की आवाज नहीं सुनते. यह आवाज बहुत ही हलकी और शांत होती है जो बाहरी दुनिया के शोरशराबे के बीच इग्नोर हो जाती है. कई बार दिल से आवाज आती रहती है कि अब मैं अपने जीवनसाथी से प्यार नहीं करता या वह मुझ से दूर हो चुका है. मगर तार्किक प्रमाण के अभाव में हम इस पर ध्यान नहीं देते और हकीकत से दूर भागते रहते हैं. मगर बाद में पता चलता है कि आप के मन की आवाज सही थी और आप का जीवनसाथी वाकई दूर जा चुका है.

जीवनसाथी का नियंत्रण असहनीय

यदि एक पार्टनर खुद को दूसरे के कठोर नियंत्रण में घुटा हुआ सा महसूस करता है और बारबार कहने के बावजूद उस की बात सुनी नहीं जाती तो वह खुद को हारा हुआ महसूस करने लगता है. ऐसा रिश्ता ज्यादा समय नहीं टिक पाता.

बौडी लैंग्वेज में परिवर्तन

जब आप किसी के साथ रिलेशन में होते हैं या प्यार करते हैं तो रातदिन उसे ही देखना और महसूस करना चाहते हैं. मगर जब कोई आप का दिल तोड़ जाता है या उस के लिए आप के मन में प्यार नहीं रह जाता तो उस का सामना करने या उस की तरफ देखने से भी कतराने लगते हैं. प्यार में इंसान करीब जाने और बातें करने के बहाने ढूंढ़ता है, मगर दूरी बढ़ने पर एकदूसरे से दूर जाने के बहाने ढूंढ़ने लगता है. जो कपल्स इमोशनली जुड़े होते हैं उन की बौडी लैंग्वेज ही अलग होती है जैसेकि अनजाने ही एकदूसरे के आगे सिर झुकाना, गीत गुनगुनाना, केयर करना और एकदूसरे की बातें ध्यान दे कर सुनना आदि. मगर जब रिश्ता बे्रकअप के कगार पर पहुंच चुका होता है तो वे बातें कम और बहस ज्यादा करने लगते हैं. एकदूसरे की बगल में बैठने के बजाय आमनेसामने बैठते हैं और केयर करने के बजाय एकदूसरे को इग्नोर करने लगते हैं.

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आई कौंटैक्ट का घट जाना

आप उन चीजों को देखना पसंद करते हैं जो आप को पसंद होती हैं. जाहिर है मुहब्बत में नजरों का मिलना और मिला रह जाना अकसर होता है. मगर जब आप दोनों एकदूसरे की तरफ देखते ही नजरें हटा लें, आंखों में देख कर बातें करना छोड़ दें तो समझिए आप दोनों ब्रेकअप की ओर बढ़ रहे हैं.

इस संदर्भ में 1970 में सोशल साइकोलौजिस्ट जिक रुबिन ने कपल्स के बीच आई कौंटैक्ट के आधार पर उन के रिश्ते की गहराई नापने का प्रयास किया. कपल्स को कमरे में अकेले छोड़ दिया गया. वैसे कपल्स जिन के बीच गहरा प्यार था, अधिक समय तक अपने पार्टनर को देखते पाए गए, जबकि कम प्यार रखने वाले कपल्स में ऐसी बौंडिंग नहीं देखी गई.

जब आप किसी और से इमोशनली जुड़ने लगें

यदि आप अपने जीवनसाथी के साथ खुश नहीं हैं तो आप के किसी और शख्स से इमोशनली अटैच्ड होने और अफेयर करने की संभावना बढ़ जाती है. वैसे भी आजकल के तकनीकी युग में औनलाइन फ्लर्टिंग जैसे औप्शंस उपलब्ध हैं और स्मार्टफोंस व सोशल मीडिया के जरीए भी जीवनसाथी को बताए बिना किसी से लगातार कौंटैक्ट में रहना मुमकिन है.

यदि आप भी ऐसे अफेयर में फंस चुके हैं और अपनी खुशियां सैलिब्रट करने या परेशानियों को बांटने के लिए अपने जीवनसाथी के बजाय किसी और का कंधा ढूंढ़ने लगे हैं तो समझिए वक्त आ गया है इस रिश्ते के बारे में गंभीरता से सोचने का.

दूसरों में अधिक व्यस्त रहना

कई दफा हम जीवनसाथी से दूरी के एहसास को दूसरों से नजदीकी बढ़ा कर कम करना चाहते हैं. खासकर महिलाएं यदि अपनी रिलेशनशिप से खुश नहीं हैं तो इस दर्द को भूलने के लिए उस पर फोकस करने के बजाय दूसरों की जिंदगी में चल रही परेशानियों से जूझने लगती हैं.

एक-दूसरे से कहने को कुछ नहीं होता

यदि आप जिंदगी के खास मौकों, घटनाओं या तरक्की से जुड़ी बातों को सब से पहले अपने जीवनसाथी से नहीं, बल्कि किसी और से शेयर करने लगे हैं, जबकि जीवनसाथी से घरेलू कामकाज या बच्चों से जुड़ी बातों के अलावा आप के पास करने को कोई खास बातें नहीं होतीं तो समझिए आप एकदूसरे से दूर हो रहे हैं.

क्वालिटी टाइम गुजारने की चाह नहीं

यदि आप जीवनसाथी के साथ लंबे समय से एकसाथ रोमांटिक मूवी देखने, पसंदीदा जगह पर जा कर डिनर करने, समुद्र किनारे बैठ कर वक्त गुजारने जैसी योजनाओं को टाल रही हैं, यदि अब आप दोनों को जीवनसाथी के लौटने का इंतजार नहीं रहता और उस के आने पर भी आप अलगअलग कमरे में अपनेअपने काम में बिजी रहते हैं तो समझिए इस रिश्ते का आकर्षण आप के लिए घटता जा रहा है.

एक-दूसरे की बात पर कम ध्यान देना

अच्छे रिश्ते के लिए एकदूसरे की बातें सुनना और उन पर ध्यान देना सब से जरूरी होता है, पर जब आप को लगने लगता है कि चाहे कितनी भी बातें कर लो, कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है तो यह रिश्ते के कमजोर पड़ने का लक्षण है, क्योंकि रिश्ते की मजबूती के लिए एकदूसरे को समझना और सुनना जरूरी होता है. इस से नाराजगी और गुस्सा तुरंत दूर हो जाता है.

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भविष्य के सपने बगैर हमसफर

यदि अकसर आप अपने खुशहाल भविष्य के सपनों में जीवनसाथी को जगह नहीं दे पा रहे हैं तो इस का अर्थ जीवनसाथी से बढ़ती भावनात्मक दूरी है.

विश्वास की कमी

साइकोलौजिस्ट जौन गौटमैन ने करीब 4 दशकों तक किए गए अपने अध्ययन में पाया कि जो कपल्स लंबे समय तक रिश्ते में हैं वे करीब 86% समय एकदूसरे की ओर मुड़े होते हैं. ऐसा न सिर्फ अफैक्शन की वजह से वरन एकदूसरे पर विश्वास के कारण भी होता है. वे गंभीर मुद्दों पर एकदूसरे की राय जानने और मदद लेने का प्रयास भी करते हैं. मगर रिश्ता कमजोर हो तो विश्वास भी टूटने लगता है.

आधा-अधूरा मुसकराना

यदि आप लंबे समय तक एकदूसरे की ओर देख कर मुसकराना या चुहलबाजियां करना भूल चुके हैं, तो समझिए रिश्ता टूटने वाला है. सरल और अपनत्व भरी मुसकान रिश्ते की प्रगाढ़ता का सुबूत होती है. एकदूसरे से बिना किसी शर्त मुहब्बत करने वालों के चेहरों पर मुसकान स्वाभाविक रूप से खिली होती है.

मतभेद जब बहस का रूप लेने लगे

अपने पार्टनर के साथ किसी बात पर मतभेद का होना स्वाभाविक है, पर यह बहस यदि स्वस्थ न रह कर अकसर लड़ाईझगड़े पर खत्म होने लगे और दोनों में से कोई भी कंप्रोमाइज करने को तैयार न हो तो समझिए रिश्ता ज्यादा नहीं टिक सकता.

जब दोनों ने प्रयास करना छोड़ दिया हो

आप का रिश्ता कितना भी कंफर्टेबल क्यों न रहे, आप को हमेशा इस में सुधार लाने का प्रयास करते रहना चाहिए. गलती करने पर तुरंत माफी मांगना, पार्टनर को सरप्राइज देना, अपने अच्छे पक्ष सामने लाना और छोटीछोटी बातों से पार्टनर का दिल जीतने का प्रयास करना जैसी बातें रिश्ते को टूटने से बचाती हैं. यदि आप के साथी ने ऐसे प्रयास करने छोड़ दिए हों और हमेशा आप की गलतियों पर ही फोकस करना शुरू कर दिया हो तो समझिए वह आप से दूर जा रहा है.

तारीफ बंद कर देना

मजबूत रिश्ते के लिए समयसमय पर एकदूसरे की तारीफ करना अहम होता है. जब आप दोनों एकदूसरे को फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं, तारीफ करना छोड़ देते हैं तो धीरेधीरे दोनों के बीच शिकायतों का दौर बढ़ने लगता है जो आप को ब्रेकअप की ओर ले जाता है.

जौन गौटमैन ने 20 सालों तक 200 कपल्स पर किए गए अध्ययनों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि किसी भी रिश्ते की सफलता कपल्स द्वारा आपसी विवाद और झगड़ों को खूबसूरती से सुलझाने की काबिलीयत पर निर्भर करती है. कभी न झगड़ना अच्छे रिश्ते की पहचान नहीं, बल्कि फिर से एक हो जाना रिश्ते को मजबूत और गहरा बनाता है. मगर जब रिश्ते में इतनी दूरी आ जाए कि फिर एक होना मुमकिन न हो, रिश्ते में रहने से दम घुट रहा हो तो ग्रेस के साथ रिश्ते को खत्म कर देना बेहतर है.

ब्रेकअप : जमूरे का खेल नहीं  

लेखिका- स्नेहा सिंह 

“हम ने अपने संबंधों पर काफी सोचाविचारा. काफी सोचने के बाद हमें ऐसा लगा कि हम एक साथ आगे नहीं बढ़ सकते, इसलिए हम ने इस संबंध को खत्म करने का निर्णय लिया.” मेलिंडा से अलग होने के बाद बिल गेट्स ने यह ट्वीट किया था. एक संबंध का यह एक अद्भुत एक्जिट नोट था. जिसमें कोई एलिगेंस नहीं था. कोई शिकायत नहीं थी. मात्र समझदारी थी. बिल गेट्स के इस ट्वीट के बाद सभी ने मिल कर उनके टूट ग्ए संबंध का पिष्टपेषण किया. किसी ने कहा कि उन दोनों के बीच अनबन इस हद तक बढ़ गई थी कि उनके पास अलग होने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था.किसी ने यह भी कहा कि बिल गेट्स का किसी दूसरी महिला के साथ अफेयर था. किसी नै मेलिंडा को मिलने वाली भारी भरकम एलिमनी की रकम में रुचि दिखाई. हमने जेफ बेजोस के मामले में भी कुछ ऐसा ही सोचाविचारा था. हम टूटते हुए संबंधों के बारे में कुछ ऐसा ही सोचते हैं. टूटता हुआ संबंध कोई जमूरे का खेल नहीं. टूटता हुआ संबंध मेले में लगा कोई चरखी वाला झूला भी नही है कि जिसका मन हो, वह आ कर उसके हिंडोले में बैठ कर झूल ले. टूटता हुआ संबंध मल्टीप्लेक्स की स्क्रीन पर लगी कोई फिल्म भी नही है. ये वे संबंध हैं, जिन्हें बचाने के लिए भावनाएं भी मदद में नहीं आतीं. यह वह संबंध है, जिसका अस्तित्व पहले की तरह अनिवार्य नहीं रहा. ‘तुम्हारे बिना जी नहीं सकता”,  इस पूरे वाक्य से ‘नहीं’ शब्द गायब हो गया है. यह संबंध अब न फेविकोल से चिपकाया जा सकता है और न सेलोटेप से जोड़ा जा सकता है और न ही स्टेपलर से इकट्ठा किया जा सकता है. ब्रेनडेड आदमी के वेंटिलेटर का स्विच बंद कर दिया जाए तो उसकी कोई चर्चा नहीं होती, सिर्फ आंसू होते हैं, स्तब्धता होती है और मौन होता है. दो व्यक्ति जब एकदूसरे से अलग होने का निर्णय लेते हैं तो उनके दर्द के बारे में सोचना चाहिए. उनके अलग होने के कारण के बारे में भी नही.

हमारे यहां जितनी धूमधाम से शादी की जाती है, उतने ही शोरशराबे के साथ अलगाव भी होते हैं. शादी में हम डेकोरेशन के बारे में, चढ़ाव में आए गहनों के बारे में, खाने के बारे में,  लड़की द्वारा पहनी गई साड़ी के बारे में बातें करते हैं. जबकि अलगाव के समय ‘सास बहुत जबरदस्त थी, पति से कोई लड़की नियमित मिलने आती थी, लड़की का पूरा कैरियर ही बरबाद कर दिया, बच्चों से कोई लगाव नहीं था, वह थी ही ऐसी, खाना भी बनाने नहीं आता था, आदि बातें करते हैं. ब्रेकअप दो लोगों के बीच घटने वाली व्यक्तिगत घटना है और इसे हमें व्यक्तिगत ही रहने देना चाहिए. दो लोग एकदूसरे से ऊब जाते हैं, तब ऐसा होता है. साथ चलने का वादा कर के कोई एक पीछे रह जाता है, तब ऐसा होता है. वेवलेंथ मैच नहीं होता, अपेक्षाएं अधूरी रह गईं हों, उद्देश्य बदल गया हो, रास्ते अलग हो गए हों, दो लोगों के बीच कोई तीसरा आ गया हो, कारण कोई भी हो, उनसे हमारा कोई सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ने वाला है. दस साल, बीस साल या पच्चीस साल साथ रहने के बावजूद ऐसी कोई जबरदस्ती नहीं है कि आगे भी साथ ही रहना है. बच्चे हैं, इसलिए अलग नहीं हो सकते, इस तरह का भी कोई बंधन नहीं बांध सकता. हाथ से कांच की बरनी छूट जाए तो वह आवाज के साथ बिखर गए कांच के टुकड़ों को इकट्ठा करने लगेंगे तो हाथ लहूलुहान हो जाएगा. मानलीजिए कि कांच के टुकड़े इकट्ठा कर भी लेंगे तो उससे पहले जैसी बरनी बन तो नहीं सकती न. इसलिए वे टुकड़े लगे नहीं,  हाथ के बजाय झाड़ू से कचरा उठाने वाली ट्रे से उन टुकड़ों को उठा कर कचरे के डिब्बे में डालना चाहिए. संबंधों का भी कुछ ऐसा ही है.

शादी मंडप में होती है, पर अलगाव कोर्ट में लेना पड़ता है. पंडितजी के मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ विवाह वकीलों की दलील और संपत्ति के बंटवारे के साथ पूरा हो जाता है. सड़ गए संबंधों की अपेक्षा मर चुकी अपेक्षाएं, रुढ़िया गई इच्छाएं अधिक बदबू मारने लगती हैं. रोमांचित करने वाला स्पर्श छाती में नश्तर की तरह चुभने लगता है. जो आदमी एक साथ  एक घर में, चार-छह दीवालों के बीच कुछ सालों तक जिए हों, उन सालों को अब भुला देना है. कुछ भी ‘वर्कआउट’ न कर सकने की असफलता काटने दौड़ती है. संतानों को अब हिस्से में मिलना है. आदतें बदलनी हैं, जो आसान नहीं है. आदमी अस्पताल में, घर में, कमरे में, अकेले या चार लोगों के बीच से गुजर जाता हो, पर विवाह कभी रसोई में, कभी बैडरूम में, कभी ड्राइंगरूम में, कभी छींटवाली चादर पर, कभी बाथरूम में, कभी होटल में अनगिनत बार टूटता है. सुबह की गुडमार्निंग से ले कर रात की गुडनाइट की किस के बीच फैली विवाह की मर गई भावनाओं की चिता पर सुला कर देना होता है और सीने के किसी एक कोने में एकदम अकेले चुपचाप उसका मातम मनाना होता है.

मेलिंडा ने जब विवाह किया होगा, तब दिल में सिर्फ बिल गेट्स के लिए ही जगह रही होगी. बिल गेट्स ने भी मेलिंडा को दिल में बसा कर विवाह किया होगा. उस समय उनके लिए न पैसे का महत्व रहा होगा न लाइफस्टाइल का. तब जब ये लोग अलग हुए तो हम पैसे की या लाइफस्टाइल की बात क्यों करते हैं? हम भावनाओं के बारे में क्योँ नहीं बात करते? हर ब्रेकअप चर्चा का विषय क्यों बन जाता है. हर ब्रेकअप को हम सनसनीखेज क्यों बना देते हैं?

हमें ब्रेकअप के बारे में सोचना सीखना होगा. हमें समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम शोक संवेदना व्यक्त करने जाते हैं. अगर संबंध मर जाए तो हम उसकी संवेदना व्यक्त करने नहीं जा सकते? हमें यह भी समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम पूछते हैं कि ‘क्या हुआ था?’ तो क्या संबंध मर जाता है तो हमें यह पूछने का अधिकार नहीं है कि ‘क्या हुआ था?’

मैं एक लड़की से शादी करना चाहता हूं, लेकिन अतीत में रेप के अपराध में जेल जा चुका हूं?

सवाल

मैं 37 वर्षीय अविवाहित डाक्टर हूं, एक सरकारी अस्पताल में कौंट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत हूं. मैं एक लड़की से विवाह करना चाहता हूं. समस्या यह है कि इस से पहले मैं रेप के अपराध में 5 साल की जेल की सजा भुगत चुका हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं जिस लड़की से विवाह करना चाहता हूं उसे इस बारे में बताऊं या नहीं. हालांकि वह और उस का परिवार अगर जांच पड़ताल करेंगे, भी तो इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चल पाएगा. पर मुझे क्या करना चाहिए, उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या नहीं?

जवाब

आप का परेशान होना जायज है लेकिन इस मामले में हमारी आप को यही सलाह होगी कि जिस लड़की के साथ आप अपनी आने वाली जिंदगी गुजारना चाहते हैं, उसे अपने अतीत से अवश्य वाकिफ कराएं, फिर उस के बाद वह लड़की जो निर्णय ले, उसे आप मंजूर करें. आप उसे पूरी बात विस्तार से बताएं और वर्तमान स्थिति से भी अवगत कराएं क्योंकि यह जानना उस का हक भी है. जहां तक आप का यह समझना कि लड़की और उस के परिवार वालों को आप के अतीत के बारे में पता नहीं चलेगा, इस गलतफहमी में न रहें. ऐसी बातें छिपाए नहीं छिपतीं, इसलिए उसे यह बात कहीं और से पता चले और उस का असर आप की आने वाली जिंदगी पर पड़े, इस से बेहतर है उसे आप सबकुछ सचसच बता दें. इसी में आप की भलाई है.

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हर इंसान का एक अतीत होता है, जिससे ऐसी कई बातें जुड़ी होती हैं जो वह किसी को बताना नहीं चाहता है. खासकर जब आप किसी रिलेशनशिप में आते हैं तो अपने अतीत से जुडी कई बातें अपने पार्टनर से छिपाते हैं, जो आपके रिश्ते पर भी असर डालता है.

लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो अपने पार्टनर के साथ जरूर शेयर की जानी चाहिए क्योंकि इससे दोनों का एक दूसरे के प्रति विश्वास और प्रेम बढ़ता है. तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जो आपको अपने पार्टनर से नहीं छुपानी चाहिए.

1. रोमांटिक स्टोरी को बताएं

आप अपने पार्टनर को अपनी बीती हुई रोमांटिक स्टोरी के बारे में जरूर बताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा. लेकिन यदि आप अपनी रोमांटिक स्टोरी को अपने पार्टनर से बताती हैं तो उसका मूड तथा समय को अवश्य देख लें.

आपके तथा आपके एक्स के संबंध

कई लोग ब्रेकअप के बाद भी अपने एक्स से दोस्ती का रिलेशन बनाएं रखते हैं. यदि आपके जीवन में भी कोई ऐसा संबंध है तो उससे अपने पार्टनर को जरूर परिचित कराएं.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

साथ रहने के दौरान इन तरीकों से चेक करें अपना रिश्ता

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

आप यह सोचेंगी कि क्या आप सच में ही खुश हैं

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगी चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रही हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

वह आपको कितनी अटेंशन देते हैं 

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

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वह एक परिस्थिति का कैसे सामना करते हैं

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकती हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

इस दौरान आपको पता चलेगा कि वह आपके साथ कितने लंबे समय तक रह सकते हैं :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं.

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अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति  मान सकती हैं और यह समझ सकती हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करती हैं तो थोड़ा दुखी रह सकती हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

ब्रेकअप के बाद मुसीबत न बन जाए बौयफ्रैंड

हर लव स्टोरी सक्सैसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं और यहीं से पैदा होती है ‘नफरत’. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर जहां कुछ लोग अपनी जिंदगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ़ लेते हैं. वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वह मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है. ऐसे में क्या करें, आइए जानें:

बरतें सावधानी:

एक गीत के बोल हैं, ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…’ किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत एहसास है, मगर यह सुंदर सपना जब टूटता है, तो बड़ी चोट पहुंचती है. प्रेम संबंध टूटने की कुछ वजहें होती हैं, जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्मजाति का अलगअलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लैनिंग न होना वगैरहवगैरह. जब आप को लगे कि आप का रिश्ता किसी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीकठीक वजहें सामने रख कर अलगअलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. यदि आप को बौयफ्रैंड आप से किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आप को धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आप को ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने मातापिता को उस के बारे में बताएं और उस की पुलिस में शिकायत करें.

धीरेधीरे दूरी बनाएं:

अगर आप की शादी तय हो गई है, तो जरूरी नहीं कि आप एक  झटके में अपना रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है, तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरेधीरे बनाएं. उसे उन बातों का एहसास दिलाएं कि वे क्या मजबूरियां हैं, जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बरदाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरेधीरे सारे कौंटैक्ट खत्म कर लें.

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गिफ्ट नष्ट कर दें:

आप के बौयफ्रैंड ने भी आप को गिफ्ट, कार्ड या कपड़े अत्यादि दिए होंगे. उन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उस की यादों से मुक्त हो जाएंगी. कोशिश करें कि आप ने भी उसे जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिए हैं सब उस से वापस मिल जाएं. उन्हें भी नष्ट कर दें. नए जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें:

ब्रेकअप के बाद अकसर यह एहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस एहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ़ लेते हैं या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताए पलों को भूलने और सचाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें, चिंतन करें और खुद को सम झाएं कि आप ने जो कदम उठाया है, वह बिलकुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें.

शादी में बौयफ्रैंड को भूल कर न बुलाएं:

भले आप आपसी सम झौते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें, तो इस में कोईर् हरज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उसे अपनी शादी पर न बुलाएं, क्योंकि उस हालत में एकदूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उस की मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी. वहीं आप का ऐक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा, जिस के गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है.

हसबैंड को सबकुछ न बताएं:

यह गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छिपाएं, लेकिन जरूरी यह भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में सबकुछ बताया जाए. आजकल स्कूलकालेज में बौयफ्रैंड गर्लफ्रैंड बनना आम बात है. इसे ले कर अकसर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आप का प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी. हां, अगर उस से आप के शारीरिक संबंध थे या आप उस से कभी प्रैगनैंट हुईं अथवा आप का अबौर्शन हुआ, तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को यह सारी बातें बताएं, क्योंकि ऐसा करना आप के रिश्ते में कड़वाहट भर देगा.

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पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें:

आप के बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आप से मिलती होंगी, तभी आप की दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आप की शादी हुई है, उस की आदतें आप से कतई न मिलती हों. उस हालत में आप को अपने बौयफ्रैंड का खयाल आ सकता है.

याद रखें आप ने जिस व्यक्ति से शादी की है वह बहुत बेहतर है, क्योंकि उस ने आप को स्थायित्व दिया है, आप को आर्थिक सुरक्षा दी है. क्या आप का बौयफ्रैंड आप को कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं, इसीलिए कभी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें.

सब से जरूरी बात यह है कि शादी के  बाद यदि ऐसी किसी अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़े तो आत्मविश्वास के साथ उस का सामना करें.

पुरुषों को शुक्र मनाना चाहिए कि महिलाएं उन्हें धक्का देकर दूर रहने को नहीं कहतीं !

हालांकि यह स्टडी तो करीब 9 साल पुरानी है,लेकिन इन 9 सालों में कई अलग अलग देशों में भी नए सिरे से इसकी जांच परख की गयी है और पाया गया है कि यह बिलकुल सही है  कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष कई गुना ज्यादा गंदा रहते हैं.हालांकि जब तक लाइफस्टाइल विषयों पर रिसर्च अध्ययनों को तरजीह देने वाली वेबसाईट ‘प्लोस वन’ [PLOS ONE] ने यह स्टडी नहीं छापी थी, तब भी दुनियाभर में औरतें विशेषकर पत्नियां अपने पतियों को गंदे रहने के उलाहने देती रही हैं और  दुनिया भरके पुरुषों ने कभी इसका खंडन करना भी जरूरी नहीं समझा बल्कि चुपचाप इस सबकी अनदेखी करते रहे हैं.शायद एक दूसरे के लिए यह साझा भ्रम बनाने के लिए कि औरतें तो होती ही सनकी हैं,इसलिए क्या उनके मुंह लगना.लेकिन अब पिछले कुछ सालों में सफाई को लेकर हुए कई शोध सर्वेक्षणों ने साबित कर दिया है कि महिलाएं कभी गलत नहीं थीं,पुरुष महिलाओं के मुकाबले गंदे ही रहते हैं.

हालांकि प्लस वन की यह रिसर्च स्टडी पुरुषों के गंदे रहने के लिए उनको आलसी होना नहीं मानती जैसा कि दुनिया की ज्यादातर औरतें अपने पतियों के बारे में राय रखती हैं.इस स्टडी में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे परवरिश का विज्ञान और लिंगभेद का मनोविज्ञान शामिल है.सवाल है आखिर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा साफ कैसे रहती हैं? इस सवाल का जवाब जानने के पहले आइये जान लें कि इस स्टडी के तथ्य क्या कहते हैं ? स्टडी के मुताबिक़ 93 फीसदी महिलाएं एक बार पहनने के बाद अंडरवियर को धो देती हैं, लेकिन 18 फीसदी पुरुष बिना धोए एक ही अंडरवियर कई कई बार पहन लेते हैं.

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सवाल है ऐसा क्यूँ ?  इस क्यूँ का जवाब मनोवैज्ञानिक देते हैं उनके मुताबिक़ इसके लिए बचपन में लड़कों और लड़कियों के साथ घर वालों का किया जाने वाला अलग-अलग किस्म का व्यवहार जिम्मेदार है. वास्तव में बचपन के दिनों में लड़कों की तुलना में लड़कियों के कपड़े ज्यादा और जल्दी-जल्दी बदले जाते हैं. इससे लड़कियों में साफ कपड़े पहनने की आदत पड़ जाती है और ऐसी आदतें उम्र बढ़ने के साथ भी बनी रहती हैं. सर्वे में तमाम पुरुषों ने इस बात को कबूला है कि वो एक ही अंडरवियर कई दिन तक पहने रहते हैं और महिलाओं ने पुरुषों की स्वीकारोक्ति पर आश्चर्य दर्शाने के साथ यही कहा है, ‘मर्दों की यह बात जानकार उनसे घिन आती है.’

हालाँकि सफाई का यह मामला सिर्फ चड्डी तक ही नहीं सीमित.कई और भी सर्वे हैं जो यह भी दावा करते हैं कि पुरुष करीब-करीब हर मामले में महिलाओं के मुकाबले गंदे रहते हैं.मसलन पुरुष एक ही बेडशीट को बिना धोए चार हफ्तों तक बड़ी सहजता से इस्तेमाल करते हैं. महिलाएं तीन हफ्तों तक भी एक ही बेडशीट उपयोग में नहीं लाती हैं . इसी तरह मर्दों के वर्किंग डेस्क पर महिलाओं के मुकघबले 10 फीसदी ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं. 78 फीसदी महिलाएं हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन 50 फीसदी पुरुष ऐसे ही धो लेते हैं. लेकिन पुरुषों की इन तमाम आदतों में माँ-बाप की भी विशेषकर माँ की भी भूमिका होती है.

दरअसल लड़कियां आमतौर पर पूरी दुनिया में लड़कों की तरह घर के बाहर के खेलों में हिस्सा कम लेती हैं. वे ज्यादातर समय माँ के साथ घर में बिताती हैं, इसलिए उन्हें माँ की तरह ही सफाई की आदत पड़ जाती है साथ ही उनके ज्यादातर समय घर में रहने के कारण वे गंदी भी कम हुआ करती हैं. इसके पीछे एक और बात भी है. वास्तव में लडकियां बचपन से ही अच्छा दिखने की चाहत से भरी होती हैं इसलिए भी बचपन से साफ रहने की कोशिश करती हैं,जबकि पुरुष बचपन से ही लापरवाह होते हैं. उन्हें इस लापरवाही की छूट समाज भी देता है. क्योंकि समाज में लड़कों की ख़ूबसूरती पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती जबकि वही समाज सुंदर दिखने वाली लड़कियों को ज्यादा तरजीह देता है.

यह सामाजिक मनोविज्ञान ही है कि महिलाएं यदि शॉर्ट स्कर्ट, टाइट फिटिंग ड्रेस और लो कट टॉप पहनती हैं तो उन्हें अधिक गंभीरता से लिया जाता है ; क्योंकि वे इन ड्रेस में ज्यादा जवान दिखती हैं. बेडफोर्डशायर यूनिवर्सिटी के डॉ. एल्फ्रेडो गाइटन ने 21 से 64 साल की महिलाओं के बीच यह रिसर्च किया और इसे ऐसे ही पाया है. लो कट टॉप, मिनी स्कर्ट और जैकेट पहनी हुई लडकियां और महिलायें सबको भाती हैं.रिसर्च में ये भी सामने आया कि कपड़े बदलते ही महिलाओं का एटीट्यूट बदल जाता है. दरअसल, जब लोग पॉजिटिव लेने लगते हैं तो एटीट्यूट में बदलाव आ जाता है.

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कहने का मतलब साफ रहना और उसे आदत में ढाल लेना जिससे सुंदर भी दिखा जाए इस सबके लिए कोई कुदरती स्वभाव नहीं जिम्मेदार होता बल्कि बहुत सी चीजें मायने रखती हैं. सवाल है फिर महिलाएं पुरुषों के थोड़ा सा गंदा रहने पर आखिर इतना नाक भौं क्यों सिकोड़ती हैं ? सच तो यह है कि महिलाएं अपने पतियों से इस बात पर भी झगड़ा कर बैठती हैं कि उन्होंने अपने गंदे कपड़े वॉशिंग मशीन में डालने की बजाय सोफे पर क्यों रख दिए ? पुरुषों के लिए यह बहुत छोटा मसला है,लेकिन महिलाएं इस बात को भी दिल पर ले लेती हैं.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं इसे ऐसे नहीं देखना चाहिए.वास्तव में महिलाएं गंदे कपड़े मशीन में न डालने से नाराज नहीं होतीं, वे तो इस बात से नाराज हो जाती हैं कि आपने उनकी बात नहीं मानी.मतलब यह कि आप उन्हें प्यार नहीं करते. उन्हें पूरी अटेंशन नहीं देते.जी हाँ,सुनकर हैरानी हुई न ! लेकिन सच यही है. कि वे आपकी छोटी सी छोटी बात को भी आपके प्यार न करने से जोड़ लेती हैं.कहने का मतलब दोनों तरफ मामला आदत का नहीं मनोविज्ञान का है.

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